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जामताड़ा प्रखंड के केलाही में तीन दिवसीय भागवत कथा का समापन मंगलवार को हुआ। मुख्य अजमान पन्नालाल मंडल व अंबालिका मंडल सहित समस्त ग्रामीण के सहयोग से भव्य धार्मिक अनुष्ठान हुआ। हरिद्वार से आए हुए हंसानंद गिरि महाराज ने श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भाग्य उदय होने पर ही भागवत कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। भागवत श्रवण के लिए सत्य, चित, आनंद इन तीनों का जागृत होना बहुत जरूरी है। सत्य कौन है जो हम देख रहे हैं, कल भी था, आज भी है और चैतन्य जो सबके अंदर है। कथा में कहा गया कि सोनका ऋषि 88 हजार ऋषि के साथ बैठकर यज्ञ कर रहे थे। यज्ञ करते-करते चिंतन होने लगा कि अब कलियुग आ गया है। आदमी के पास सब कुछ है, लेकिन धर्म-कर्म के लिए समय नहीं है। इसी समय सुत जी महाराज प्रकट हुए। सुत जी महाराज से हाथ जोड़कर कहा िक महाराज हमें एक समाधान बताइए िक कृष्ण की प्राप्ति कैसे होगी। उन्होंने कहा कि कलियुग के मनुष्यों के पास समय नहीं होगा। मृत्यु और काल के मुख पर बैठे होंगे, लेकिन समय नहीं होगा। इसलिए समय का सदुपयोग करने का भी महत्व बताया । सुत जी महाराज ने कहा कि कलियुग में भागवत के रूप में स्वयं भगवान विराजमान है। इसी भागवत ग्रंथ के श्रवण और शिक्षा ग्रहण से भगवान को पाना संभव है। कहा कि राजा परीक्षित ने भगवान सुखदेव से पूछा िक गुरुदेव जिस जीव की मृत्यु सातवें दिन होनेवाली है, उस जीव को अपने उद्धार के लिए क्या करना चाहिए। भगवान सुखदेव ने कहा कि उस जीव को भागवत महापुराण का श्रवण करना चाहिए। महाराज हंसानंद गिरि ने कहा िक भागवत सुनने के चार नियम हैं। प्रथम चित आसन पर बैठना चाहिए, भागवत श्रवण के दौरान बीच में भटकना , उठना उचित नहीं है, अपनी सांसों पर नियंत्रण रखना, अपनी संगत को अच्छा होना बताया, इंद्रियों को जीतना होगा, इंद्रियों के भटकने से धार्मिक कार्यों में मनुष्यों का ध्यान भटक जाता है। ऐसे ही विभिन्न भगवान की लीलाओं को उपदेशों के साथ श्रद्धालुओं भाव-विभोर हुए।
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