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नरेंद्र मोदी व राव इंद्रजीत सिंह की महेंद्रगढ़ जिले में हुई चुनावी रैलियांें ने इस बार भी भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह की नैया को पार लगाया है। इन्हीं के दम पर कांटे के मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह अपनी जीत की हैट्रिक लगने में कामयाब हो पाए हैं। क्योंकि महेंद्रगढ़ जिले को कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह का गढ़ माना जा रहा था और अहीरवाल क्षेत्र की चारों विधानसभा क्षेत्रों में धर्मबीर ने जीत हासिल की है।
भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर को भाजपा ने लगातार तीसरी बार भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया था। किसान आंदोलन के चलते चुनाव प्रचार के आरंभ में ही धर्मबीर सिंह को कुछ गांवों में ग्रामीणों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। इसके कारण एक बार कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे थे लेकिन जैसे जैसे चुनाव प्रचार आगे बढ़ा धर्मबीर सिंह ने नाराज लोगों का गिला शिकवा दूर कर उन्हें अपने पक्ष में किया। इसके बावजूद महेंद्रगढ़ जिले की चार विधानसभाओं भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर की स्थिति कुछ पतली लग रही थी। इसको भांपते हुए पार्टी की तरफ से गांव पाली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली करवाई गई।
जिसमें गुरुग्राम से भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह भी रैली में पहुंचे और दोनों नेताओं ने लोगों से धर्मबीर के पक्ष में वोट की अपील की। इसके अलावा राव इंद्रजीत सिंह ने धर्मबीर के समर्थन में अपना चुनाव प्रचार छोड़कर अहीरवाल क्षेत्र पहुंचे थे और धर्मबीर के पक्ष में जनसभा की थी। क्योंकि राव इंद्रजीत सिंह का अहीरवाल में विशेषकर अटेली व अन्य अहीरवाल क्षेत्र में उनका अच्छा खासा प्रभाव है। धर्मबीर सिंह ने अटेली, नारनौल, नांगल चौधरी व महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में अच्छे खासे मत हासिल किए है।
राव दान सिंह को खुद के ही गृह क्षेत्र महेंद्रगढ़ में हार का सामना करना पड़ा। इसके कारण कांग्रेस प्रत्याशी अपेक्षा अनुसार अपने क्षेत्र से लीड नहीं ले पाए। कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह के लिए कांग्रेस नेता किरण चौधरी व उनकी पुत्री पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को इग्नोर करना भी उनकी हार का एक कारण माना जा सकता है। किरण व श्रुति चौधरी का गढ़ रहे तोशाम विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी को हार मिली। इसी तरह से भिवानी विधानसभा क्षेत्र से भी धर्मबीर सिंह ने 28851 वोट से लीड हासिल की है। कांटे के इस मुकाबले में किरण व श्रुति को इग्नोर करना आखिर राव दान सिंह पर भारी पड़ा और वे चुनाव हार गए।
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