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झारखंड में इंडिया गठबंधन में जारी प्रेशर पॉलिटिक्स के बीच कांग्रेस अब बैकफुट पर नजर आने लगी है। कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर के रोटेशन पर सीएम बनाने के बयान पर झामुमो के पलटवार के बाद कांग्रेस अब कदम पीछे खींचते नजर आ रही है। कांग्रेस ने पिछले दिनों विधानसभावार प्रभारियों का मनोनयन किया है, लेकिन पार्टी ने सिर्फ 33 विधानसभा क्षेत्रों के लिए ही प्रभारी बनाए हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस चुनाव समिति भी इन्हीं क्षेत्रों में जोर लगा रही है। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता इन्हीं क्षत्रों में सभा कर रहे हैं।
रांची की दावेदारी भी हुई कमजोर
कांग्रेस 33 सीटों के अलावा रांची-तोरपा सीट पर भी दावेदारी कर रही थी, लेकिन इन दोनों सीटों के प्रभारी नहीं बनाए जाने से उनका दावा कमजोर होता दिख रहा है।
कांग्रेस की सीटों पर झामुमो की नजर
कांग्रेस की कुछ सीटों पर झामुमो की भी नजर है। कांके, जगन्नाथपुर, रामगढ़, सिमडेगा समेत कांग्रेस की कुछ सीटें ऐसी हैं,जहां झामुमो की नजर है। झामुमो इनके अलावा उन सीटों पर भी संभावना तलाश रहा है, जहां कांग्रेस चुनाव तो लड़ती है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती। वैसी सीटों पर झामुमो जोर लगा रहा है, जबकि अपनी सीटें छोड़ने को भी तैयार नहीं है। मांडू सीट से दावा कर रहे कांग्रेस के जयप्रकाश भाई पटेल फिर से झामुमो का दामन थाम सकते हैं और पार्टी के प्रत्याशी बन सकते हैं।
कांग्रेस की सीटें भी हो सकती है कम
प्रेशर पॉलिटिक्स में कांग्रेस की सीटें भी कम हो सकती है। पार्टी जीत का रेसियो बरकार रखने के लिए कम सीटों पर भी समझौता कर सकती है। दावे किये जा रहे सीटों में से कांग्रेस वैसी पांच-छह सीटें जहां से पार्टी प्रत्याशी पिछले चुनाव में जीत नहीं सके थे उसे छोड़ सकती है। इसमें गठबंधन के विभिन्न घटक दलों के प्रत्याशी मैदान में उतर सकते हैं। कांग्रेस ने 2019 में 31 सीटों पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस पोड़ैयाहाट और मांडू सीट पर भी दावा कर रही है। वजह है कि पोड़ेयाहाट से झाविमो की टिकट पर लड़े प्रदीप यादव अभी कांग्रेस में हैं जबकि मांडू से भाजपा के टिकट पर जीते जय प्रकाश भाई पटेल भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं पिछले चुनाव में इन दोनों सीटों पर झामुमो ने भी प्रत्याशी उतारा था। ऐसे में इन दोनों सीट पर भी जिच के आसार जताये जा रहे हैं।
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