समस्या रही जस की तस और डाक विभाग ने दिखा दी निस्तारित
आन लाइन पोर्टल पर मजाक बनकर रह गया है समस्याओं का निस्तारण
डाक विभाग के आला अफसरों का गैर जिम्मेदाराना रवैया बन रहा जमाकर्ताओं की परेशानी का सबब
चोपन सोनभद्र।
10 वर्षीय राष्ट्रीय बचत पत्रों का परिपक्वता पर भुगतान जमाकर्ताओं के जी का जंजाल बन गया है। जन समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु सरकार के आनलाइन पोर्टल पर दर्ज समस्याओं का समाधान डाक विभाग के आला अफसरों की मनमानी से केवल कागजी खाना पूर्ति बन कर रह गया है जबकि जनसमस्याएं ज्यों कि त्यों हैं। अधिकारी जन समस्याओं के निदान के प्रति कितने सजग हैं इसका अंदाज डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली से सहज ही लगाया जा सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार एक दशक पूर्व डाकघरों द्वारा जारी 10 वर्षीय राष्ट्रीय बचत पत्रों को तत्कालीन विभागीय लोगों की लापरवाही से आनलाइन दर्ज नही किया गया और अब जब उन बचत पत्रों के परिपक्वता भुगतान का समय आया तो संबंधित डाकघरों में जमाकर्ताओं को विभागीय औपचारिकताएं पूर्ण कर भुगतान का चेक सोनभद्र जनपद के प्रधान डाकघर सोनभद्र में जाकर लेने को कहा जा रहा है।डाक विभाग की यह तुगलकी कार्यप्रणाली न केवल जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी है अपितु राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान करने वाली भारत सरकार की अल्प बचत योजनाओं को पलीता लगाने जैसी है।
चोपन डाकघर के जमाकर्ताओं की इस समस्या को गत माह तमाम समाचार पत्रों ने प्रमुखता से उठाया था और जनहित में इस मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता और चोपन उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष संजय जैन ने भारत सरकार के आनलाइन पोर्टल पर दिनांक 19 /3/2024 को शिकायत भी दर्ज कराई थी। जिसमें विभागीय अधिकारियों से जनहित में जमाकर्ताओं को भुगतान उनके निवेशित डाकघर शाखा से कराये जाने एवं विभागीय लापरवाही के चलते आनलाइन दर्ज होने से छूट गए आफलाईन बचत पत्रों को आनलाइन दर्ज करने की मांग की गई थी।प्रकरण की जांच विभाग द्वारा मीरजापुर मंडल के अधीक्षक को सौंपी गई थी।जांच के क्रम में अधीक्षक महोदय ने समस्या का समाधान किये बिना ही समस्या को निस्तारित दिखा कर शिकायत संदर्भ को बन्द कर दिया।शिकायत कर्ता श्री जैन ने जांच अधिकारी के इस कार्यशैली की कड़ी निंदा करते हुए इसे जमाकर्ताओं के साथ मजाक बताया है। श्री जैन ने पुनः इस प्रकरण में अपना फीडबैक देते हुए जमाकर्ताओं की समस्याओं के सार्थक समाधान की मांग की है।