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नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस पर लगातार 11वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। इस अवसर पर लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में वह अपनी सरकार का एजेंडा रखते हैं, रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते हैं, महत्वपूर्ण नीति और कार्यक्रम की घोषणा करते हैं। इसके साथ ही देश के सामने ज्वलंत मुद्दों के बारे में बात भी करते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर अपने तीसरे कार्यकाल के पहले संबोधन में वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पीछे छोड़ देंगे। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 के दौरान लाल किले की प्राचीर से 10 बार तिरंगा फहराया था। इस मामले में मोदी जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। नेहरू को यह सम्मान 17 और इंदिरा गांधी को 16 बार मिला था।
विकसित भारत का विषय उनके संबोधन में प्रमुखता से छाया रह सकता है। माना जा रहा है कि वह अपने संबोधन में बांग्लादेश में संकट की स्थिति, विशेष रूप से अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाए जाने का उल्लेख भी कर सकते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता कि कई हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को मजबूती से उठाया है और उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा की घटनाओं का विरोध सड़क पर उतर कर किया है।
मोदी इस बात पर विस्तार से चर्चा कर सकते हैं कि पिछले 10 वर्षों में शुरू किए गए सुधारों, विकास कार्यक्रमों और कल्याणकारी उपायों ने लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री के संबोधन में लोगों की नजर इस बात पर भी रहेगी कि क्या वह किसी नई पहल की घोषणा करते हैं या वर्तमान में लागू किए जा रहे कल्याणकारी कार्यक्रमों के दायरे का क्या विस्तार करते हैं। ऐसी भी संभावना है कि तीसरे कार्यकाल के लिए मोदी के पद संभालने के बाद से सरकार द्वारा लिए गए कुछ प्रमुख निर्णयों को वह अपने संबोधन में रेखांकित कर सकते हैं।
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