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51 साल पुरानी बात है। देश के तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि के प्राइवेट आई सर्जन और देश के बड़े डॉक्टरों में शुमार डॉ. एनएस जैन की पत्नी विद्या का मर्डर कर दिया गया।
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वे घर के बाहर कार में बैठने जा रही थीं। तभी 2 युवकों ने उनपर हमला बोल दिया। दोनों ने उन पर चाकू से ताबड़तोड़ 14 वार किए। उन्हें वहीं पास बह रहे नाले में फेंक दिया। इस दौरान डॉ. एनएस जैन कार की दूसरी तरफ खड़े थे।
पुलिस ने इंवेस्टिगेशन कर मामले का खुलासा किया तो हर कोई हैरान रह गया। विद्या जैन के मर्डर में 5 युवकों को गिरफ्तार किया गया था। 2 युवक राजस्थान से पकडे़ गए, जिन्हें बाद में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। बाकी 3 दोषियों को उम्रकैद हुई थी।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
डॉक्टर नरेंद्र सिंह तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि के प्राइवेट आई सर्जन थे। उनकी पत्नी का मर्डर पूरे देश के लिए चौंकाने वाली घटना थी।
दिल्ली के डॉक्टर नरेंद्र सिंह जैन अपनी 6 बहनों के इकलौते भाई थे। डॉक्टर जैन के पिता बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे।
नरेंद्र सिंह जैन ने स्कॉलरशिप से मेडिकल की पढ़ाई की। साल 1960 आते-आते दिल्ली के सबसे मशहूर आई स्पेशलिस्ट बन गए। साल 1969 में देश के राष्ट्रपति बने वी वी गिरी को आंख की समस्या थी। ऐसे में डॉक्टर जैन को राष्ट्रपति का पर्सनल डॉक्टर बनाया गया था। हालांकि इस दौरान वो अपनी पर्सनल प्रैक्टिस भी कर रहे थे।
डॉ. एनएस जैन 4 दिसंबर 1973 को शाम में लगभग 7.15 बजे नई दिल्ली के पॉश इलाके डिफेंस कॉलोनी स्थित अपने घर डी-291 वापस आए। उन्होंने घर में घुसते ही पत्नी विद्या जैन को तैयार होने के लिए कहा। बोले- ‘चलो आज जीजी के यहां चलते हैं। हमें काफी दिन हो गए हैं। उनके घर नहीं गए। ये सुनते ही विद्या जैन बोलीं- ‘सही है, अभी तैयार होती हूं।’ डॉक्टर जैन की बहन उन्हीं के पड़ोस में सी-489, डिफेंस कॉलोनी में रहती थीं।
डॉक्टर जैन और उनकी पत्नी विद्या घर के बाहर खड़ी अपनी फिएट कार (डीएलवी 4847) में वहां जाने वाले थे, जो बगल के घर नंबर डी-292 के गेट के सामने पार्क की हुई थी। जैसे ही विद्या जैन रेडी हुई तो दोनों पति-पत्नी कार की तरफ बढ़े। डॉक्टर जैन कार की दायीं तरफ चले गए। कार का गेट खोल अंदर बैठने लगे। उनकी पत्नी विद्या जैन कार में बैठने के लिए बायीं तरफ चली गईं।
डॉक्टर जैन ने देखा कि विद्या अब तक कार में नहीं बैठी हैं। डॉक्टर जैन हैरान थे। उन्होंने तुरंत कार से बाहर निकल देखा। वहां साइड में नीचे नाले की तरफ कोई लहूलुहान हालत में पड़ा कराह रहा था। डॉक्टर जैन कुछ समझ पाते तभी अचानक दो लोग उनके सामने आकर खड़े हो गए। उनमें से एक ने उन पर पिस्तौल तान दी। इसके बाद वो दोनों शख्स उन्हें धमकाते हुए भाग गए।
