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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विश्व सहिष्णुता दिवस के मौके पर कार्यक्रम को संबोधित किया।
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ये बातें शुक्रवार को भोपाल में कहीं। वे विश्व सहिष्णुता दिवस के मौके पर होटल ताज में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। कहा- जब प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में कमान संभाली तो हम सब देखते थे हमारी अर्थव्यवस्था 11वें नंबर से खिसकते हुए 2023 में पांचवें नंबर पर आ गई। लोग तो 2026 तक मान रहे थे लेकिन, अब हम कितने जल्दी जापान को पीछे छोड़ने वाले हैं यह किसी से छुपा नहीं है।
वो सारे पैरामीटर बदल डाले जिनसे दुनिया हम पर हंसती थी सीएम ने कहा – इसमें भी हम उस रास्ते पर नहीं गए जिस रास्ते से इंग्लैंड गया था। हमने अपने बाकी मित्र देशों में भी यह संदेश देने का प्रयास किया कि अपनी मेघा, स्वावलंबन के बलबूते पर क्षमता योग्यता के बलबूते पर और उपलब्ध संसाधनों के भरोसे से वह सारे पैरामीटर बदल डाले जिसके कारण हमारे ऊपर संसार हंसता था हमारे लिए कहते थे कि हम व्यापार अच्छा नहीं कर सकते, हमारे यहां अच्छी लेबर नहीं होगी। अच्छी टेक्नोलॉजी का तो सवाल ही नहीं उठता।
आज डिजिटल पेमेंट को लोग आश्चर्य करते थे यह जो भारत ने किया कमाल वाह रे भारत। हमारा जन्म धन्य हो गया जिसने अपनी आंखों के सामने वह सब देखा जिसके कारण हमको लगता है कि सच्चे अर्थों में स्वामी विवेकानंद की बात 21वीं शताब्दी भारत की होगी वह अपनी आंखों के सामने होते देख रहे हैं।
चंद्रशेखर के शासन में गोल्ड कहां गया था सीएम ने कहा- वर्तमान दौर में अलग टाइप से निकल रहा है। अटपटा भी लगता है कुछ साल पहले के वो हालात जब चंद्रशेखर की हमारे यहां सरकार थी। हमारा गोल्ड कहां गया था दोहराने की जरूरत नहीं हैं। और कहां 2014 के बाद से अब तक का सफर प्रधानमंत्री मोदी के रुप में भारत को देखकर दुनिया की आंखें चौंधिया रही हैं। क्या ये वही भारत है जिसको हमने पुराने समय में किस रूप में देखा था।
विश्व सहिष्णुता दिवस के मौके पर होटल ताज में कार्यक्रम आयोजित हुआ।
भारत सूर्य की तरह चमक रहा सीएम ने कहा- जब राष्ट्र कुल के बैनर पर बात करते हैं। तो 56 देशों के अंदर सूर्य की भांति चमकता हुआ भारत का अपना एक अलग स्थान है। जिससे पूरा नक्षत्र मंडल शोभायमान हो रहा है। जिसका एहसास हम सब भारतीयों को हो रहा है यह हमारा सौभाग्य है।
बीच के दौर में कमजोरियां रहीं
सीएम ने कहा- हम राष्ट्र कुल में जिसके बैनर के नीचे से आए, इंग्लैंड की धरती से हमारे आने का रास्ता तो व्यापार के माध्यम से ही जुड़ा था। काल के प्रवाह में हमारी कुछ कमजोरी रही होगी। लेकिन उस दौर के लेकर बीच का जो समय गया उस बीच में कई सारी कमजोरियां रही होगी। उन सारी बातों को भूलकर अभी हम केवल सहिष्णुता पर आएं और व्यापार बढ़ाएं। तो हमारे यहां कहा ही गया है कि सर्वे भवंतु सुखिना, सर्वे संतु निरामया।
