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प्रदेश में हुए पेपर लीक मामलों में एसओजी ने माफियाओं के बाद डमी कैंडिडेंट्स (मुन्नाभाई) पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अबतक 25 से ज्यादा डमी कैंडिडेट पकड़े जा चुके हैं। इनमें अधिकांश सरकारी कर्मचारी हैं।
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ये 100 से ज्यादा लोगों की जगह परीक्षा देकर उनकी सरकारी नौकरी लगवा चुके हैं। डमी कैंडिडेट के पकड़े जाने की भनक लगते ही कई आरोपी कर्मचारी फरार हो गए हैं। एसओजी ने इन के खिलाफ वारंट जारी कर इनाम घोषित किया है।
भास्कर ने 4 सबसे शातिर डमी कैंडिडेट के काले कारनामों की पड़ताल की। एक डमी कैंडिडेट तो 16 लोगों को पेपर पास करवा चुका है। एक इतना शातिर कि चार अभ्यर्थियों को आरएएस की मुख्य परीक्षा पास करवा चुका है। इतना ही नहीं 2 अभ्यर्थियों की जगह RAS का इंटरव्यू भी दे चुका है।
संडे बिग स्टोरी में पढ़िए- आखिर ये शातिर कैसे परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देने में कामयाब हो जाते थे?
5 लाख में सिलेक्शन की गारंटी देने वाला डमी कैंडिडेट
दाैसा के नांगल राजावतान का रहने वाले ग्रेड थर्ड टीचर रोशन लाल मीणा परीक्षार्थियों को 5 लाख रुपए में सिलेक्शन होने की गारंटी देता था। वह सगे भाई सहित 20 रिश्तेदारों के लिए डमी परीक्षार्थी बन चुका है। इनमें से 5 की सरकारी नौकरी लग चुकी है। रोशन 2013 से डमी कैंडिडेट के रूप में परीक्षा दे रहा था। इस बीच उसका 2017 में शिक्षक भर्ती में सलेक्शन हो गया था। इसके बावजूद वह जल्द पैसा कमाने के लालच में डमी अभ्यर्थी बन परीक्षा दे रहा था। रोशनलाल ने प्रदेश की 16 और केंद्र की 4 भर्ती परीक्षाएं दी। एसओजी ने एक गोपनीय शिकायत मिलने के बाद उसे अप्रैल में गिरफ्तार किया।
4 बार आरएएस मैन एग्जाम पास, 2 बार इंटरव्यू : एसओजी के डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि रोशनलाल मीणा डमी कैंडिडेट बनकर अब तक 4 बार आरएएस की मुख्य परीक्षा पास कर चुका है।
दो बार प्री व मैन पास करने के बाद इंटरव्यू तक पहुंच गया। हालांकि इंटरव्यू में फेल हो जाने के कारण उसका सिलेक्शन नहीं हो सका। जब एसओजी ने उसे गिरफ्तार किया वह दौसा के प्यारीवास में महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में थर्ड ग्रेड टीचर था।
इन 5 अभ्यर्थियों को दिलाई नौकरी
- अपने छोटे भाई कंचन लाल और सागर को पटवारी के पद पर नौकरी लगवाई।
- इंदावा गांव के मनीष मीणा के लिए रोशनलाल ने राजस्थान पुलिस की आईबी यूनिट की न केवल परीक्षा दी बल्कि इंटरव्यू देकर उसका सिलेक्शन कराया।
- 2018 की क्लर्क भर्ती परीक्षा में मनीष मीणा के भाई दिनेश का चयन करवाया।
- मनीष के मामा महेश मीणा के लिए डमी कैंडिडेट बनकर उसका एलडीसी के पद पर चयन कराया।
- एसआई भर्ती परीक्षा 2021 की परीक्षा में उसने मनीष मीणा के भाई दीपक मीणा की जगह डमी अभ्यर्थी बनकर परीक्षा दी। वह परीक्षा में तो पास हो गया लेकिन फिजिकल टेस्ट में फेल हो गया।
डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि जब रोशनलाल के पकड़ा गया तब आरोपी सागर अलवर जिले में पटवारी, दिनेश मीणा टोंक और महेश मीना दौसा में एलडीसी पद पर कार्यरत था। रोशनलाल की गिरफ्तारी की भनक लगते ही ये सभी सरकारी कर्मचारी फरार हो गए। एसओजी ने इनके खिलाफ वारंट जारी कर इनाम घोषित किया है।
