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राजस्थान में भाजपा ने 14 तो कांग्रेस गठबंधन 11 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस को 2009 के बाद राजस्थान में इतनी बड़ी जीत मिली है। बाड़मेर-जैलसमेर से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी हार गए हैं। वहीं, वैभव गहलोत भी जालोर से दो लाख वोटों से चुनाव हार
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सबसे बड़ी जीत भाजपा को राजसमंद में मिली। यहां भाजपा की महिमा कुमारी ने कांग्रेस कैंडिडेट को 3 लाख 80 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। सबसे कम मार्जिन से जयपुर ग्रामीण लोकसभा से भाजपा के राव राजेंद्र सिंह जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के अनिल चोपड़ा को करीबी मुकाबले में 1615 वोटों से हराया है।
भाजपा का वोट शेयर राजस्थान में हर सीट पर औसतन 6 से 10 प्रतिशत घटा है। सबसे ज्यादा अंतर बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर आया है। यहां वोट शेयर पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले 42 फीसदी कम हुआ है।
पढ़िए, राजस्थान की सभी 25 सीटों पर रिजल्ट का डिटेल रिजल्ट…
1. गंगानगर : कई बार से भाजपा के खाते में जा रही सीट कांग्रेस के पास चली गई है। साल 1952 से अब तक भाजपा ने श्रीगंगानगर सीट पर 6 बार, कांग्रेस ने 10, जनता दल-जनता पार्टी ने एक-बार जीत दर्ज की है।
2. बीकानेर: केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल की लीड करीब पांच गुना कम हो गई है। इस बार उन्हें सिर्फ 50 फीसदी वोट मिले। साल 1952 से अब तक भाजपा ने बीकानेर सीट पर अब तक 6 सीट पर जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस यहां से 5 बार जीती है। स्वतंत्र पार्टी जो अब अस्तित्व में नहीं है उसने बीकानेर सीट 5 बार जीती थी। वहीं, एक बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और जनता पार्टी भी ये सीट जीत चुके हैं।
3. चूरू : राहुल कस्वां एक बार फिर सांसद बने हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस की टिकट पर। उन्हें 51% वोट मिले। यदि इस लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो भाजपा ने यह सीट अब तक 7 बार जीती है। जबकि कांग्रेस ने यहां 4 बार जीत दर्ज की है। दो बार जनता पार्टी और एक बार जनता दल भी यहां जीतने में सफल रही है।
4. झुंझुनूं : झुंझुनूं सीट पर बेहद कम मार्जिन से इस बार उलटफेर हो गया है। इस बार कांग्रेस ने 13% ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज कर ली। साल 1952 से अब तक भाजपा ने यह सीट केवल 3 बार जीती है। जबकि कांग्रेस ने यहां 11 बार जीत दर्ज की है। जबकि दो बार जनता पार्टी, एक बार जनता दल और स्वतंत्र पार्टी भी यह सीट जीत चुके हैं।
5. सीकर : सीकर से कम्युनिस्ट नेता अमराराम पहली बार संसद जाएंगे। यहां करीब 8 फीसदी कम वोटिंग हुई और भाजपा का वाेट शेयर भी 8 फीसदी गिर गया, इस वजह से उसे हार का सामना करना पड़ा।
साल 1952 से अब तक भाजपा ने यह सीट 6 बार जीती है। जबकि कांग्रेस 7 बार विनर रही है। वहीं, राम राज्य परिषद, जनता दल, भारतीय जनसंघ ये सीट एक-बार जीती। जनता पार्टी ने यहां दो बार जीत दर्ज की।
6. जयपुर ग्रामीण: इस लोकसभा सीट से भाजपा के राव राजेंद्र सिंह को करीबी मुकाबले में 1615 वोटों से जीत मिली है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा को 64.24 फीसदी वोट मिले। साल 2014 में बीजेपी ने यहां 62.38 प्रतिशत वोट लिए। कांग्रेस को 2019 में 33.44 और 2014 में 29.50 प्रतिशत वोट मिले। साल 2009 बनी इस सीट पर एक बार कांग्रेस और तीन बार भाजपा ने जीत दर्ज की है।
7. जयपुर : भाजपा जीती, लेकिन उसकी लीड बहुत कम हो गई है। उसका वोट 3 फीसदी कम हो गया। साल 1952 से अब तक भाजपा ने यह सीट 9 बार जीती है। जबकि, कांग्रेस इस सीट पर तीन बार ही कब्जा जमा सकी है। जबकि 4 बार स्वतंत्र पार्टी और 2 बार जनता पार्टी के उम्मीदवार यहां जीते हैं।
8. अलवर : भाजपा को जीत जरूर मिली, लेकिन 2019 के मुकाबले उसकी लीड सात गुना कम हो गई। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पहली बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। साल 1952 से अब तक भाजपा ने अलवर लोकसभा सीट 4 बार जीती है। जबकि कांग्रेस ने 11 बार जीत दर्ज की। इस सीट पर एक बार स्वतंत्र पार्टी, जनता दल, जनता पार्टी भी जीती है।
9. भरतपुर : भरतपुर में कांग्रेस की संजना जाटव ने जीत हासिल की है। साल 1952 से अब तक बीजेपी 7 बार यहां से चुनाव जीती है। जबकि कांग्रेस ने भी 7 बार यह सीट जीती है। यहां से 2 बार स्वतंत्र पार्टी और एक बार जनता पार्टी और जनता दल ने जीत दर्ज की।
10. करौली-धौलपुर : विधानसभा चुनाव में हार चुके भजनलाल जाटव अब सांसद बन गए हैं। इस सीट भाजपा अब तक तीन बार जीती है। जबकि कांग्रेस ने एक बार ही जीत दर्ज की है।
11. दौसा : किरोड़ीलाल मीणा के तमाम दावे फेल हुए। भाजपा प्रत्याशी कन्हैयालाल 13 फीसदी वोट के नुकसान के साथ चुनाव हार गए।
