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सरिस्का में बढ़ते टाइगर कुनबे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे जैसी सड़कों से आसान हुई राह के साथ ही टूरिज्म की फसल काटने को होटल-रिसोर्ट और वाणिज्यिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। बड़े होटल-रिसोर्ट सरिस्का बफर क्षेत्र (वन/राजस्व) में तैयार हो रहे हैं, जिनमें नामी घर
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कांग्रेस सरकार में इन प्रोजेक्ट की नींव लगी और दायरा बढ़ता जा रहा था, अब बदली सरकार में सख्ती शुरू हुई है। वन विभाग ने कलेक्टर और सचिव, नगर विकास न्यास, पर्यटन विभाग को रिपोर्ट भेजकर सिफारिश की है कि ‘बाघ परियोजना सरिस्का के घोषित बफर क्षेत्र में किसी भी प्रकार का भू सम्परिवर्तन/पट्टा/90ए/भवन लेआउट प्लान की स्वीकृति राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थायी समिति की बगैर पूर्वानुमति के नहीं करें। साथ ही उन प्रोजेक्ट के विरुद्ध कार्रवाई को लिखा है, जिनका निर्माण और संचालन बिना अनुमति हुआ है। अभी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की लागत करीब 500 करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही है, जिनका संचालन खटाई में है।
टाइगर रहवास में बाधा जान राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल में प्रोजेक्ट खारिज भी संभव : होटल-रिसोर्ट आदि के लिए जिस मंजूरी का वन विभाग जिक्र कर रहा है, उसके लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन लगती है। यह राज्य वन्यजीव मंडल से मंजूरी के बाद राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थायी समिति को जाती है। चूंकि टाइगर से जुड़ा मामला है तो प्रोजेक्ट को लेकर नेशनल टाइगर कजर्वेशन अथोरिटी (एनटीसीए) से भी टिप्पणी मांगी जाती है। वहीं टाइगर के रहवास, सुरक्षा से समझौते की स्थिति में टीम मौका विजिट भी कर सकती है। ऐसे में यह मंजूरी आने में 6 महीने से सालभर भी लग जाता है।
टहला में 2 दर्जन प्रोजेक्ट में कई अवैध, विधानसभा तक उठे मामले, प्रशासन मौन: सरिस्का में बगैर अनुमति खड़े हो रहे होटल आदि प्रोजेक्ट को लेकर विधानसभा में भी मामले उठे। इनमें सरिस्का के राजस्व बफर क्षेत्र अजबगढ़ में एक नामी ग्रुप के होटल/रिसोर्ट की गतिविधियों को बंद कराने के लिए अब कलेक्टर को अलग से लिखा है।
साथ ही टहला, सरिस्का, अकबरपुर, तालवृक्ष, अलवर बफर के क्षेत्रीय वन अधिकारियों को सीटीएच सीमा से 1 किमी की परिधि में प्रतिबंधित गतिविधियों के संचालन एवं नए निर्माण कार्यों पर प्रभावी नियंत्रण एवं चिह्नीकरण के संबंध में लिखा है। इसके लिए विडियोग्राफी, सर्वे कर रिपोर्ट मांगी है। सामने आ रहा है कि टहला एरिया में करीब 25 होटल-रिसोर्ट संचालित हैं, जिनमें ज्यादातर के पास जरूरी मंजूरियां नहीं।
यूं समझें क्रिटिटल-कोर, बफर एरिया का गणित
- 881.11 वर्ग किमी क्षेत्र क्रिटिकल टाईगर हैबीटाट/कोर क्षेत्र घोषित (अधिसूचना संख्या एफ 3 (34) वन/2007 दिनांक 28.12.2007 से)।
- 332.23 वर्ग किमी क्षेत्र बफर क्षेत्र घोषित (अधिसूचना संख्या एफ3 (34) वन/2007 दिनांक 06.07.2012 से)।
एसडीएम ने कहा- बिना मंजूरी के होटल निर्माण रोकेंगे, 10 दिन में कमेटी रिपोर्ट देगी
“कल ही टीम गठित की है। रेवेन्यू, पुलिस, वन विभाग के साथ सर्वे कर रहे हैं। जो क्रिटिकल टाइगर हेबीटेट में आ रहे हैं, उनका भी पता करेंगे। यह 10 दिन में होगा। नक्शे कैसे पास हुआ, सर्वे में साफ होगा। निर्माणाधीन हैं, उन्हें रोकेंगे और जो बन चुके हैं, उनके लिए सरकार से मार्गदर्शन लेंगे।”
-प्रतीक जुईकर, एसडीएम अलवर
”नक्शे मंजूरी से पहले वन विभाग को भेजते हैं। कुछ बगैर मंजूरी बन रहे हैं, जिन पर कार्रवाई करेंगे। इसमें निर्माण रुकवाने के अलावा, सील करने आदि की कार्रवाई शामिल है। जिला प्रशासन के साथ आगे की प्रक्रिया होगी।”
-धिगदे स्नेहल नाना, सचिव अलवर यूआईटी
वन विभाग अब तक कहां था?
“बफर एरिया में बन रहे होटल, रिसोर्ट की मंजूरी का रिकॉर्ड नहीं मिला। ऐसे में सभी प्रोजेक्ट के निर्माण, संचालन रोकने के लिए लिखा है। पहले किसने क्या किया? मुझे कुछ नहीं कहना।”
-महेंद्र शर्मा, डीएफओ, सरिस्का टाइगर रिजर्व
“बफर एरिया में बगैर मंजूरी होटल आदि गतिविधियां चल रही हैं। न्यायोचित कार्रवाई के लिए कहा है। विभाग ने कलेक्टर को लिखा है।”
-संजय शर्मा, वन एवं पर्यावरण मंत्री
(बफर क्षेत्र में अलवर के सीरावास, ढहलावास, चकशामला, रामनगर, रोगड़ा, बख्तपुरा, रूंध बीनक, किशनपुर, पैंतपुर, रिगसपुरी, शोदानपुरा की जमीनें हैं।
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