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नीमच जिले के जावद तहसील से करीब 40 किमी दूर पानौली गांव। यहां रहने वाले किसान जगदीशचंद्र पाटीदार ने तकनीक की मदद से एक ही पेड़ पर सात प्रजाति के आम उगाए हैं। इससे उन्हें सालाना 5 लाख तक की आमदनी हो रही हैं। इलाके के दूसरे किसान भी उनसे प्रेरित हो रहे
.
खास बात यह हैं कि पिता से विरासत में उन्हें 8 आम के पेड़ मिले थे। आज 5 बीघा खेत में उन्होंने 300 से ज्यादा पौधे लगा दिए हैं। वे आम को रासायनिक तरीके से नहीं पकाते, आम पेड़ पर ही पक जाते हैं। इसलिए यहां के आम की डिमांड देश के साथ विदेश में भी है।
इस बार स्मार्ट किसान सीरीज में आपको मिलवाते हैं पानौली गांव के रहने वाले किसान जगदीशचंद्र पाटीदार से..
जगदीशचंद्र की जिंदगी में आमों से जुड़ी ये कहानी खट्टी-मीठी है। उन्हें पढ़ना ज्यादा पसंद नहीं था। घर की जिम्मेदारियां ऐसी थीं कि 9वीं तक पढ़ाई पूरी करने के बाद वे खेती-बाड़ी से जुड़ गए।
पिता लक्ष्मीनारायण के दुनिया से विदा होने के बाद वे पारंपरिक खेती करते रहे। फिर उन्हें लगा कि वो गलत ट्रैक पर हैं। उन्होंने खेती का तरीका बदला। तब उनका ध्यान पिता के लगाए 8 आम के पेड़ों पर गया। इन पेड़ों से निकलने वाले आम से अतिरिक्त कमाई तो हो रही थी, लेकिन ये बेहद कम थी।
ग्राफ्टिंग तकनीक अपनाकर शुरू किया प्रयोग
जगदीशचंद्र ने कमाई बढ़ाने के लिए मन बनाया कि वे अब आम की खेती बड़े पैमाने पर करेंगे। उन्होंने 5 बीघा खेत में 300 से ज्यादा आम के पौधे 20-20 फीट की दूरी पर लगा दिए। ग्राफ्टिंग तकनीक की मदद से सात प्रजाति के आम के पौधों को एक ही पौधे पर जोड़ा। इससे तैयार एक ही पेड़ पर आम की 7 वैरायटियां मिलने लगी।
आज भी वे आम के नए पौधे हर साल लगा रहे हैं। इस तकनीक से उगाए गए पौधों के अलावा आम की मल्लिका वैरायटी के 42 और दशहरी के 2 पौधे भी लगा रखे हैं।
3 फीट के पेड़ पर लगने शुरू हो जाते हैं फल
जगदीशचंद्र ने बताया कि सबसे पहले मैंने तत्कालीन उद्यानिकी अधिकारी सारस्वत से संपर्क कर ग्राफ्टिंग विधि से वैरायटी तैयार करना सीखा। फिर नीलम,तोतापारी, आम्रपाली, मल्लिका, बारहमासी जैसी प्रजाति एक ही पौधे पर लगाए। उन्होंने बताया कि वे बगीचे में देशी खाद का उपयोग करते हैं।
खरपतवार नाशक के लिए मजदूरों से कटाई और ट्रिलर से जुताई करते हैं। किसी भी प्रकार के रासायनिक तत्व का कोई उपयोग नहीं करते। जैविक तरीके से उत्पादन के कारण आम सेहत और स्वास्थ्य दोनों के लिए अनुकूल होता है।
इसलिए नीमच शहर के साथ-साथ विदेश में भी डिमांड है। दो साल में पौधे पेड़ बन जाते हैं। तीन फीट के पौधे पर ही फल लगना शुरू हो जाते हैं।
आम का पौधा लगाने ऐसे तैयार करें खेत
आम का पौधा लगाने के लिए पहले खेत या फिर जिस जगह बागवानी करना चाहते हैं, वहां 2 बाय 2 का गड्ढा खोदें। गड्ढे को कम से कम 15 दिन तक धूप लगने दें। इसके साथ ही 250 ग्राम नीम खली और 250 ग्राम चूने का पाउडर डालकर घोल बनाएं। इस घोल को गड्ढे के चारों तरफ लगा दें, जिससे मिट्टी के कीटाणु खत्म हो जाएंगे। इसके बाद पौधा लगाएं।
पेड़ पर ही पक जाते हैं आम
किसान जगदीशचंद ने बताया कि वैसे बाजार में आने वाला आम रसायन से पकाया जाता है। लेकिन वे आम देशी पद्धति से पकाते हैं। इसके लिए घास और टाट में आम को ढंककर पकाया जाता है। इससे आम प्राकृतिक तरीके से पक जाता है। सात दिन रखने के बाद उन्हें 5-5 किलो के डिब्बे में पैक कर डिमांड के अनुसार संबंधित लोगों को भेजते हैं।
इस बार पहली खेप की बुकिंग
किसान जगदीशचंद्र ने बताया कि इस बार पकने वाली पहली खेप की बुकिंग हो चुकी हैं। स्वाद के कई शौकीन पानौली आकर भी ये आम ले जाते हैं। जिले के कई लोग देश के दूसरे राज्यों में रह रहे अपने रिश्तेदारों में को भी यहां से आम भेजते हैं। है। चार नियमित ग्राहकों ने विदेश में भी उनके आम के स्वाद को बेहद पसंद किए जाने की जानकारी दी है।
चीकू के बगीचे की तैयारी में लगे
किसान जगदीशचंद्र ने बताया कि वे आम की खेती के साथ संतरे की खेती करने जा रहे हैं। इससे भी अच्छा मुनाफा होता है। आगे वे चीकू की बगीचे तैयार करने जा कर रहे हैं।
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