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बेसहारा सुखदेव-महेंद्र अब किसी और के छोटे से कमरे में जीवन गुजार रहे हैं।
प्रदेश के कई जिले नशे की चपेट में हैं, लेकिन हनुमानगढ़, नागौर, श्रीगंगानगर और जोधपुर जिले के गांवों में एमडी, हेरोइन, अफीम, स्मैक, गांजा जैसे नशे हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ रहे हैं। इन जिलों के करीब 30 गांव तो नशे में बुरी तरह से घिर चुके हैं। यहां
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इधर, नागौर जिले के गांवों में पहले अफीम, डोडा चूरा का जोर था, लेकिन अब एमडी, स्मैक जैसे ड्रग्स घर-घर पहुंच रहे हैं। एमडी-स्मैक तस्करों की जमानत हो तो नशे के आदी युवा सोशल मीडिया पर स्टेटस लगाते हैं- ‘मेरा यार जमानत पर आया’। नागौर के रोल क्षेत्र में 12 मार्च को 60 लाख, 19 मार्च को 35 लाख के ड्रग्स बरामद हुए।
हनुमानगढ़ – बेटा खोया, अन्नपूर्णा रसोई से खाना ला देते हैं लोग
टिब्बी कस्बे में सुखदेवकौर-महेंद्रसिंह का 21 साल का इकलौता बेटा था सरजीत। डेढ़ वर्ष पहले नशे की ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। मौत के ढाई माह पहले परिवार को पता चला कि वह ड्रग्स के इंजेक्शन लगाता, गोलियां खाता है। अब बुजुर्ग मा-बाप को कोई सहारा नहीं है। आसपास के लोग अन्नपूर्णा रसोई से खाना लाकर देते हैं।
16 की उम्र से लग गई नशे की लत, 21 में मौत
टिब्बी के ही राजसिंह के 21 साल के बेटे परविंदर को भी ड्रग्स की लत ने लील लिया। 16 साल का था, तब से ही नशा करने लगा था। अब बेटे को याद कर पिता रोते रहते हैं। इसी कस्बे के हजारीराम के दो भतीजों की दो साल पहले नशे की लत से मौत हो गई। इनकी उम्र 25 तथा 27 वर्ष थी।
नागौर – जोधपुर – नशे की लत लगी, फिर तस्करी करने लगा
रोल क्षेत्र के चेनाराम को गांजे की लत लगी। फिर ड्रग्स बेचने लग गया। 2023 में तस्करी के दौरान नशे में था, तब सड़क हादसे में मौत हो गई। माता-पिता, पत्नी व 2 छोटे बच्चे अब बेसहारा हैं। ऐसा ही हादसा गगवाना में दो बेटियों के पिता भैरवलाल के साथ हुआ था। पत्नी ने दूसरी शादी कर ली। माता-पिता बेसहारा हैं।
स्मैक से मौत, अब कमाने वाला कोई नहीं
कापरड़ा में परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य 32 वर्षीय अर्जुन अप्रैल 2023 में स्मैक के ओवरडोज से मारा गया। पत्नी व मासूम बेटी बेसहारा हैं। बिलाड़ा के भावी गांव के रेलवे स्टेशन के पास पुराने रेलवे क्वार्टर में उसका शव मिला था। आरोप है स्टेशन के पास एमडी, स्मैक बिकती है। मृतकों व परिजन के नाम परिवर्तित हैं।
नशे ने बिगाड़ दी तस्वीर- झगड़े, चोरियां बढ़ीं, सूर्यास्त बाद आने से बचते हैं लोग
टिब्बी के एक पार्षद राममूर्ति बताते हैं- 8 वार्ड में नशे से एक वर्ष में 6 मौतें हुई हैं। हर तीसरे घर में चिट्टा, टेबलेट मिल जाएगा। झगड़े, चोरियां होती हैं। बाहरी लोग सूर्यास्त बाद आने से बचते हैं। बेटी ब्याहने से कतराते हैं। माता-पिता गृहक्लेश का केस दर्ज करवा बेटों को हवालात भेज रहे हैं, ताकि नशा छूटे। नशे के आदी युवा 1000 रु तक के बदले अपना बैंक खाता साइबर ठगों को सौंप रहे हैं।
4 जिलों के ये गांव भी प्रभावित
हनुमानगढ़ – तलवाड़ाझील, पीरकामड़िया, मसानी, सलेमगढ़, सूरेवाला, ख्यालीवाला की ढाणी, तारासिंह की ढाणी व बणी आदि। श्रीगंगानगर – गजसिंहपुर, केसरीसिंहपुर, श्रीकरणपुर, सूरतगढ़, खाटलबाना आदि। नागौर – फरड़ौद, भाकरोद, कुम्हारी, बासनी, सोमणा, सैनणी, बलाया, मूंडवा आदि। जोधपुर – सिलेरी, आगोलाई, भीलों की ढाणी, भावी, डांगियावास आदि।
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