पढ़ाई में होनहार, अंग्रेजी मीडियम स्कूल में चयन : रोशनलाल मीणा पढ़ाई में शुरू से होनहार स्टूडेंट रहा। उसने 2006 में 10वीं और 2008 में 12वीं कक्षा पास की। उसने स्कूल में टॉप किया था। इसके बाद बीएसटीसी की और 2017 में ग्रेड थर्ड टीचर बन गया। उसकी पहली पोस्टिंग अलवर के तिजारा में हुई। महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल के लिए हुए इंटरव्यू में उसका चयन हो गया।
उसे पिछले साल 5 अक्टूबर को दौसा के प्यारीवास गांव में नियुक्ति दी गई। यहां वह गणित पढ़ाता था और पोषाहार प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहा था। एसओजी अधिकारियों की मानें तो डमी अभ्यर्थी बनकर रोशनलाल ने एक करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित की। उसे निलंबित कर दिया गया है और अभी वह जेल में है।
30 लाख में बनी डमी कैंडिडेट सांचौर के सरनाउ की रहने वाली वर्षा विश्नोई खुद जोधपुर में स्कूल लेक्चरर थी। 30 लाख रुपए के लालच में एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में अपनी ही रिश्तेदार 2 बहनों के लिए डमी कैंडिडेट बनी। यह रुपए भरतपुर एसपी ऑफिस में तैनात सब इंस्पेक्टर जगदीश सियाग ने उसे दिए। वर्षा को सौदे के अनुसार 25 लाख रुपए मिल गए थे। लेकिन शेष 5 लाख रुपए के लिए इनके बीच विवाद चल रहा था। इसी बीच एसओजी की जांच में सब इंस्पेक्टर जगदीश की भूमिका सामने आने पर उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सामने आया कि खुद जगदीश 2014 में 10 लाख रुपए में नकल कर ही सब इंस्पेक्टर लगा था।
लेक्चरर ने 2 बहनों को कॉन्स्टेबल से बनाया थानेदार
एसआई भर्ती परीक्षा-2021 में राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल इंदुबाला और उसकी चचेरी बहन भगवती का चयन डमी कैंडिडेट के कारण हुआ था। इन दोनों की जगह लेक्चरर वर्षा बिश्नोई ने अलग-अलग दिन परीक्षा दी थी। एसओजी के अनुसार वर्षा ने 13 सितंबर को इंदुबाला और 14 सितंबर को भगवती बनकर परीक्षा दी। दोनों ने एसआई भर्ती परीक्षा पास की। इंदुबाला की मैरिट में 1139 वीं और भगवती की 239 वीं रैंक आई। भर्ती परीक्षा के तीसरे दिन वर्षा ने खुद के लिए भी एग्जाम दिया। उसकी 843वीं रैंक आई।
वर्षा से जब्त दोनों अभ्यर्थियों को बने फेक प्रवेश पत्र।
इंदुबाला और भगवती दोनों 2015 बैच की कांस्टेबल थी और इनकी पोस्टिंग जालोर में थी। एसओजी जांच में इंदुबाला के पेपर लीक गिरोह से जुड़े होने की जानकारी सामने आई। इनके पकड़े जाने के बाद एसओजी ने एसआई भर्ती परीक्षा 2014 और कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2015 को लेकर भी जांच में जुटी है।
वर्षा बिश्नोई ने तीन दिन चली परीक्षा में तीनों दिन दिए एग्जाम
परीक्षा की तारीख | एग्जाम सेंटर | परीक्षार्थी |
13 सितंबर 2021 | सिद्वार्थ पब्लिक सेंकडरी स्कूल, खिरणी फाटक, झोटवाड़ा | इंदुबाला बन दी परीक्षा |
14 सितंबर 2021 | चौधरी सी.सेंकडरी स्कूल, राकड़ी, सोडाला | भगवती बन दी परीक्षा |
15 सितंबर 2021 | टैगोर पब्लिक स्कूल, टैगोर नगर, अंबाबाड़ी, जयपुर | खुद के नाम पर दी परीक्षा |
