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घरौंडा विधानसभा में चुनावी प्रचार करते कांगेस प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर।
हरियाणा में घरौंडा विधानसभा पर बीजेपी और कांग्रेस में आमने-सामने की टक्कर नजर आने वाली है। बीजेपी ने अपने दो बार के सीटिंग एमएलए हरविंद्र कल्याण को मौका दिया है तो कांग्रेस ने लगातार हार का मुंह देखने वाले वीरेंद्र राठौर के हाथ में चौथी बार टिकट सौंप
.
बगावत की सुगबुगाहट ने कांग्रेस प्रत्याशी की नींद उड़ा दी। भूप्पी लाठर भी चुनाव के मैदान में कूदना चाहते थे और सतीश राणा कैरवाली भी। टिकट कटने का दर्द था, इसलिए बयानबाजी भी सामने आई। सतीश राणा ने एक बार तो आजाद की हुंकार भरी, लेकिन अगले दिन यह हुंकार अगले दिन नजर नहीं आई।
कांग्रेस से टिकट के दावेदार अनिल राणा को मानते कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर।
आजाद चुनव लड़ने पर किया था मंथन
सुरजेवाला-सैलजा गुट से प्रबल दावेदार भूपेंद्र लाठर ने मैदान में खुद को या फिर पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान को विधानसभा चुनाव में आजाद उतारने के लिए पंचायत में मंथन किया। समर्थक चाहते थे लाठर या फिर सांगवान कोई एक आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे।
लेकिन 10 सदस्यीय कमेटी ने मंथन किया और आजाद चुनाव लड़ने के फैसले को नकार दिया। जिसके बाद भूपेंद्र सिंह लाठर ने एक बयान दिया। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि वे कांग्रेस संगठन के लिए काम करेंगे और वोट मांगने का काम करेंगे, लेकिन राठौर के साथ मंच साझा करने से बचेंगे।
टिकट न मिलने पर नाराज चल रहे रघुबीर संधू को मानाते कांग्रेस प्रत्याशी राठौर।
ओबीसी के कोऑर्डिनेटर ने भी बदले सुर
हरियाणा कांग्रेस में ओबीसी सेल के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सतपाल कश्यप कोहंड के भी सुर कुछ बदले बदले से है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कांग्रेस प्रत्याशी का नाम तक लेने में परहेज किया। इतना ही कहा कि सतपाल कश्यप हुड्डा साहब के साथ है, कांग्रेस के साथ है और जो भी उम्मीदवार भेजा है हम उसके साथ खड़े है और उसको जीताने का काम करेंगे।
नाराज नेताओं को मनाने में जुटे
सूत्रों की माने तो कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर टिकट कटने से नाराज नेताओं को मनाने में जुटे है। किसी से मुलाकात की जा रही है तो किसी से फोन पर संपर्क साधा जा रहा है। चुनाव में किसी तरह की बगावत उनके खिलाफ न हो, इसलिए मंच पर भी उन नेताओं को पूरा सम्मान दिया जा रहा है। टिकट के दावेदार कांग्रेस नेता रघबीर संधू, अनिल राणा, सतीश राणा व अन्य के साथ भी राठौर की तस्वीरे सामने आई। जिसमें वे गले मिलते हुए नजर आ रहे है।
टिकट न मिलने पर नाराज चल रहे सतीश राणा को मानते वीरेंद्र राठौर।
आजाद प्रत्याशी के तौर पर हुंकार भरने वाले सतीश राणा भी कार्यकर्ता सम्मेलन के मंच पर दिखे। निर्मल स्टौंडी, नैनपाल राणा, राजेंद्र बेगमपुर, शेखर राणा व अन्य टिकट के चाहवान दिखे। राठोर रूठे हुओ को अपने साथ लाने में कामयाब हो गए, जो आजाद आना चाहते थे वे भी कांग्रेस का साथ और वोट मांगने के लिए तैयार हो गए।
क्या देंगे राठौर का साथ
ऐसे में देखने वाली बात यह है कि कांग्रेस के नेता कांग्रेस के प्रत्याशी का कितना साथ देते है? या फिर सिर्फ वे खड़े ही है? जिस तरह से लोकसभा चुनावों में दिव्यांशु बुद्धिराजा का साथ दिया गया था, कहीं ऐसा साथ तो कांग्रेस के नेता नहीं देना चाहते। कांग्रेस ने एकजुटता का परिचय नहीं दिया तो कांग्रेस के लिए घरौंडा सीट जीतने का सपना महज सपना बनकर ही रह जाएगा।
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