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राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को प्रदेश के सभी अस्पतालों की जांच करने और 2010 के प्रावधानानुसार उनमें उचित मानव संसाधन नहीं होने पर दंडात्मक कार्रवाई के लिए कहा है। वहीं मानव जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले अस्पतालों को सभी सरकारी योजनाओं सहित च
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साथ ही राज्य सरकार को भवानीमंडी के निजी अस्पताल में बच्चे की मौत पर उसके पिता को पांच लाख रुपए मुआवजा देने के लिए कहा है। राज्य सरकार को इसमें से आधी राशि दोषी नवजीवन हॉस्पीटल एंड रिसर्च सेंटर के प्रबंधन या दोषी चिकित्सकों से वसूलने की छूट भी दी है। आयोग के सदस्य जस्टिस आरसी झाला ने यह आदेश आशीष पारेता के परिवाद पर दिए।
क्या है पूरा मामला दरअसल परिवाद के अनुसार, 25 जनवरी 2023 को प्रार्थी के आठ साल के बेटे के पेट में दर्द होने पर उसे नवजीवन अस्पताल, भवानीमंडी ले गए। अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर शैलेन्द्र पाटीदार बताए गए, लेकिन इलाज अन्य डॉक्टर कुलदीप सिंह ने शुरू किया। बाद में अन्य डॉक्टर हरिवल्लभ ने आकर इलाज किया और डॉ. शैलेन्द्र पाटीदार को कुछ देर में आना बताया।
लेकिन दोपहर में उन्हें सूचित किया कि डॉ. पाटीदार शादी में गए हैं और वे नहीं आएंगे। इस दौरान बच्चे की तबीयत बिगड़ गई और उसे दूसरे अस्पताल में ले जाने के दौरान रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इसे आयोग में चुनौती देते हुए कहा कि हरिवल्लभ एमबीबीएस डॉक्टर ही नहीं है और अयोग्य डॉक्टर के इलाज के कारण उसके बेटे की मौत हुई है। आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
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