हम पूरे विश्व के भले की बात करते हैं और हमारा मन कितना उदार है। सहिष्णुता के यह शब्द केवल बोलने के लिए नहीं एक-एक शब्द अपने अंदर उतारने के लिए हैं। उन सारे शब्दों के बलबूते पर लोग शब्द की चासनी बनाकर और चाट बनाकर लोगों को देते हैं लेकिन उनको यह दर्द नहीं मालूम है कि जो दर्द भारत अपने सीने में दफन करके रखता है।
यहूदियों को भारत ने जगह दी, इसलिए इजराइल का अलग नजरिया सीएम ने कहा- अतीत के काल में पारसी लोगों को दुनिया में कहीं जगह नहीं मिली। अगर जगह मिली तो भारत में मिली। हमने उस पद्धति को अपनाया। यहूदी दुनिया से नकारे गए उन्हें कोई जगह नहीं दे रहा था लेकिन आज इसलिए तो इसराइल आज हमको एक अलग निकाह से देखता है कि उसको किसी ने जगह नहीं दी उसको अगर जगह तो केवल भारत ने दी। एक नहीं ऐसे कई उदाहरण हैं।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया।
पाकिस्तान के लोग भी मोदी की तारीफ करते हैं सीएम ने कहा- कॉमनवेल्थ के कमिश्नर बने पीयूष जी को बधाई देता हूं हमारे मध्य प्रदेश के लिए गौरव की बात है देश के लिए गौरव की बात है आज के इस युग में जब हमारी बौद्धिक क्षमता, व्यापार कौशल और स्वदेशी की भावना के बलबूते पर विश्व बंधुत्व की भावना के बलबूते पर चीन से लेकर ऐसे कई सारे लोगों की चुनौतियों के बीच व्यापार, व्यवसाय की अनुकूलता का प्लेटफार्म अगर कोई बन रहा है तो भारत बन रहा है।
और भारत ने अपनी गुटनिरपेक्षता के बलबूते पर केवल बोलने के लिए नहीं कदम – कदम पर वह मार्ग खोले। जिस मार्ग से हर एक चीज में अपने देश को तो छोड़ो पाकिस्तान के लोग भी भारत के मोदी जी की प्रशंसा करते हैं काश मोदी हमारे देश का होता? तो इससे बेहतर सौभाग्य क्या होता।
लक्ष्मी के आने का सही रास्ता भी बताया सीएम ने कहा- रसिया के साथ तेल के व्यापार में जिस ढंग से हमने अपनी भूमिका तय की। चाहे रसिया हो, चाहे चायना हो, चाहे अमेरिका हो, या कनाडा हो यह बात सही है कि हम सह अस्तित्व के सिद्धांतों पर विश्वास करते हैं लेकिन विश्व बंधुत्व के भावना में व्यापार व्यवसाय को भी हम वही महत्व देते हैं जिसके लिए भारत हजारों सालों से जाना जाता था। धनलक्ष्मी का होना कोई अपराध नहीं। यह बात अलग है की लक्ष्मी का सदमार्ग से आना उतना ही आवश्यक है जितना कुमार्ग का विरोध करना। यह उस पवित्र भाव से छिपा हुआ दृष्टिकोण है।
इसीलिए हमारे यहां कुमार्ग से कोई लक्ष्मी एकत्रित करें उसे कोई अच्छा नहीं मानता। धन होना, धर्म को कर्म से जोड़ा गया है। लक्ष्मी को कर्म के मार्ग का सिद्धांत माना गया है कि हम अगर कर्म करते हैं तो कर्म करने के आधार पर लक्ष्मी स्वत: प्राप्त होती है लेकिन लक्ष्मी के प्राप्त होने के पीछे की भावना में हमारे हाथ में सद्कर्म होना चाहिए इसलिए यशलक्ष्मी की कल्पना की है, और यश लक्ष्मी यशस्वी होने का आशीर्वाद देती है वह भी वह कभी किसी को निरंकुश होने की बात नहीं करती।
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