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अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान का एमडीएस यूनिवर्सिटी में रविवार को शिक्षक सम्मेलन आयोजित हुआ। कार्यक्रम में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे शामिल हुए। राज्यपाल ने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का पहला शिक्षक जो होता है वह बच्चों क
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राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने संबोधित करते हुए कहा कि वह कभी भी स्वयं तो खुद किसी स्कूल में शिक्षक नहीं रहे। लेकिन उन्होंने शाखा में शिक्षित की जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने कहा कि रूस में एक विश्वविद्यालय के बाहर बोर्ड पर लिखा है कि किसी देश को बर्बाद करने के लिए बम की आवश्यकता नहीं है। उस देश की शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ दो, तो उसका राष्ट्र भी बिगाड़ सकता है। अगर उसकी शिक्षा अच्छी रही तो राष्ट्र भी अच्छा रहेगा। अगर सभी राष्ट्र को बनाना है तो शिक्षा ही महत्वपूर्ण है। शिक्षा का पहला शिक्षक जो होता है, वह बच्चों के माता-पिता होते हैं। बाद में स्कूल के शिक्षक होते हैं।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान नहीं मिलेगा तब तक उसे विद्यार्थी का ज्ञान सीमित ही रहेगा।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी यूट्यूब पर देखता हूं कि एक-एक साल के बच्चे कुछ ना कुछ काम करते रहते हैं। चाहे वह व्यायाम हो या पढ़ाई संबंधित चीज हो। इतनी छोटी आयु में उनके माता-पिता उन्हें यह ज्ञान देते होंगे।
उन्होंने एक वीडियो का उदाहरण देते हुए बताया कि एक वीडियो में एक छोटा बच्चा अपने पिता को करंट लगने पर टेबल पर खड़ा होकर बटन बंद कर बचाता है, मतलब उसे पता था की करंट लगने पर कैसे बचाव करना है। हमारे देश में भी इस तरह की शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने माहेश्वरी दयानंद सरस्वती और संत ज्ञानेश्वर की शिक्षाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि विद्यार्थियों की भौतिक क्षमता को बढ़ाएं। जब तक किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान नहीं मिलेगा तब तक उस विद्यार्थी का ज्ञान सीमित ही रहेगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में राष्ट्र निर्माण का भाव जागृत करने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में इसका समावेश किया गया है।
उन्होंने संबोधित करते हुए यह भी कहा कि कई बार यह देखने में आता है की शिक्षक जिस विद्यालय में पढ़ाते हैं उनके स्वयं के बच्चे उस विद्यालय में नहीं पढ़ते हैं। इसमें बदलाव की आवश्यकता है। शिक्षक अपने बच्चों को उस विद्यालय में पढ़ाएं जहां वह पढ़ाई कराते हैं।
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