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प्रदेश में भीषण गर्मी और सूर्य देव की तपिश के अलावा लू से लोगों का हाल बेहाल हो रहा है। गर्मी से बचाव के लिए लोग तमाम इंतजामात कर रहे है। ऐसे में जयपुर में नारगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में भी वन्यजीवों को गर्मी से राहत देने के लिए कुछ अलग जतन किए जा रहे ह
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भालू को आइसक्रीम खिलाई
जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीवों को गर्मी से बचाने के लिए वन विभाग की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं। गर्मी से राहत देने के लिए भालू को आइसक्रीम खिलाई जा रही है, तो वहीं हिरण प्रजाति के वन्यजीवों को तरबूज और ककड़ी खिलाई जा रही है। भीषण गर्मी को देखते हुए शेर, बाघ, पैंथर समेत सभी वन्यजीवों के एंक्लोजर्स में ठंडी हवा के लिए कूलर लगाए गए हैं. पानी में ग्लूकोज और हेल्थ ड्रिंक मिलाकर पिलाई जा रही है।
गर्मी से बचाव के लिए भालू को आइसक्रीम खिलाई जा रही है।
वन्यजीवों के एंक्लोजर में डक्टिंग, कूलर और फव्वारें लगाए
डीएफओ जगदीश गुप्ता ने बताया- बढ़ते तापमान और भीषण गर्मी को देखते हुए जयपुर का नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और चिड़ियाघर में वन्यजीवों के एंक्लोजर में डक्टिंग, कूलर और फव्वारें लगाए गए हैं। डक्टिंग और कूलर से तापमान कम होगा और वन्यजीवों को ठंडा वातावरण मिलेगा। ओपन एरिया के लिए सेल्टरों पर डक्टिंग सिस्टम की व्यवस्था की गई है, जिससे सेल्टरों से पानी टपकता रहेगा और मिट्टी में नमी बनी रहेगी। इससे वन्यजीव गर्मी में ठंडे मौसम जैसा माहौल महसूस कर सकेंगे। पेड़-पौधों की ग्रोथ और नमी बनाए रखने के लिए फव्वारे चलाए जा रहे हैं.
हिरण को ककड़ी, खीरा, तरबूज दिया जा रहा है।
वन्यजीवों की डाइट में भी बदलाव
भीषण गर्मी और वातावरण में परिवर्तन के साथ ही वन्यजीवों की डाइट में भी बदलाव किया गया है। शाकाहारी वन्यजीवों को ककड़ी, खीरा, तरबूज दिया जा रहा है। भालू को सत्तू दिया जा रहा है, जो कि ठंडक देता है, इसके साथ ही भालू को फ्रूट आइसक्रीम भी दी जा रही है। वन्यजीवों को समय पर डाइट दी जा रही है। लगातार वन्यजीवों की सेहत का ख्याल रखा जा रहा है। जरूरत पड़ने पर आवश्यक दवा भी दी जाती है।
वन्यजीवों को पानी में घोलकर ग्लूकोज भी पिलाई जा रही है, जिससे शरीर में ठंडक बनी रहे. पार्क में मौजूद वन्यजीव कृत्रिम माहौल में प्रकृति से तालमेल बिठाने की जुगत कर रहे हैं और पार्क का प्रशासन भी उनके लिए मददगार बन रहा है। इस गर्मी इन वन्यजीवों को राहत दिलाने के लिए कुछ अनूठे प्रयोग किए जा रहे हैं, ताकि इनके प्राणों की रक्षा के साथ-साथ गर्मी का समाधान भी तलाशा जा सके।
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