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<p style="text-align: justify;">हैदर अली आतिश का एक शेर है. बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो इक क़तरा-ए-खूं न निकला. कुछ-कुछ इसी की तर्ज पर एक कहावत भी है कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया. शायद इजरायल जैसे देश का हाल फिलवक्त वही है. ये वही इजरायल है, जिसकी खुफिया एजेंसी मोसाद की मिसालें दी जाती थीं, ये वही इजरायल है, जिसके अटैक सिस्टम पर दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञ रिसर्च करते थे. ये वही इजरायल है जिसका एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम इतना मजबूत कहा जाता था कि अमेरिका और रूस जैसे देश भी रश्क करते थे.</p>
<p style="text-align: justify;">अब इसी इजरायल की सारी सुरक्षा व्यवस्था, सारे एयर डिफेंस सिस्टम और सारे आयरन डोम को धता बताते हुए एक छोटे से देश यमन के हूती विद्रोहियों ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइल को इजरायल के बीचों बीच राजधानी तेल अवीव के पास लॉन्च करने में सफलता हासिल कर ली है. इसने इजरायल जैसे देश के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पिछले साल आयरन डोम को चकमा देकर इजरायल में घुसे थे 8 रॉकेट</strong><br />7 अक्तूबर, 2023 वो तारीख थी, जब फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर एक साथ करीब 8 हजार रॉकेट दागे थे. तब पहली बार न सिर्फ इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की आलोचना हुई बल्कि इजरायल के रक्षा कवच के तौर पर ख्यात आयरन डोम पर भी सवाल उठे. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने काउंटर अटैक लॉन्च करके इन सवालों को खामोश कर दिया. तब से अब तक के बीच करीब एक साल का वक्त बीतने वाला है. नेतन्याहू ने कहा कि जंग तब खत्म होगी, जब हमास खत्म होगा. तो न तो नेतन्याहू हमास को खत्म कर पाए और न ही जंग खत्म हो पाई. इस बीच ईरान ने भी हमास का परोक्ष तौर पर समर्थन कर दिया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हमास का साथ देने वालों को इजरायल ने दिया जवाब</strong><br />हमास के साथ और भी आतंकी संगठन जुड़ते गए. लेबनान का हिजबुल्लाह हमास के साथ आया. यमन के हूती हमास के साथ आए और सब मिलकर इजरायल के खिलाफ लड़ने लगे. इजरायल ने अपने तईं इसका जवाब भी दिया. लेबनान के हिजबुल्ला के सैकड़ों लड़ाके मारे. सैकड़ों हूती विद्रोही मारे. हमास के हजारों लड़ाके मार दिए. ईरान में घुसकर हमास के मुखिया का खात्मा किया और कई बड़े-बड़े आतंकियों का खात्मा किया, लेकिन वो अब भी जंग खत्म नहीं कर पाया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एक साल बाद फिर फेल हुआ इजरायल का आयरन डोम</strong><br />15 सितंबर को इजरायल के साथ जो हुआ, वो पहले कभी नहीं हुआ था. 15 सितंबर को यमन के हूती विद्रोहियों ने करीब 2600 किलोमीटर की दूरी से एक बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की, जो इजरायल के रक्षा कवच आयरन डोम को भेदते हुए राजधानी तेल अवीव के इलाके में गिरी. हालांकि, इस मिसाइल का निशाना तो तेल अवीव के जफा में बना एक मिलिट्री बेस था, लेकिन निशाना चूकने की वजह से मिसाइल एक खाली जगह पर गिरी और इजरायल को कोई नुकसान नहीं हुआ.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आयरन डोम की विफलता पर इजरायल में बवाल</strong><br />इसने इजरायल के उस दावे पर सवाल खड़े कर दिए, जिसमें वो बार-बार कहता है कि उसका आयरन डोम अमेरिका और रूस से भी ज्यादा ताकतवर है, लेकिन हूती विद्रोहियों ने ही अब इस आयरन डोम को भेद दिया है तो इजरायल में इसको लेकर बवाल शुरू हो गया है. इजरायली सेना खुद कह रही है कि अब तक तो हूती विद्रोहियों की मिसाइल को इजरायल की सेना लाल सागर के ऊपर ही बर्बाद करती रही है, लेकिन ये पहली बार है जब उसकी मिसाइल आयरन डोम को भेदते हुए तेल अवीव तक पहुंच गई है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कैसे तेल अवीव पहुंची मिसाइल?</strong><br />अब ये कैसे पहुंची है और आयरन डोम ने काम क्यों नहीं किया है, इसकी जांच चल रही है. वहीं ये बात भी साबित हो गई है कि जिस मिसाइल के जरिए हूतियों ने इजरायल पर हमला किया है, वो उनकी अपनी बनाई मिसाइल नहीं बल्कि ईरान की मिसाइल गदीर है. इसी गदीर के खतरे की वजह से ही इजरायल ने अपना आयरन डोम बनाया था. तो मलतब साफ है कि ईरान ने हूतियों के जरिए अपनी गदीर मिसाइल पर टेस्ट कर लिया है और इजरायल का आयरन डोम भी. इसका जो नतीजा है, वो बेहद खतरनाक है क्योंकि भले ही हूतियों की लॉन्च की हुई मिसाइल निशाने तक नहीं पहुंची, लेकिन अगर यही हमला ईरान करेगा तो फिर तबाही तय है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रक्षा मंत्री को बर्खास्त करेंगे नेतन्याहू?</strong><br />बाकी तो खबर ये भी आ रही है कि हमास से इतनी लंबी जंग के चलते अपने ही देश में अपने ही लोगों के निशाने पर आए नेतन्याहू अब इस हार का ठीकरा अपने रक्षा मंत्री योव गैलंट पर फोड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसा ही चलता रहा तो वो अपने रक्षा मंत्री को ही बर्खास्त कर देंगे. क्योंकि योव गैलंट चाहते हैं कि पहले जो इजरायली लेबनान के पास बंधक हैं, उन्हें रिहा करवाया जाए और तब इजरायल हमला करे, जबकि बेंजामिन नेतन्याहू चाहते हैं कि बंधक छूटें न छूटें, लेकिन इजरायल लेबनान पर हमला करेगा. ऐसे में शीर्ष नेतृ्त्व के इतने अंतरविरोधों के बीच नेतन्याहू पहले हमास, फिर हिजबुल्लाह, फिर हूती, फिर सीरिया और फिर ईरान के साथ कितनी और कब तक जंग लड़ पाएंगे, ये अपने आप में ऐसा सवाल है जिसका जवाब बेहद मुश्किल है.</p>
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