वर्षा ने ऐसे दिया चकमा : वर्षा बिश्नोई ने एसआई भर्ती के तीनों दिन परीक्षा दी। पहले दो दिन डमी कैंडिडेट बनकर और तीसरे दिन खुद के नाम पर। इन तीनों ही प्रवेश पत्र पर नाम अलग-अलग थे लेकिन फोटो वर्षा का ही लगा हुआ था। एक प्रवेश पत्र पर वर्षा ने बिना चश्मा पहने फोटो लगाई थी और बाकी दो में चश्मे के साथ। प्रवेश पत्र पर अभ्यर्थी की फोटो स्कैन होने के कारण चेहरा इतना साफ नहीं थी। इसी का वर्षा ने फायदा उठाया और ममेरी बहनों के प्रवेश पत्र पर फोटो लगाकर परीक्षा दी। आरोपी वर्षा 3 साल पहले जोधपुर में पटवारी भर्ती परीक्षा में डमी कैंडिंडेट बनकर परीक्षा देते पकड़ी गई थी। वर्षा अभी फरार चल रही है। एसओजी उसकी तलाश में जुटी है।
डमी कैंडिंडेट का ‘ठेकेदार’ हनुमान प्रसाद मीणा
एसओजी के हत्थे चढ़ा हनुमान मीणा भर्ती परीक्षाओं में डमी कैंडिंडेट उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार के रूप में काम कर रहा था। वह जालोर, जोधपुर और पाली से डमी कैंडिंडेट लेकर आता था। टोंक के अलीगढ़ निवासी हनुमान ने हर नौकरी के अलग रेट तय कर रखे थे। वह पिछले 9 साल से डमी कैंडिंडेट के जरिए लोगों की नौकरी लगवा रहा था। इसके लिए उसने हर भर्ती परीक्षा के हिसाब से डमी कैंडिंडेट रख रखे थे।
एसओजी के अनुसार खुद हनुमान प्रसाद मीणा ने क्लर्क भर्ती परीक्षा 2018 लीक पेपर पढ़कर पास की थी। आरोपी ने टोंक-सवाईमाधोपुर में डमी कैंडिंडेट का अपना नेटवर्क तैयार कर लिया था। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह 7 भर्ती परीक्षाओं में 16 लोगों को नौकरी लगवा चुका है। इनमें से 9 सरकारी नौकरी कर रहे हैं।
एसआई भर्ती परीक्षा 2021 में भी हनुमान ने 3 परीक्षार्थियों के लिए डमी कैंडिंडेट की व्यवस्था की थी। इनमें से चेतन सिंह मीणा का चयन हो गया लेकिन देवली के नरेंद्र कुमार और देवली के ही सियाराम का इंटरव्यू में सिलेक्शन नहीं हो पाया था। एसओजी के अनुसार हनुमान मीणा पटवारी भर्ती परीक्षा, वन रक्षक भर्ती परीक्षा, बिजली विभाग में हेल्पर भर्ती परीक्षा, ग्राम विकास अधिकारी भर्ती परीक्षा, प्रयोगशाला सहायक भर्ती परीक्षा और संगणक भर्ती परीक्षा में डमी कैंडिंडेट के जरिए नौकरी लगा चुका है। इन सभी कर्मचारियों का रिकॉर्ड मंगाकर एसओजी इनके दस्तावेजों की जांच में जुटी है।
एसओजी ने डमी कैंडिंडेट की बढ़ती संख्या को लेकर भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी एजेंसियों को व्यवस्था में सुधार करने और सर्तकता बरतने को कहा है। साथ ही जांच में डमी कैंडिंडेट को शामिल करने और फर्जी फोटो तैयार करने को लेकर ये बातें सामने आई हैं।
शम्मी उर्फ छम्मी बिश्नोई, ग्रेड थर्ड टीचर
सांचोर जिले की रहने वाली शम्मी उर्फ छम्मी बिश्नोई पढ़ाई में शुरू से ही होशियार थी, जिसके कारण उसे जिले का पहला गार्गी पुरस्कार भी मिला था। पैसों के लालच में वह डमी कैंडिंडेट बनना शुरु कर दिया।
एसओजी के अनुसार शुरुआत में शम्मी ने 7 लाख रुपए तक लिए। इसके बाद उसने डमी कैंडिडेट बनने की कीमत 10 से 12 लाख रुपए तक तय कर दी। उसके टैलेंट को देखते हुए पेपर लीक माफियाओं ने उसे अपने गिरोह में ही शामिल कर लिया। इसके बाद से वह गिरोह द्वारा दिए गए टास्क को पूरा करती थी। पटवारी से लेकर सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा तक कई एग्जाम में डमी कैंडिडेट बनी।