अब तक डॉक्टर जैन ने चिल्लाकर आस-पड़ोस के लोगों व अपने घर में काम करने वाले नौकरों को बाहर बुला लिया था। नीचे नाले में गौर से देखा तो पता चला कि नाले में डॉक्टर जैन की पत्नी विद्या ही है।
उन पर चाकू से ताबड़तोड़ वार किए गए थे। आस-पड़ोस के लोगों और डॉक्टर जैन के नौकरों की मदद से घायल विद्या को नाले से बाहर निकाला गया। डॉक्टर जैन ने उन्हें अपनी कार में लेटाया। खुद कार ड्राइव कर तिलक ब्रिज के पास डॉ. सैन के नर्सिंग होम ले गए। जहां शाम करीब 7.45 बजे डॉ. एस.के. सैन ने विद्या जैन को मृत घोषित कर दिया।
डॉक्टर एस.के. सैन और डॉक्टर एनएस जैन पहले से एक-दूसरे से परिचित थे। ऐसे में उन्होंने तुरंत डॉक्टर जैन के साले और विद्या जैन के भाई जनरल वरिंदर सिंह को फोन किया और घटना की जानकारी दी। उन्होंने अपने रिसेप्शनिस्ट को भी पुलिस को इन्फॉर्म करने के निर्देश दिए।
बहन के मर्डर की सूचना मिलते ही जनरल वरिंदर सिंह नर्सिंग होम पहुंचे। उन्होंने यहां से लेफ्टिनेंट गवर्नर, पुलिस महानिरीक्षक और तत्कालीन रक्षा सचिव गोविंद नारायण को कॉल लगाया और इस घटना की इत्तिला दी। इसके बाद वरिंदर सिंह ने पुलिस कंट्रोल रूम में भी घटना की जानकारी दे दी।
पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना रात 8 बजाकर 22 मिनट पर डिफेंस कॉलोनी पुलिस स्टेशन को भेजी गई। इस दौरान उन्होंने गलती से डॉक्टर जैन का घर नंबर डी-291 की जगह डी-29 बता दिया। इस वजह से पुलिस टीम रात में एक घंटे तक डिफेन्स कॉलोनी के चक्कर काटती रही। आखिर में पुलिस टीम ने दुबारा कंट्रोल रूम में बात कर घर के नंबर के बारे में पूछा तो पता चला कि सही नंबर डी-291 है।
दरअसल उस दिन डिफेंस कॉलोनी पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर छुट्टी पर थे। हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के SHO इंस्पेक्टर दयजीत सिंह के पास डिफेंस कॉलोनी पुलिस स्टेशन की देखभाल का एक्स्ट्रा चार्ज था।
ऐसे में रात साढ़े 9 बजे के करीब इंस्पेक्टर दयजीत सिंह घटनास्थल पर आए। यहां उन्हें पता चला कि डॉक्टर जैन अपनी पत्नी विद्या की बॉडी के साथ डॉ. सैन के नर्सिंग होम में हैं। उन्होंने सब इंस्पेक्टर दीप चंद को क्राइम स्पॉट पर छोड़ दिया और खुद डॉ. सैन के नर्सिंग होम की ओर चल दिए।
यहां डॉक्टर जैन ने इंस्पेक्टर दयजीत सिंह को रिपोर्ट देते हुए बताया- ‘आज शाम करीब 7.15 बजे मैं चांदनी चौक ऑफिस से डिफेंस कॉलोनी स्थित अपने घर पहुंचा। मैं अंदर आया और वाशरूम में गया। इससे पहले मैंने पत्नी विद्या से कहा कि आज वह मेरे साथ मेरी बहन श्रीमती एस.के. जैन से मिलने सी-489 डिफेंस कॉलोनी में चले। हम दोनों वहां जाने के लिए घर के गेट से बाहर निकले और डिफेंस कॉलोनी के घर नंबर डी-292 के सामने खड़ी मेरी कार की ओर बढ़े।’