भाजपा ने इस सीट पर अब तक 4 बार जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 12 बार यहां से चुनाव जीता है। जबकि 2 बार स्वतंत्र पार्टी, एक बार जनता पार्टी और एक बार निर्दलीय ने भी यहां जीत दर्ज की है।
12. टोंक-सवाईमाधोपुर : लगातार दो बार के सांसद सुखबीर सिंह को हार का सामना करना पड़ा। यहां से एक बार कांग्रेस और तीन चुनाव भाजपा ने चुनाव जीते हैं। यह सीट 2009 में बनी थी।
13 अजमेर : विधानसभा चुनाव हार चुके भागीरथ चौधरी एक बार फिर सांसद बनेंगे। अब तक भाजपा ने यह सीट 8 बार जीती है। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट पर 10 बार जीत दर्ज की। जनता पार्टी ने यहां से एक बार चुनाव जीता है।
14. नागौर : ज्योति मिर्धा लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव हारी हैं। इससे पहले 2023 में विधानसभा चुनाव में भी हार चुकी हैं। इस सीट पर भाजपा ने 5 बार जीत दर्ज की है। पिछले चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जीता था। जबकि कांग्रेस ने 11 बार चुनाव जीता है। इस सीट पर एक बार स्वतंत्र पार्टी, जनता दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी जीता है।
15. पाली: पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा की लीड करीब आधी हो गई है। इस सीट पर अब तक भाजपा ने 8 बार जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार 8 बार जीते हैं। जबकि एक बार निर्दलीय, जनता पार्टी और स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार भी जीते हैं।
16. बाड़मेर: केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का हारना सबसे चौंकाने वाला रहा है। वे न सिर्फ चुनाव हारे, बल्कि तीसरे नंबर पर पहुंच गए। साल 1952 से अब तक भारतीय जनता पार्टी ने 3 बार जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस ने 9 बार इस सीट पर कब्जा किया है। बाड़मेर लोकसभा सीट पर एक बार जनता पार्टी, जनता दल, राम राज्य परिषद और निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते हैं।
17. जोधपुर: पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत की लीड आधी से भी कम हो गई। इस सीट पर अब तक 6 बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस ने 7 बार इस सीट पर कब्जा किया गया है। जोधपुर लोकसभा सीट पर तीन बार निर्दलीय और एक बार जनता पार्टी का उम्मीदवार भी जीता है।
18. जालोर : पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा। पिछली बार वे जोधपुर से हारे थे। साल 1952 से अब तक भाजपा ने यह सीट 6 बार जीती है। वहीं, कांग्रेस ने 8 बार यह सीट जीती है। जबकि दो बार निर्दलीय, एक बार जनता पार्टी और स्वतंत्र पार्टी ने इसे जीता है।
19. उदयपुर : उदयपुर सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में आ गई है। यहां से भी पार्टी की लीड काफी कम हुई है। इस सीट पर अब तक भाजपा ने 6 बार जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस ने यह सीट 10 बार जीती है। जबकि भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी ने यह सीट एक-एक बार जीती है।
20 बांसवाड़ा : विधायकी छाेड़कर कांग्रेस से भाजपा में आए मालवीया सांसद नहीं बन पाए। उन्हें बीएपी के राजकुमार रोत ने करीब ढाई लाख वोट से हराया। इस सीट पर अब तक भाजपा ने 4 बार जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस ने 11 बार यह सीट जीती है। जबकि जनता दल और जनता पार्टी ने एक-एक बार सीट जीती है।
21 चित्तौड़गढ़ : प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। इस सीट पर अब तक भाजपा 7 बार जीती है। वहीं, कांग्रेस ने यह सीट 7 बार जीती है। जबकि भारतीय जनसंघ ने यह सीट 2 और जनता पार्टी ने एक बार जीती है।
22. राजसमंद : महाराणा प्रताप की वंशज महिमा विश्वराज सिंह इस चुनाव में राजस्थान में सबसे ज्यादा वोटों से जीती हैं। इस सीट पर एक बार कांग्रेस और तीन बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस को 2019 में 25.09 और 2014 में 25.34 फीसदी वोट मिले।
23 भीलवाड़ा : डॉ. सीपी जोशी एक बार फिर इस सीट से हार गए। इससे पहले 2014 में भी हारे थे। साल 1952 से अब तक भाजपा इस सीट पर 6 बार जीती है। वहीं, कांग्रेस ने अब तक 8 बार यह सीट जीती है। जबकि एक बार यह सीट राम राज्य परिषद, जनता पार्टी, जनता दल और भारतीय जनसंघ के खाते में गई है।
24. कोटा : पिछले कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष रहे ओम बिरला की जीत की लीड करीब छह गुना कम हो गई। साल 1952 से भाजपा ने इस सीट पर अब तक 8 बार जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस यहां 5 बार जीती है। जबकि तीन बार भारतीय जनसंघ और दो बार जनता पार्टी के उम्मीदवार यहां से जीते हैं।
25. झालावाड़ : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह लगातार पांचवी बार चुनाव जीते हैं। साल 1952 से अब तक भाजपा इस सीट पर 10 बार जीती है। जबकि कांग्रेस इस सीट पर तीन चुनाव जीती है। भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत दर्ज की है।
(ये डेटा शाम 7.30 बजे तक इलेक्शन कमीशन के नंबरों के आधार पर है, फाइनल डेटा अपडेट हो सकता है)
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