[ad_1]
राजस्थान में सैलानियों के ‘मन की बात’ को भांपते हुए सरकार और पर्यटन विभाग नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित करने पर फोकस कर रहा है। इसके साथ ही परंपरागत पर्यटन स्थलों पर नए रंग भरने की कोशिश चलती रहती है। इस बार भी राजस्थान के टूरिज्म के पिटारे से कई नई स
.
इतना ही नहीं, अब विलेज टूरिज्म भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। राजस्थान के गांवों की सुबह और शाम का अनुभव करने, वहां के रहन-सहन, खान-पान, धार्मिक आस्था, स्थापत्य कला और विचारों को जानने-समझने के लिए भी टूरिस्ट आ रहे हैं। ब्यावर का देवमाली ऐसा ही एक गांव है, जो राजस्थान के पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभर रहा है। अनुमान है कि देश के बेस्ट टूरिज्म विलेज का तमगा हासिल कर चुके देवमाली गांव में इस बार 50 लाख से ज्यादा सैलानी आ सकते हैं।
पढ़िए, इस बार राजस्थान में टूरिस्ट के लिए क्या नया होगा..
जयपुर में अब टाइगर सफारी भी जयपुर में लेपर्ड, लॉयन और एलीफेंट सफारी के बाद अब टाइगर सफारी भी शुरू हो गई है। 7 अक्टूबर 2024 को सीएम भजनलाल शर्मा ने नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में इसका लोकार्पण किया था। जयपुर राजस्थान ही नहीं, उत्तर भारत का अकेला शहर बन गया है, जहां एक ही शहर में इतनी वाइल्ड लाइफ सफारी का लुत्फ लिया जा सकता है।
नाहरगढ़ टाइगर सफारी में महज 200 रुपए खर्च कर सरिस्का और रणथंभौर की तर्ज पर वन्य जीव प्रेमी एक घंटे तक बाघों का करीब से दीदार कर सकते हैं। 4.5 करोड़ रुपए की लागत में तैयार टाइगर सफारी के चारों ओर फेंसिंग है, इसके साथ ही आउटर ट्रैक भी है। सफारी के अंदर शेल्टर और वाटर पॉइंट भी है। सेल्फी पॉइंट्स भी खास आकर्षण है।
उदयपुर के सिटी पैलेस के हाथी अगड़ में रियासत काल में हाथियों को युद्ध अभ्यास कराने के प्राचीन दृश्य को जीवंत किया गया है।
उदयपुर के सिटी पैलेस में ‘हाथियों का युद्ध अभ्यास’ उदयपुर में सिटी पैलेस के हाथी अगड़ में रियासत काल में महावतों के हाथियों को युद्ध अभ्यास कराने के प्राचीन दृश्य को जीवंत किया गया है। इसके लिए सितंबर 2024 में युद्ध अभ्यास करते हाथियों के फाइबर के दो स्टैच्यू लगाए गए हैं। इनके साथ पर्यटक फोटो खिंचवा सकते हैं और उस दौर की जानकारी ले सकते हैं। इनका निर्माण महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट ने करवाया है। मूर्तिकार फकीर चरण परिडा ने इन्हें बनाया है।
मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बताया- सिटी पैलेस के हाथी अगड़ में हाथियों को युद्ध अभ्यास कराने की प्राचीन परंपरा रही है। इस युद्ध अभ्यास के जरिए हाथियों को युद्ध कौशल और सवारी में पारंगत किया जाता था।
इतना ही नहीं, उदयपुर की पिछोला झील में इस साल डीजल की जगह बैटरी ऑपरेटेड बोट शुरू की गई है। इन इलेक्ट्रिक बोट में सवार होकर सैलानी झील का आनंद ले सकते हैं।
