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झालावाड़| द्वारकाधीश मंदिर परिसर में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को कथा के आयोजक कर्ता शर्मा परिवार ने व्यास गद्दी व श्रीमद् भागवत कथा की पूजा अर्चना करके कथा वाचक पंडित महेश भाई तेहरिया का माला पहनाकर, तिलक लगाकर स्वागत किय
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कथा प्रारंभ करते हुए कथा वाचक महेश भाई तेहरिया ने सुंदर सा भजन ‘श्यामा प्यारी कुंज बिहारी, वृन्दावन में राधे-राधे बरसाना में राधे-राधे…’ के साथ वातावरण को राधामय कर दिया। सभी भक्तजन राधे-राधे गाते नजर आए। पंडित तेहरिया ने कथा में बताया कि पतिव्रत धर्म परायणता से बढ़कर कुछ श्रेष्ठ नहीं हो सकता। माता अनुसुइया की कथा सुनाते हुए कहा कि भारतीय नारी अपने पति को ही परमेश्वर मानती है पति की प्रसन्नता में ही ईश्वर की प्रसन्नता है यह केवल भारतीय नारी में ही संभव है। माता सती का दिव्य चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका आपके इष्ट का या गुरू, पति का अपमान हो या होने की आशंका हो तो उस स्थान पर कभी नहीं जाना चाहिए। सती की कथा में भी यही हुआ जब भगवान शिव की बात नहीं मानने पर सती का जो अपमान हुआ तब स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। कथा परिसर में सुन्दर शिव बारात की सजीव झांकी बनाई गई। सभी भक्तों की अपार भीड़ ने भोले बाबा का स्वागत किया तथा भगवान शिव-पार्वती के विवाह पर भक्तों ने कन्या दान किया तथा सुन्दर भजन ‘‘भोले बाबा की आई है बारात चलो री सखी दर्शन को, मां पार्वती का अटल सुहाग रहे, जब तक गंगा मैया में पानी रहे तब तक….’’ आदि भजनों पर सभी भक्तों ने नृत्य किया। कथा में ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। भक्ति के लिए कोई उम्र बाधक नहीं होती है। भगवान का स्मरण बचपन से प्रारम्भ करना चाहिए। कथा के अन्त में आयोजनकर्ता कृष्ण कुमार शर्मा, अरूण शर्मा, योगेन्द्र शर्मा ने आरती की तथा प्रसाद वितरण किया।
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