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सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में लकवे के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए आठ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली स्ट्रोक इंटरवेंशन लैब का इंतजार है। इसके लिए बांगड़ परिसर में जगह तो चिह्नित कर ली है, लेकिन बजट नहीं मिलने से लैब की स्थापना नहीं हो सकी। ऐसे में लकवा क
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एसएमएस अस्पताल में हर माह 15 से 20 मरीजों काे थक्का निकालने के लिए न्यूरोसर्जरी लैब में ले जाना पड़ता है, लेकिन वहां पर पहले से ही वेटिंग होने के कारण लकवे के मरीजों का थक्का नहीं निकालने से जान पर खतरा बना रहता है। मरीजों के इलाज करने के लिए डॉक्टर प्रशिक्षण भी ले चुके हैं।
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- पिछली सरकार ने चार मई 2023 को एसएमएस अस्पताल में स्ट्रोक इंटरवेंशनल लैब की स्थापना के लिए 8 करोड़ के वित्तीय प्रावधान को मंजूरी दी, लेकिन बजट नहीं मिलने के कारण फाइल इधर-उधर घूम रही है।
- दिमाग की एंजियोग्राफी करके कैथेटर्स डालकर स्टंट के माध्यम से थक्का निकाला जाता है, जिससे मरीज को न केवल जल्द रिकवरी बल्कि जान का खतरा भी नहीं रहता है। इसके लिए एक विशेष तरह की लैब होती है।
- स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। इसके लिए मरीजों को तत्काल मेडिकल केयर देने की आवश्यकता रहती है, क्योंकि ऐसी स्थिति में दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन या न्यूट्रेंट्स प्राप्त नहीं होते हैं। जिससे दिमाग की कोशिकाएं (ब्रेन सेल) मर जाती है। ऐसे में स्ट्रोक इंटरवेंशनल लैब संजीवनी साबित होती है।
- लकवा के मरीजों का 6 घंटे के भीतर थक्का निकालने से मरीज रिकवर हो जाता है और उसकी जान को बचाया जा सकता है।
“स्ट्रोक इंटरवेंशन लैब की बजट घोषणा है तो बिल्कुल पूरी होगी। किस कारण से अटकी है, जो भी इश्यू है समाधान करेंगे।”
-इकबाल खान, कमिश्नर, मेडिकल शिक्षा
“लकवा मरीजों के लिए लैब की स्थापना में देरी क्यों हो रही है, कारण पता करते हैं।”
-डॉ. दीपक माहेश्वरी, प्राचार्य, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर
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