वाइल्ड लाइफ टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए चीरवा इलाके में फूलों की घाटी में टूरिस्ट के लिए स्पोर्टी एक्टिविटी शुरू की है। यहां सुबह 9:30 से शाम 5:30 बजे तक घूम सकते हैं। वयस्कों के लिए टिकट 300 रुपए और पांच से 18 साल के बच्चों का 100 रुपए है। म्यूजियम का टिकट 400 रुपए का है।
अजमेर की आनासागर झील में डबल डेकर क्रूज अजमेर की आनासागर झील में अब देशी-विदेशी पर्यटक डबल डेकर क्रूज का आनंद ले सकते हैं। यह देश और राजस्थान का पहला इलेक्ट्रिक क्रूज है। 4 अक्टूबर 2024 से यह क्रूज सेवा शुरू हुई है। सोलर एनर्जी से चलने वाले इस क्रूज में एक बार में 300 सैलानी बैठ सकते हैं। इसे पार्टी और सेलिब्रेशन के लिए भी बुक किया जा सकता है। क्रूज प्रोजेक्ट में 5 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। पहली मंजिल पूरी तरह से एयर कंडीशनर है। इसमें एक किचन, महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग टॉयलेट और एक डांस फ्लोर है। डांस फ्लोर पर डिस्को लाइट लगाई गई हैं। दूसरी मंजिल पर क्रूज का रूफटॉप है, जहां एक छोटा किचन भी है। क्रूज का इंटीरियर राजस्थानी थीम पर है। इसमें फास्ट फूड से लेकर राजस्थानी जायकों और अन्य प्रकार के खाने की भी व्यवस्था है।
बूंदी में 3KM की हेरिटेज वॉक बूंदी में टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से पर्यटन विभाग ने इस साल यहां हेरिटेज वॉक की शुरुआत की है। इसमें देशी-विदेशी पर्यटक बूंदी शहर के हेरिटेज की जानकारी ले सकेंगे। पुरानी हवेलियां, ओल्ड सिटी का हेरिटेज, लेक और मंदिर देख सकेंगे। सुबह 9 बजे से नवल सागर झील, गढ़ पैलेस, नाहर का चौहट्टा, चौगान गेट होते हुए गुजरने वाली इस तीन किलोमीटर की हेरिटेज वॉक में शहर के कई बड़े स्मारक आते हैं।
कोटा में चंबल रिवर फ्रंट की सैर कोटा में पिछले साल सितंबर में चंबल रिवर फ्रंट का लोकार्पण किया गया था। धीरे-धीरे यह पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। पर्यटक सुबह 10 बजे से रिवर फ्रंट का लुत्फ ले सकते हैं। कोटा बैराज डाउन स्ट्रीम क्रूज का टिकट 1500 रुपए प्रति व्यक्ति है, जिसमें फूड भी शामिल है। अब देश के किसी भी कोने से ऑनलाइन टिकट भी बुक कर सकते हैं। रिवर फ्रंट के 26 विभिन्न घाटों की सैर करने के लिए पर्यटकों को टिकट के रूप में 500 रुपए (विदेशी), सामान्य टिकट 200 रुपए और स्टूडेंट को 100 रुपए खर्च करने होंगे। जबकि पांच साल तक के बच्चों की एंट्री फ्री है।
रिवर फ्रंट के बैराज गार्डन में देश की सबसे ऊंची चंबल माता की मूर्ति लगाई गई है। इसे 20 मीटर पेडस्टल पर लगाया है। वियतनाम मार्बल से जयपुर में बनी इस प्रतिमा का वजन 20,800 क्विंटल है।
विलेज टूरिज्म में भी बढ़ रही सैलानियों की रुचि, पढ़िए- ऐसे गांव, जहां टूरिस्ट कर रहे सैर-सपाटा
विलेज टूरिज्म की मिसाल ब्यावर का देवमाली गांव अब गांव भी टूरिस्ट को आकर्षित कर रहे हैं। ब्यावर के मसूदा उपखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत के पास में स्थित देवमाली गांव इसकी एक मिसाल है। राजस्थान के इस गांव को देश के ‘बेस्ट टूरिज्म विलेज’ का अवॉर्ड मिला है। केंद्र सरकार ने 27 सितंबर को देवमाली को बेस्ट टूरिज्म विलेज के अवॉर्ड से नवाजा था। गांव की सरलता और खूबसूरती को निहारने हर साल यहां लाखों सैलानी आते हैं।
