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प्रेस कॉन्फ्रेंस करते सुमेर सिंह तंवर
प्रदेश बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। टिकट कटने के बाद से नाराज नेताओं के बागी सुर अब भी कायम हैं। 37 साल से प्रदेश सहित राष्ट्रीय टीम में सक्रिय रहे और हरियाणा चुनाव समिति सदस्य व अर्जुन नगर मंडल के पालक सुमेर सिंह तंवर ने आज सैकड़ों कार्यकर्त
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कॉन्फ्रेंस में इंद्रजीत सिंह पर कसा व्यंग्य
प्रदेश बीजेपी में दलित समाज के एक बड़े चेहरे के तौर पर पहचान रखने वाले तंवर के तीखे तेवर ने बीजेपी सहित कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा दी है। तंवर के कारण अब दलित समाज दूसरी जगह शिफ्ट होने की रणनीति बनाने में जुट गया है। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंद्रजीत सिंह पर व्यंग्य करते हुए सुमेर तंवर ने कहा कि वह सीएम बनने का सपना देख रहे हैं और इस वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है।
सुमेर सिंह तंवर
तंवर ने बीजेपी संगठन की सराहना करते हुए कहा कि प्रेशर पॉलिटिक्स का उपयोग कर जिस तरह से इंद्रजीत सिंह ने पार्टी नेताओं की टिकट पर कैंची चलाई उसका नुकसान बीजेपी को भुगतना पड़ेगा। पिछले नगर निगम चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि इंद्रजीत सिंह व उनके लोगों ने खुलेआम बीजेपी पार्षदों के खिलाफ काम किया, इसके सबूत भी दिए गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस चुनाव में जो लोग सालों से पार्टी से जुड़े हुए थे और जिताऊ प्रत्याशी थे, उनकी टिकट पर कैंची चलाकर एक प्रकार से वह विपक्ष को मजबूत करते नजर आ रहे हैं।
राव इंद्रजीत सिंह
राव इंद्रजीत पर लगाए आरोप
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दलित समाज ने वोट नहीं दिए थे और अब दलित नेताओं की उपेक्षा के चलते लग रहा है कि विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। पटौदी से टिकट की रेस में मौजूदा विधायक सत्यप्रकाश जरावता और सुमेर तंवर चल रहे थे। दोनों ही दलित चेहरे थे लेकिन तंवर का आरोप है कि इंद्रजीत सिंह ने पार्टी के बजाय अपनी इंसाफ मंच के लोगों को टिकट दिलाकर बीजेपी के लिए गड्ढे खोदने का काम किया।
बीजेपी-कांग्रेस के हाथ से छिटक सकता है दलित वोट
हालांकि जरावता ने पार्टी नहीं छोड़ी लेकिन उनकी इंद्रजीत से छत्तीस का आंकड़ा होने के चलते इसका खामियाजा पटौदी बीजेपी प्रत्याशी विमला चौधरी को भुगतना पड़ सकता है।दलित वोट खिसका तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है। गुरुग्राम में तंवर का दलित वोट बैंक पर अच्छा प्रभाव है। उनकी नाराजगी और बीजेपी से किनारा करने की वजह से अब दलित वोट बीजेपी-कांग्रेस के हाथ से छिटक सकता है। अब इसका फायदा बीजेपी से बागी होकर चुनावी रण में कूदे नवीन गोयल को मिलने की उम्मीद बनती नजर आ रही हैं।
मुकेश 2014 में बीजेपी से बगावत कर लड़े थे चुनाव
इसके पहले वैश्य समाज अपनी जाति के नवीन के साथ खड़ा होते नजर आ रहा है, तो उन्होंने पंजाबी, ब्राह्मण वोट बैंक में भी सेंध लगा दी है।समाज का साथ नहीं मिलने से बीजेपी-कांग्रेस की बढ़ी परेशानी कांग्रेस ने पंजाबी वोट तो बीजेपी ने पहली बार ब्राह्मण वोट हासिल करने के लिए इन्हीं जाति के मोहित ग्रोवर व मुकेश शर्मा को टिकट दी है। 2019 के चुनाव पश्चात ग्रोवर निष्किय रहे तो लोकसभा चुनाव में भी सामने नहीं आए।
वहीं मुकेश 2014 में बीजेपी से बगावत कर बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़े थे इसके चलते संगठन उनका साथ देते नजर नहीं आ रहा है। वहीं बीजेपी के ब्राह्मण चेहरे जीएल शर्मा का टिकट कटने पर ब्राह्मण समाज के कई संगठन नवीन गोयल का साथ देते नजर आ रहे हैं। बताया जाता है कि मुकेश के व्यवहार के कारण समाज उनके साथ खुलकर सामने नहीं आ रहा है। इसी के चलते नवीन गोयल का कुनबा लगातार बढ़ रहा है।
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