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मध्य शहर को सीधे सुपर कॉरिडोर से जोड़ने वाला एमआर-5 डेढ़ दशक बाद भी अधूरा है। पहले राशि को लेकर, अब रहवासियों व जनप्रतिनिधियों व निगम के बीच समन्वय नहीं होने से अलाइनमेंट में उलझ गया है। मामला नगर व ग्राम निवेश विभाग के पास भेजा है, जहां से जवाब नहीं म
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इसलिए जरूरी है सड़क एमआर-5 मध्य शहर को सीधे सुपर कॉरिडोर से जोड़ता है। इसके बनने से सुभाष मार्ग का जो ट्रैफिक मरीमाता, बाणगंगा होते हुए उज्जैन तरफ जाता है, वह सीधे कंडिलपुरा से होकर सुपर कॉरिडोर से जुड़ जाएगा। इससे वीआईपी रोड, सुभाष मार्ग, 60 फीट रोड, एयरपोर्ट रोड के अलावा पर भी ट्रैफिक दबाव कम होगा। रोड से जुड़ी 100 से ज्यादा कॉलोनियों, लगभग इतने ही शैक्षणिक संस्थानों को भी फायदा होगा।
अलाइनमेंट मामला सुलझते ही काम होगा एमआर-5 के अलाइनमेंट का मामला फिलहाल टीएंडसीपी के पास भेजा है। वहां से जैसे ही अलाइनमेंट तय होगा, रोड के काम में तेजी आएगी। – अभय राजनगांवकर, अपर आयुक्त, नगर निगम
एमआर-5
- कुल लंबाई : 11.6 किमी
- चौड़ाई : 45 मीटर
- 2007 में इसकी शुरुआती प्लानिंग हुई। सर्वे हुआ।
- 2012 में लक्ष्मीबाई प्रतिमा से टाटा स्टील तक का हिस्सा बना
- 2016 में आईडीए ने फिर मार्किंग करवाई, पर बाधाओं के चलते काम शुरू नहीं हो सका
- 2019 से निगम बना रहा, अलाइनमेंट विवाद में फिर रुका
- कहां से कहां तक : तिलकपथ, इंदौर वायर फैक्टरी, लक्ष्मीबाई नगर मंडी, छोटा बांगड़दा, सांवरिया नगर से सुपर कॉरिडोर, बड़ा बांगड़दा चौराहे तक, यहां से प्रधानमंत्री आवास की मल्टी और हातोद रोड पर गांधी नगर से थोड़ा आगे जाकर मिलती है।
अलग-अलग हिस्सों में अधूरा पड़ा निर्माण मास्टर प्लान में 45 मीटर की यह सड़क अलग-अलग हिस्सों में बनी है। 2019 में चौथी बार काम शुरू हुआ, पर सुपर कॉरिडोर से वायर फैक्टरी तक के हिस्से में भी छोटा बांगड़दा स्कूल तक काम अधूरा है। इंदौर वायर की ओर से रुकमणि नगर वाले हिस्से में भी थोड़ा हिस्सा बनाकर छोड़ दिया। आईडीए वाले हिस्से में भी काम अधूरा है।
अभी अधूरे निर्माण से लोग हो रहे परेशान अधूरे निर्माण के चलते टाउनशिप व सुपर कॉरिडोर के आसपास शैक्षणिक, आईटी संस्थानों में जाने वाले हजारों लोग परेशान हो रहे हैं। शुरुआती हिस्से में स्टॉर्म वाटर लाइन और यूटीलिटी के चैंबर के सरिए खुले पड़े हैं। इस पर गड्ढे हैं। कहीं सीमेंट और कहीं डामर की होने से जॉइंट पर भी खराब स्थिति है। कहीं-कहीं सड़क पर 6 से 12 इंच की गैप है। लाइट नहीं होने से रात में निकलना भी मुश्किल रहता है।
मंडी व रहवासी क्षेत्रों को ज्यादा राहत होगी इस रोड पर मंडी के भारी वाहनों और सुखदेव नगर, व्यंकटेश नगर, छोटा बांगड़दा, सांवरिया नगर, रुकमणि नगर, लक्ष्मी बाई नगर मंडी, हम्माल कॉलोनी से आवाजाही का दबाव रहता है। यह सड़क बन जाए तो 100 से ज्यादा कॉलोनियां सीधे शहर और सुपर कॉरिडोर से जुड़ जाएंगी। इनको 3 से 4 किमी घूम कर नहीं आना होगा।
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