यहां लोगों के पास लग्जरी कारें तो हैं, लेकिन मकान कच्चे हैं। फर्श, छत, दीवारें, रसोई से लेकर बाथरूम तक सब कच्चे हैं। गांव में करीब 600 कच्चे घर हैं। निर्माण में गारे और मिट्टी का उपयोग किया गया है। लोग आज भी पारंपरिक चीजों का प्रयोग करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गांव का हर शख्स करीब 1100 साल पुराना भगवान देवनारायण को दिया वचन निभा रहा है। गांव की सारी जमीन भी भगवान के नाम पर है।
खास बात यह है कि देवमाली ‘जीरो’ क्राइम वाला गांव है। यहां आज तक न किसी के खिलाफ FIR हुई है और न कभी गांव में चोरी की वारदात।
सरपंच बोले- इस साल 50 लाख टूरिस्ट आने की उम्मीद गांव के सरपंच पीरू गुर्जर ने बताया- पिछले साल करीब 20 लाख देशी-विदेशी पर्यटक राजस्थान की ग्रामीण संस्कृति और विरासत का अनुभव करने यहां आए थे। बेस्ट टूरिज्म विलेज के रूप में देशभर में पहचान बनने के बाद उम्मीद है कि इस साल गांव में 50 लाख से ज्यादा पर्यटक आएंगे। उन्होंने कहा- इन दिनों 2 से 3 हजार पर्यटक रोज यहां आ रहे हैं। देवनारायण भगवान के मंदिर में छठी और धार्मिक आयोजनों में यहां एक से दो लाख श्रद्धालु इकट्ठा हो जाते हैं।
बकौल पीरू, वह गांव को देश ही नहीं, दुनिया के नक्शे पर सर्वश्रेष्ठ गांव बनाने के लिए रोप-वे, होम स्टे फैसिलिटी और नाइट कैंपिंग के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए सरकार से भी मांग की है। पर्यटकों को रात में गांव में ही रोकने के लिए गेर नृत्य, कालबेलिया, स्वांग, नाटक और गीत-संगीत के लिए भी योजना बना रहे हैं। विदेशी पर्यटकों की सुविधा के लिए गाइड तैयार करने पर ध्यान दे रहे हैं। इससे गांव के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
इन गांव में मिल सकता है इको-टूरिज्म का सुकून देवमाली के अलावा भी राजस्थान में कई ऐसे गांव और छोटे कस्बे हैं, जो इको-टूरिज्म यानी विलेज टूरिज्म के लिए परफेक्ट हैं। जहां टूरिस्ट को पर्यटन का सुकून मिल सकता है, लेकिन वहां अब भी टूरिस्ट का आना-जाना कम है। एक नजर उन डेस्टिनेशन पर-
फेस्टिवल और फेयर देते हैं टूरिज्म को बढ़ावा राजस्थान में टूरिज्म सीजन में अलग-अलग जगहों पर मेले, उत्सव, फेस्टिवल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन आयोजनों में देशी के साथ-साथ बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी आते हैं। वे न सिर्फ इन फेस्टिवल को एंजॉय करते हैं, बल्कि उनमें होने वाली प्रतियोगिताओं को एंजाॅय भी करते हैं।
एक्सपर्ट:
हुसैन खान, प्रेसिडेंट, होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान
रणविजय सिंह, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान
संजय कौशिक, टूरिज्म एक्सपर्ट
उपेंद्र सिंह शेखावत, डिप्टी डायरेक्टर, टूरिज्म डिपार्टमेंट
यह भी पढ़ें..
[ad_2]
Source link