[ad_1]
झारखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा नियुक्ति घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले को सीबीआई जांच के लिए पूरी तरह फिट बताया। साथ ही इससे जुड़े सभी दस्तावेज केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपने का निर्देश भी दिया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद 20 जून 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा में नियुक्ति में गड़बड़ी को लेकर वर्ष 2007 में एक सीडी वायरल होने के बाद मामले की जांच की मांग की गयी थी। इस पर विधानसभा ने एक जांच कमेटी बनायी थी, लेकिन कमेटी ने जांच पूरी नहीं की। इसके बाद वर्ष 2014 में राज्यपाल की सहमति से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग का गठन कर जांच करायी गयी।
आयोग ने वर्ष 2018 में राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें झारखंड विधानसभा के गठन के बाद से नियुक्ति और प्रोन्नति नियमावली में छेड़छाड़ और ब्लैंक आंसरशीट पर भी नियुक्तियां होने की बात कही गई। साथ ही वायरल सीडी की जांच पूरी तरह नहीं होने का जिक्र करते हुए राज्यपाल से मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
मामले से जुड़ी खास बातें
● झारखंड के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में 274 लोगों की नियुक्ति हुई थी। 70 लोग एक जिले से बहाल हुए थे।
● स्पीकर आलमगीर आलम के कार्यकाल में 324 लोग नियुक्त किए गए थे।
● स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता पर गलत तरीके से लोगों को प्रोन्नत करने का आरोप।
सरकार ने रिपोर्ट मानने से किया था इनकार
पूर्व की सुनवाई में सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया था कि जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट कानूनी रूप से रिपोर्ट नहीं मानी जाएगी। रिपोर्ट को सरकार के समक्ष पेश करना चाहिए था, पर सीधे राज्यपाल को दे दिया गया। राज्यपाल ने जस्टिस विक्रमादित्य की रिपोर्ट सरकार को नहीं दी। इस कारण विधानसभा पटल पर उसे छह माह के भीतर एक्शन रिपोर्ट को नहीं रखा जा सका। जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट में कई त्रुटियां भी थीं एवं उस आयोग की कई अनुशंसाएं भी अस्पष्ट थीं। इन त्रुटियों को देखते हुए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की एक कमीशन बनानी पड़ी।
जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने स्वीकार कर ली है और उसे विधानसभा के सदन पटल पर रखा जा चुका है। जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की रिपोर्ट ही फाइनल रिपोर्ट है।
स्पीकर के निर्णय न लेने पर मामला हाईकोर्ट पहुंचा
आयोग की सिफारिश पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। याचिका में कहा कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग ने मामले की जांच कर वर्ष 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को कार्रवाई करने का निर्देश दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। स्पीकर मामले को लंबा खींच रहे हैं। मामले में देरी होने से गलत तरीके से चुने गए अधिकारी सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
[ad_2]
Source link