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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान इमरजेंसी के बाहर पड़े राज कुमार निवासी नानऊ
– फोटो : संवाद
विस्तार
कोलकाता में जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में शुरू हुई जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पांचवें दिन 16 अगस्त को भी जारी रही। इससे यहां आने वाले मरीजों और तीमारदारों को परेशानी बढ़ रही है। उन्हें दूसरे अस्पतालों तक दौड़ लगानी पड़ी। इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर कमजोर तबके पर पड़ रहा है, जो निजी अस्पतालों में उपचार कराने में सक्षम नहीं हैं।
बीते पांच दिनों में तकरीबन एक हजार मरीज बिना उपचार के लौट गए। बुजुर्गों और महिला मरीजों को आने जाने में ज्यादा परेशानी हो रही है। वह अब इस हड़ताल पर अपना गुस्सा जाहिर करने लगे हैं। जेएन मेडिकल कॉलेज के आरडीए अध्यक्ष मोहम्मद आसिम सिद्दीकी का कहना है कि जब तक मृतक जूनियर डॉक्टर को इंसाफ नहीं मिल जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
जेएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर वसीम रिजवी का कहना है कि हड़ताल के चलते दिक्कत हो रही है लेकिन उसे दूर करने के लिए सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसर लगातार कोशिश कर रहे हैं। इमरजेंसी की सेवाएं यथावत हैं। ओपीडी में सीनियर डॉक्टरों ने मरीजों को देखा। हां, कुछ मरीज वापस जरूर जा रहे हैं।
मरीजों का दर्द
सांस फूलने और उल्टी की शिकायत पर दादों से आए अजीज अहमद को उपचार नहीं मिला तो वह वापस निजी अस्पताल की ओर जाने लगे। परेशानी में बोले-अब डॉक्टरों की हड़ताल आम बात हो गई है।
पिलखना निवासी आरिफ ईएनटी डॉक्टर से परामर्श लेने आए थे, लेकिन उन्हें मायूस लौटना पड़ा। डॉक्टरों ने उन्हें बाद में आने की सलाह दे दी। उन्होंने कहा कि वह दर्द से परेशान हैं, अब निजी अस्पताल जाएंगे।
चूहरपुर गभाना से आईं प्रीति भी उपचार नहीं मिलने से मायूस थीं। बोलीं-इतनी दूर से आए पहले दीनदयाल अस्पताल से मेडिकल कॉलेज भेज दिया। अब यहां भी कोई डॉक्टर नहीं देख रहा है। क्या करें।
हाथरस से आए जगदीश शर्मा ने बताया कि उन्हें पेशाब और मल त्याग करने में परेशानी हो रही थी।हाथरस के जिला अस्पताल से उन्हें जेएन मेडिकल कॉलेज भेजा गया, लेकिन यहां किसी ने नहीं देखा। अब दूसरे अस्पताल जा रहे हैं।
छर्रा से आए सतीश भी इमरजेंसी के गेट के बाहर स्ट्रेचर पर लेटे रहे। घंटों के इंतजार के बाद भी उन्हें डॉक्टरों ने नहीं देखा। वह कमजोरी और दर्द से परेशान थे। उनके परिजन बोले-अब किसी निजी अस्पताल जाना पड़ेगा।
भुजपुरा निवासी रुकैया को टीबी के साथ संक्रमण की शिकायत है। परिजनों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने उन्हें देखा नहीं। दीनदयाल अस्पताल ले जाने के लिए कह दिया।
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