‘मैंने कार में बैठ गया। इसी दौरान मैंने कुछ हाथापाई की आवाज सुनी। मुझे अंदेशा हुआ कि कुछ गड़बड़ है। मैं पत्नी को लेकर डर गया। कार से आया तो घर की दीवार के साथ-साथ बहने वाले नाले में कुछ गड़बड़ लगी।’
‘मैंने झुककर नाले में देखा तो वहां एक शख्स को पड़े हुए देखा। मैं मदद के लिए पागलों की तरह चिल्लाने लगा। उस समय एक आदमी नाले से बाहर कूदा। उसने मेरी ओर रिवॉल्वर लहरा दी। इसके बाद वो और उसके साथ एक और शख्स वहां से भाग गए।
तभी मुझे एहसास हुआ कि नाले में मेरी पत्नी विद्या जैन थी, जो वहां दर्द से कराह रही थी। इस बीच, मेरे मेहमान ठाकुर राम सिंह और उनकी पत्नी किरण बाई और नौकर कुंदन सियाघ व गंगा सिंह वहां आ गए और मेरी पत्नी को उठाया। मैंने तुरंत अपनी पत्नी को कार में लेटाया और डॉ. सैन के नर्सिंग होम ले आया। नर्सिंग होम पहुंचने पर मेरी पत्नी को डेड घोषित कर दिया गया।’
‘मैंने वहां नाले के पास से लगभग 25 से 35 वर्ष की उम्र के दो लोगों को भागते देखा था। उनकी लंबाई लगभग 5 फ़ीट 7 इंच थी। उनकी दाढ़ी नहीं थी और बाल बिखरे हुए थे। वे सफेद धोती और सफेद शर्ट पहने हुए थे। उन दोनों ने ही मेरी पत्नी विद्या जैन की हत्या की है।’
इसके बाद विद्या जैन के मर्डर की FIR रजिस्टर्ड कर इंस्पेक्टर डायजीत सिंह ने सब इंस्पेक्टर राम मेहर को मामले की जांच के निर्देश दिए। वहीं अन्य पुलिसकर्मियों को शव की रखवाली करने और उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजने को कहा।
इंस्पेक्टर डायजीत सिंह वापस क्राइम स्पॉट पर गए और बाकी गवाहों के बयान दर्ज किए। उन्होंने कार DLV 4847 और किरण बाई व राम सिंह के खून से सने कपड़े भी कब्जे में ले लिए। किरण बाई व राम सिंह ने ही लहूलुहान हालत में विद्या जैन को नाले से बाहर निकाला था, इसी वजह से उनके कपड़ों पर भी खून लग गया था।
इसके बाद अगली सुबह 5 दिसंबर, 1973 को इंस्पेक्टर दयजीत सिंह ने क्राइम स्पॉट को बारीकी से स्कैन किया। नाले से एक .303 जिंदा कारतूसऔर साथ ही विद्या जैन द्वारा पहने गए कुछ सुनहरे मोती बरामद किए। इसी दिन सुबह 11.30 बजे डिफेंस कॉलोनी पुलिस स्टेशन के SHO इंस्पेक्टर जगमाल सिंह ने ड्यूटी ज्वॉइन कर ली और इंस्पेक्टर दयजीत सिंह से अपने थाने का चार्ज ले लिया।
इधर 5 दिसंबर को सुबह 11 बजे विद्या जैन के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर भरत सिंह ने पुलिस को बताया कि विद्या जैन के ऊनी शॉल और बाकी कपड़ों पर चाकू से कई कट के निशान थे।
विद्या जैन के शरीर पर कुल 15 चोटों के निशान थे। 14 जगहों पर चाकू से वार किया गया था। वहीं एक चोट उनके शरीर को नाले में फेंकने से लगी थी।
पुलिस के सामने कई सवाल थे…
विद्या जैन की हत्या क्यों की गई?
क्या ये पुरानी दुश्मनी थी या लूट के इरादे से वारदात को अंजाम दिया गया?
पॉश कॉलोनी में मर्डर के बावजूद हत्यारे इतनी आसानी से बचकर कैसे भाग गए।
पार्ट-2 में पढ़िए इन सभी सवालों के जवाब…
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