रामप्रवेश गुप्ता
बीजपुर(सोनभद्र)बीते रविवार को एनटीपीसी रिहंद परियोजना के राख बंधे से होने वाली राख परिवहन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद अब तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं होने से एनटीपीसी प्रबंधन की साख पर भी सवाल उठना शुरू हो गया है। घटना के पांच दिन बीत जाने के बाद भी दिखावे के लिए छोटी मछलियों पर कार्यवाही कर प्रबंधन भले ही अपनी पीठ थपथपाने में लगा हुआ है पर जब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती तब तक इस मामले में संलिप्त लोगों के हौसले पस्त नहीं होंगे।सूत्र बताते हैं कि जिस तरह कोयले का व्यापार काला सोना के नाम से जाना जाता है उसी तरह राख परिवहन का व्यापार भी अब ब्राउन सुगर यानी सोने के पाउडर जैसा दौलत वाला व्यापर बनता जा रहा है।जिस राख की उपयोगिता कुछ दिनों पहले कुछ भी नहीं थी उसी राख परिवहन के व्यापार में अब बेशुमार दौलत है इसी वजह से माफियाओं में इस व्यापार में घुसने की होड़ मची हुई है।एनटीपीसी रिहंद परियोजना व एनएचएआई के मध्य अनुबंध के बाद देश के कई जगहों पर राख उपयोग हेतु भेजी जा रही है पर जब से माफियाओं की नजर इस व्यापार पर पड़ी है तब से राख लोडिंग और राख परिवहन का व्यापार सोने का अंडा देने वाली मुर्गी के बराबर हो गया है।इस व्यापार में लगे माफिया सारे नियम कानून ताक पर रखकर एनजीटी के निर्देशों की अवहेलना कर रातों-रात करोड़पति अरबपति बनने में लगे हुए हैं।ऐसा नहीं है कि इस लूट खसोट की जानकारी एनएचएआई और एनटीपीसी प्रबन्धन को नहीं है पर इतना बड़ा भ्रष्टाचार और हेरा फेरी का मामला सामने आने के बाद भी प्रबंधन किस दवाब में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर रहा है यह समझ से परे है।
इस बाबत परियोजना के उपमहाप्रबंधक पी लक्ष्मी से संपर्क साधने का प्रयास किया गया पर उन्होंने व्यस्तता का हवाला देकर जवाब नही दिया ।