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इन दोनों के बीच बड़ी समानता ये है कि इन दोनों के पिताओं ने क्रमश: उन्हीं सीटों से 2019 में विधान सभा चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों को मुंह की खानी पड़ी थी। हालांकि, जयप्रकाश इस साल हिसार से लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे, जबकि सुरजेवाला 2022 में ही राजस्थान से राज्यसभा पहुंच चुके हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख खत्म हो चुकी है। कांग्रेस ने कुल 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि एक सीट माकपा को दी है। बुधवार को जब कांग्रेस ने देर रात अपने 40 उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट जारी की तो एक नाम ने सबसे ज्यादा चौंकाया, वह नाम था आदित्य सुरजेवाला का। उन्हें कैथल सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। आदित्य कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के छोटे बेटे हैं। इसी लिस्ट में पार्टी ने एक और नेता पुत्र को टिकट दिया था। वह हैं पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन, जिन्हें पंचकूला से उम्मीदवार बनाया गया है।
पार्टी ने इस चुनाव में कैथल में ही एक और दिग्गज नेता के बेटे को लॉन्च किया है, जिनका नाम है विकास सहारण। उन्हें जिले की कलायत सुरक्षित सीट से लॉन्च किया गया है। विकास सहारण हिसार से सांसद जयप्रकाश के बेटे हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि विकास अपने टिकट को लेकर इतने आश्वस्त थे कि टिकट मिलने से पहले ही उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन कर दिया था।
इन दोनों के बीच बड़ी समानता ये है कि इन दोनों के पिताओं ने क्रमश: उन्हीं सीटों से 2019 में विधान सभा चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों को मुंह की खानी पड़ी थी। हालांकि, जयप्रकाश इस साल हिसार से लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे, जबकि सुरजेवाला 2022 में ही राजस्थान से राज्यसभा पहुंच चुके हैं। ऐसी चर्चा लंबे समय से थी कि सुरजेवाला
कैथल से विधान सभा चुनाव लड़ेंगे लेकिन पार्टी ने उनकी जगह उनके बेटे को टिकट थमा दिया। सुरजेवाला को भी इसका अनुमान हो चला था, तभी उन्होंने अपने छोटे बेटे को इसके लिए तैयार कर लिया था।
सुरजेवाला वैसे तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में 2009 से 2014 तक मंत्री रह चुके हैं लेकिन माना जाता है कि वह हुड्डा गुट के विरोधी हैं और कुमारी सैलजा के गुट के सिपाही हैं। सैलजा को भी इस बार विधानसभा का टिकट नहीं मिला है, जबकि वह चुनाव लड़ना चाह रही थीं। पार्टी ने इस बार युवाओं को टिकट देने में तरजीह दी है। इसके अलावा सांसदों को विधानसभा चुनाव में नहीं उतारा है। इस फार्मुले से सुरजेवाला, सैलजा और जयप्रकाश को टिकट नहीं मिल सका है।
जयप्रकाश और सुरजेवाला दोनों को अंदाजा लग गया था कि उन्हें टिकट नहीं मिलने जा रहा। इसलिए दोनों नेताओं ने समय रहते ही अपने बेटों को कैथल में लॉन्च करवा दिया। टिकट वितरण से पहले सुरजेवाला ने कैथल में एक जनसभा की जिसमें उन्होंने छोटे बेटे आदित्य को लॉन्च किया। दूसरी तरफ जयप्रकाश सीधे तौर पर पार्टी आलाकमान पर बेटे को उतारने का दबाव बना रहे थे और उसमें सफल हो गए।
दोनों दिग्गज पुत्रों की राह नहीं आसान
कैथल विधानसभा सीट 2005 से 2014 तक सुरजेवाला परिवार के पास ही रही है। आदित्य के पिता रणदीप सिंह सुरजेवाला और दादा शमशेर सिंह सुरजेवाला भी यहां से विधायक रह चुके हैं। शमसेर सिंह सुरजेवाला 2005 से 2009 तक और रणदीप सिंह सुरजेवाला 2009 से 2014 तक यहां से विधायक रहे हैं। हालांकि, 2019 में उन्हें भाजपा के लीलाराम ने बहुत वोटों के अंतर से चुनाव हरा दिया। किसान आंदोलन और भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के बावजूद जहां भाजपा के लिए इस सीट को फिर से जीतना बड़ी चुनौती होगी, वहीं आदित्य के लिए विरासत को फिर से वापस पाना भी टेढ़ी खीर हो सकती है क्योंकि उनका मुकाबला सीटिंग विधायक से है।
इसके अलावा उनके खिलाफ दो और राजनीतिक गठबंधन मैदान में है, जो वोट काट सकते हैं। 2019 में रणदीप सुरजेवाला की हार मात्र 1246 वोटों से हुई थी, जबकि जजपा के उम्मीदार को 10 हजार के करीब वोट मिले थे और बसपा के उम्मीदवार को 2200 के करीब वोट मिले थे। इस बार जजपा और आजाद समाज पार्टी का एक गठबंधन है तो इनेलो और बसपा का दूसरा गठबंधन है, जो चुनाव लड़ रहे हैं।
कलायत में विकास सहारण का मुकाबला भाजपा के कमलेश ढांडा से है, जिन्होंने 2019 में विकास के पिता जयप्रकाश को करीब 9000 वोटों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में विकास को आप उम्मीदवार अनुराग ढांडा से भी मुकाबला करना होगा, जो उनके ही वोट बैंक में सेंधमारी करने उतरे हैं। इनके अलावा जजपा-आजाद पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार प्रीतम मेहरा कोलेखां भी मैदान में हैं।
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