जांच अधिकारी महावीर मीना ने बताया कि शम्मी विश्नोई 2018 से पेपर लीक गिरोह के साथ सक्रिय है। वह एसआई भर्ती परीक्षा से पहले दो बार पकड़ी जा चुकी है। पटवारी भर्ती परीक्षा और वन रक्षक भर्ती परीक्षा के मामले में अलग-अलग पुलिस थानों में केस दर्ज है। एक मामले में जमानत हो गई थी। वहीं बालोतरा थाने में दर्ज दूसरे मामले में ये वांटेड चल रही थी।
एसआई भर्ती परीक्षा 2021 परीक्षा में नाम आने के बाद एसओजी के निशाने पर थी। उसके बाद से वह फरार हो गई थी। एसओजी ने उस पर 70 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। जोधपुर पुलिस की स्पेशल टीम ने जुलाई में शम्मी को बरसाना से गिरफ्तार किया था। अभी वह जेल में बंद है।
एसओजी टीम वृंदावन (UP) पहुंची तो गायों की शोभायात्रा में छम्मी आरती करती हुई मिली थी।
परीक्षा में इन 3 तरह से शामिल होते थे डमी कैंडिंडेट
- वैकेंसी निकलने पर ही सौदा तय। ऑनलाइन फॉर्म भरते समय ही परीक्षार्थी की जगह डमी कैंडिंडेट की फोटो अपलोड कर दी जाती थी।
- परीक्षार्थी और डमी कैंडिंडेट की फोटो को फोटो मिक्सिंग एप से तैयार कर फॉर्म भरा जाता था।
- प्रवेश पत्र पर परीक्षार्थी की फोटो की जगह डमी कैंडिंडेट की फोटो लगाकर फर्जी प्रवेश पत्र तैयार किया जाता था।
AI और फोटो मिक्सिंग ऐप से तैयार करते फर्जी फोटो
एसओजी की पूछताछ और जांच में सामने आया है कि परीक्षा केंद्रों पर चकमा देने के लिए डमी कैंडिंडेट प्रवेश पत्र पर लगी फोटो मिक्सिंग ऐप के साथ एआई तकनीक से तैयार करते थे।
एसओजी के डीआईजी परिस देशमुख ने बताया कि फोटो मिक्सिंग ऐप के जरिए परीक्षार्थी और डमी कैंडिंडेट दोनों की फोटो को मिलाकर एक फेक फोटो तैयार की जाती थी। ये फोटो परीक्षार्थी और डमी कैंडिंडेट दोनों से मिलती जुलती होती थी। जिसके कारण परीक्षा और इंटरव्यू दोनों जगह ये चकमा देने में कामयाब हो जाते थे।
अव्वल दर्जे का शातिर रोशनलाल मीणा डमी कैंडिडेट बनने के लिए खुद ही फोटोशॉप से फर्जी फोटो तैयार करता था। एसओजी के अनुसार पूछताछ में उसने बताया कि वह खुद की और अभ्यर्थी की आधी-आधी फोटो को जोड़कर एक नई फोटो तैयार कर लेता था। ऐसी फोटो उससे और अभ्यर्थी दोनों से मिलती थी। उस फोटो से नया प्रवेश पत्र बनाकर परीक्षा देने जाता था। किसी तरह के सवाल उठने पर फोटो पुरानी बताकर बच जाता था।
25 से ज्यादा पर शिकंजा कसा, और भी होंगे गिरफ्तार
एसओजी के डीआईजी पारिस देशमुख ने बताया कि डमी कैंडिडेट एक बड़ी संख्या में सामने आए हैं। अभी तक 25 से ज्यादा डमी कैंडिडेट पकड़े जा चुके हैं, जिनका नाम कई परीक्षाओं में सामने आया था। इससे एसआईटी के गठन के बाद यह स्पष्ट हो गया कि डमी कैंडिडेट के सहारे चयन होना पेपर लीक की तरह एक बड़ी समस्या है। पहले इनके बारे में अनुमान लगाना भी मुश्किल था। अभी धीरे-धीरे और भी नाम सामने आ रहे हैं। रोशनलाल मीना ने जिन 5 लोगों को नौकरी लगाया था। उन सभी के खिलाफ वारंट जारी हो गया है। वे सभी अभी तक फरार हैं। डमी कैंडिडेट के जरिए नौकरी पाने वाली भी एसओजी की रडार पर हैं।
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