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कोल्हान ही तय करेगा…किसकी सत्ता आएगी
झारखंड का दक्षिणी हिस्सा। मुंडा, संथाल, भूमिज और छोटी-छोटी अन्य जनजातियों की जमीन। हवा का रुख बता रहा कि राज्य के इसी हिस्से में सबसे तीखी लड़ाई लड़ी जाएगी। ऐसा इसलिए कि कोल्हान का रुख ही तय कर देता है कि किसकी सत्ता आएगी, किसकी जाएगी। 2019 का विधानसभा
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कोल्हान में NDA का खाता नहीं खुला तो सरकार चली गई। सत्ता के दावेदार दोनों गठबंधनों को कोल्हान की अहमियत का एहसास है। इसीलिए दोनों ओर से सबसे ज्यादा शह-मात का खेल यहीं खेला गया। इस चुनाव में तय होगा कि कोल्हान का ‘टाइगर’ बचा है या नहीं।
चुनाव में तय होगा कि कोल्हान का ‘टाइगर ‘बचा है या नहीं
भाजपा ने हर चेहरे को बांधा भाजपा ने कोल्हान का हर कील-कांटा दुरुस्त करने की कोशिश की है। उसने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पुत्र वधू पूर्णिमा दास साहू को जमशेदपुर पूर्वी सीट, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को पोटका से मैदान में उतार दिया है। राज्य में कोल्हान ही इकलौता क्षेत्र है, जहां चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटा-बहू-पत्नी को भाजपा चुनाव लड़ा रही है। पार्टी नेतृत्व ने इस बहाने कोल्हान की राजनीति को साधा है। हर चेहरे को क्षेत्र विशेष से बांध आपसी खींचतान की संभावना को ही खत्म कर दिया है।
चंपाई सोरेन जेएमएम छोड़ भाजपा में शामिल हुए तो उनकी जगह घाटशिला विधायक रामदास सोरेन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
चंपाई गए तो झामुमो ने कोल्हान को दिया नया चेहरा
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से झामुमो को बड़ा झटका लगा है। कल तक चंपाई ही कोल्हान में झामुमो का चेहरा हुआ करते थे। चंपाई, रांची में जिस दिन भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे थे, उसी दिन हेमंत सरकार ने घाटशिला विधायक रामदास सोरेन को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिला दी। इलाके को पार्टी का नया फेस दिया। घाटशिला वही क्षेत्र है, जहां से चंपाई के पुत्र बाबूलाल सोरेन इस बार अपनी पॉलिटकल पारी प्रारंभ कर रहे हैं।
भाजपा के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
कोल्हान क्षेत्र की हस्तियों का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन इसके सबसे बड़े नजीर होंगे। पूर्णिमा दास साहू की जमशेदपुर पूर्वी सीट से जीत-हार सीधे ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास तो पोटका से पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा की लड़ाई दोनों की जमीनी पकड़ परखेगी। सबसे दिलचस्प नजारा जमशेदपुर पश्चिमी में दिखेगा। यहां सरयू राय और मंत्री बन्ना गुप्ता मैदान में हैं।
दो चुनावों से समझिए कोल्हान का चुनावी महत्व
गठबंधन तोड़ना भाजपा को पड़ा था महंगा
2019 में बीजेपी का आजसू से गठबंधन तोड़ने का फैसला महंगा साबित हुआ, क्योंकि बाद में उसने पांच सीटों पर जीत का अंतर से ज्यादा वोट हासिल किए। वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी ने 29%, जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन ने 42%, आजसू ने 8%, और जेवीएम (पी) ने चार प्रतिशत वोट हासिल किया।
यदि बीजेपी, एजेएसयू, और जेवीएम (पी) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो उन्होंने इन 14 सीटों में से सात सीटें जीती होती। इसके अलावा अब चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को उम्मीद है कि वह इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण लाभ हासिल करेगी और इस चलन को उलट सकेगी।
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