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ढाका/नई दिल्ली, एजेंसी।
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच उच्चतम न्यायालय ने रविवार को अहम फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा को घटा दिया। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि अब तक 4500 से अधिक भारतीय स्वदेश लौट चुके हैं, जिनमें से अधिकतर छात्र हैं। बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास की मदद से नेपाल के 500, भूटान के 38 और मालदीव के एक छात्र को भी भारत पहुंचाया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने फैसले में कहा, 93 फीसदी सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं। वहीं पांच फीसदी 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिजनों और अन्य श्रेणियों के लिए दो फीसदी सीटें आरक्षित रखी जाएं। फैसले के बाद भी ढाका सहित विभिन्न शहरों में सैनिकों की गश्त जारी रही। हालांकि, छिटपुट झड़पों के अलावा हिंसा की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई।
यह है मामला : मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वालों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाता था। सरकार ने बड़े पैमाने पर छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बाद 2018 में इस पर रोक लगा दी थी, लेकिन पिछले महीने एक अदालत ने आरक्षण बहाल कर दिया, जिसके बाद देश में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए थे।
103 लोग मारे जा चुके
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर कई दिन से प्रदर्शन हो रहे थे। हालात बिगड़ने पर शनिवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया था। अधिकारियों ने मृतकों और घायलों की कोई आधिकारिक संख्या साझा नहीं पर एक अखबार में प्रकाशित खबर में बताया गया कि अब तक 103 लोग मारे गए हैं।
कर्फ्यू में दो घंटे की ढील
गृह मंत्री असदुज्जमां खान के निर्देश पर रविवार को दोपहर में तीन बजे से शाम पांच बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई। सरकार ने सोमवार को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। सरकार ने शनिवार को भी कर्फ्यू में ढील दी थी।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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