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दिल्ली में शून्य बिजली बिल पाने वाले लोगों की संख्या 17 लाख से कम है। आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि कुल 59 लाख घरेलू उपभोक्ताओं में से 70 फीसदी लोग 500 रुपये से 2000 रुपये तक का मासिक बिल देते हैं।
दिल्ली में शून्य बिजली बिल पाने वाले लोगों की संख्या 17 लाख से कम है। यही नहीं कुल 59 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ताओं में से 70 फीसदी लोग 500 रुपये से 2000 रुपये तक का मासिक बिल का भुगतान करते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को ऐसा दावा किया। इस दावे पर राष्ट्रीय राजधानी की सियासत गरमा गई है। सत्तारूढ़ AAP ने कहा कि दिल्ली सरकार देश में पहली सरकार है जो हर महीने 200 यूनिट बिजली मुफ्त दे रही है।
आधिकारिक सूत्रों ने बिजली विभाग के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि दिल्ली के 70 फीसदी से अधिक उपभोक्ता बिजली बिल का भुगतान करते हैं। इनमें लगभग 40 फीसदी लोग 2000 रुपये से ज्यादा मासिक बिल का भुगतान करते हैं। वहीं 14 फीसदी उपभोक्ता 1000-2000 रुपये के बीच बिजली बिल चुकाते हैं। लगभग 11 प्रतिशत लोग 500-1000 रुपये के बीच मासिक बिल का भुगतान करते हैं।
सूत्रों ने दावा किया कि दिल्ली में कुल घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग 28 फीसदी बिजली की खपत के लिए भुगतान नहीं करते हैं। इस जून में शून्य बिल वाले उपभोक्ताओं की संख्या 17 लाख थी। यह जुलाई और अगस्त में घटकर क्रमश: 16.67 लाख और 16.72 लाख रह गई थी।
इन दावों पर सियासत गर्म हो गई है। आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में आरोप लगाया कि भाजपा अधिकारियों पर दबाव बनाकर दिल्ली सरकार की मुफ्त बिजली योजना को रोकना चाहती है। AAP ने भाजपा को चुनौती दी कि वह अपने शासन वाले किसी भी राज्य में मुफ्त बिजली योजना लागू करके दिखाए।
वहीं भाजपा की दिल्ली इकाई के एक प्रवक्ता ने आम आदमी पार्टी पर बिजली सब्सिडी योजना और बढ़ते बिजली बिलों के मुद्दे पर दिल्लीवासियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार की बिजली सब्सिडी योजना से एक छोटा वर्ग लाभान्वित हुआ है। घरेलू उपभोक्ताओं और सभी वाणिज्यिक उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या में सबसे अधिक बिजली बिल का भुगतान करने के लिए मजबूर है।
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