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हरियाणा के चुनावी मैदान में उतने वाले उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त बेशक राजनीति माहौल को गर्म करने में अहम भूमिका निभाती है, मगर सभी को जनता के खुलकर वोट नहीं मिलते हैं। मतदाता कुछ उम्मीदवारों को काफी हद तक नकार देते हैं।
हरियाणा के चुनावी मैदान में उतने वाले उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त बेशक राजनीति माहौल को गर्म करने में अहम भूमिका निभाती है, मगर सभी को जनता के खुलकर वोट नहीं मिलते हैं। मतदाता कुछ उम्मीदवारों को काफी हद तक नकार देते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे इसकी तस्दीक करते हैं। इसमें करीब 50 फीसदी उम्मीदवारों को नोटा (नॉन ऑफ दा अबव) से भी कम वोट मिले। भारत चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक, फरीदाबाद मंडल की 12 विधानसभा सीटों पर 152 उम्मीदवारों में 74 उम्मीदवार नोटा से पीछे रहे।
मतदाताओं के रुझान से नोटा का बढ़ रहा महत्व : राजनीति के जानकारी देवेंद्र सुरजेवाला का कहना है कि इन चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि मतदाताओं ने कई स्थानों पर उम्मीदवारों की बजाय नोटा को चुना, जो यह दर्शाता है कि जनता विकल्पों से संतुष्ट नहीं थी। 74 उम्मीदवारों का नोटा से कम वोट पाना इस बात का सबूत है कि चुनाव में भाग लेने वाले कई उम्मीदवार मतदाताओं का भरोसा जीतने में असफल रहे। लोगों को उनके कार्यकाल में किए काम पसंद नहीं आए।
मतदान के लिए 16 उम्मीदवारों के बाद लगती है दूसरी मशीन : भारत में चुनाव के दौरान एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल 64 उम्मीदवारों तक के लिए किया जा सकता है। एक ईवीम में 16 उम्मीदवारों तक के नाम प्रदर्शित करने के लिए एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेट यूनिट होती है। इनमें एक वोटा का भी बटन होता है। बहरहाल, यदि उम्मीदवारों की संख्या 16 से अधिक हो, तो अतिरिक्त बैलेट यूनिट्स को जोड़ा जा सकता है। 4 बैलेट यूनिट्स तक जोड़ी जा सकती हैं, जिससे कुल 64 उम्मीदवारों तक को शामिल किया जा सकता है। पूर्व चुनाव प्रहलाद सिंह का कहना है कि ज्यादा उम्मीदवार होने पर ईवीएम बढ़ानी पड़ती हैं। इससे सरकार का खर्च भी बढ़ता है।
मतदान के लिए जागरुकता अभियान तेज होगा : हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्तूबर को होने वाले मतदान के मद्देनजर चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियां तेज करेगा। स्वीप (सिस्टमैटिक वोटर्स एजुकेशन एंड इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन) अभियान के तहत मतदाताओं को मतदान का महत्व समझाने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। जिसमें रैलियां, नुक्कड़ नाटक, और सामाजिक संगठनों का सहयोग शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा जिला प्रशासन मतदाताओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं डीसी विक्रम सिंह ने बताया कि 5 अक्तूबर को मतदान करें और उसी दिन या अगले दिन, 5-6 अक्तूबर, को ब्रांडेड शोरूम्स पर 10 से 20 प्रतिशत तक की विशेष छूट पाएं। मतदान करने के बाद, अपनी उंगली पर लगी स्याही दिखाकर यह छूट ली जा सकती है। सेक्टर-12 स्थित पैबल डाउनटाउन मॉल के 18 शोरूम्स, जिनमें पेंटालून्स, स्टारबक्स आदि शामिल हैं।
ग्रामीण सीटों पर भी नोटा का ट्रेंड देखा गया
पुन्हाना, हथीन, होडल, पलवल, पृथला, एनआईटी फरीदाबाद, बल्लभगढ़, और फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों में भी कई उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले। पुन्हाना में 5 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले, जबकि होडल में 9 उम्मीदवार ऐसे थे जो नोटा से भी पीछे रह गए। पलवल में 8, पृथला में 3, और एनआईटी फरीदाबाद में 12 उम्मीदवार नोटा से कम वोट पाने वालों की सूची में शामिल थे। बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में नोटा को 1,512 वोट मिले, जो कि 2.23 प्रतिशत था, और इस क्षेत्र में 5 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले। वहीं, फरीदाबाद में नोटा को 1,754 वोट मिले, जो 1.45 प्रतिशत था, और यहां भी 5 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले। तिगांव विधानसभा क्षेत्र में कुल 12 उम्मीदवार खड़े हुए थे और यहां नोटा को 1,569 वोट मिले, जो 0.93 प्रतिशत था। यहां 8 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले, जो कि एक बड़ी संख्या है।
बड़खल में 1.75 प्रतिशत
वर्ष 2019 के चुनाव में बड़खल विधानसभा क्षेत्र में नोटा को सबसे अधिक 2,274 वोट मिले, जो कि 1.75 प्रतिशत था। वहीं, नूंह विधानसभा क्षेत्र में नोटा को सबसे कम 379 वोट मिले, जो 0.3 प्रतिशत था। नूंह विधानसभा क्षेत्र में कुल 13 उम्मीदवार थे, जहां नोटा छठे स्थान पर रहा। इस क्षेत्र में 7 उम्मीदवार ऐसे थे जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले। फिरोजपुर झिरका में 12 उम्मीदवार खड़े हुए, और यहां 3 उम्मीदवारों को नोटा से कम वोट मिले।
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