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चार साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हत्या करने के आरोपी को निचली अदालत से मिली फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने बरकार रखा है। जबकि, इस मामले के उम्रकैद के एक आरोपी को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की अदालत ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया है। गिरिडीह की अदालत ने 22 सितंबर 2019 को रामचंद्र ठाकुर को फांसी और उसके पिता मधु ठाकुर को उम्रकैद की सजा सुनायी थी। दोनों दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जबकि सरकार ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एक चार वर्षीय मासूम का अपहरण कर दुष्कर्म करना और फिर उसकी हत्या कर शव खेत में फेंक देना यह बताता है कि हत्या पूरी तरह योजनाबद्ध थी। यह एक जघन्य हत्या है और इसके परिस्थिति जन्य साक्ष्य भी हैं। आरोपी के बयान के बाद ही बच्ची का शव मिला था। इस कारण इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मान कर दी गयी फांसी की सजा उचित है। इसलिए, प्रार्थी की अपील खारिज की जाती है। अदालत ने रामचंद्र के पिता के खिलाफ प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं पाए जाने के कारण उसे मामले से बरी कर दिया।
क्या है मामला- आरोपी का बच्ची के पिता के साथ चल रहा था विवाद
गिरिडीह के परसन ओपी क्षेत्र में (धनवार) 26 मार्च 2018 को दो बड़ी बहनों के साथ चार वर्षीय बच्ची बलि का मीट लाने गांव के ही मंडप गई थी। एक घंटे के बाद उसकी दोनों बड़ी बहनें शाम 7 बजे घर वापस आ रही थी, तो रास्ते में पिता को दोनों बहनें मिलीं, जिसके बाद छोटी बेटी के बारे में उन्होंने पूछा तो दोनों ने कहा कि रामचंद्र ठाकुर उसे गोद में उठा लिया और बोला कि वह घर पहुंचा देगा। उसके बाद पिता ने घर से निकलकर गांव में काफी खोजबीन की, लेकिन वह नहीं मिली। यही नहीं उसके साथ गांव के काफी लोग रात में उनकी बेटी को खोजते रहे, बाद में पूछताछ करने पर पता चला कि रामचंद्र ठाकुर भी घर पर नहीं था। जांच में सामने आया कि लड़की के पिता और रामचंद्र ठाकुर के पिता मधु ठाकुर के बीच विवाद चल रहा है। इसी कारण से उसकी बेटी का अपहरण रामचंद्र ठाकुर और मधु ठाकुर पर लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी।
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