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बडलिया गांव में ग्रामीणों ने यात्रियों के लिए फलाहार की व्यवथा की।
भगवान शिव का जलाभिषेक के लिए हजारों कांवड़ियों ने रविवार दोपहर त्रिवेणी संगम बेणेश्वर धाम से कांवड़ में जल भरकर मंदारेश्वर की ओर कूच किया। बोल बम के नारों की गूंज के साथ भगवा वस्त्रों में कांवड़ियों के जत्थे के बाद जत्थे जब आगे बढ़े तो नजारा देखते ही
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गौरतलब है कि बांसवाड़ा में 41वीं कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। वर्ष 1983 में पहली बार कावड़ यात्रा निकाली गई थी।कावड़ियों की सेवा करने के लिए शहर और समाज के लोग उमड़ पड़े। शहर के 2 किलोमीटर के एरिया में करीब 18 सेवा स्टॉल लगाई गई। हेमू कॉलोनी चौराहे से लेकर महाराणा प्रताप चौराहे के बीच में ही छह स्टॉल लगाई गई। इन पर खाने-पीने की चीजों के साथ ही चिकित्सकीय सुविधा भी उपलब्ध रही। इधर, शहर के निकटवर्ती क्षेत्र में भी मार्ग पर बिजली व्यवस्था नहीं होने से अंधेरा पसरा रहा, जिससे कांवड़ियों को परेशानी हुई। पुलिस और प्रशासन की सती के चलते इस बार सेवा स्टॉल पर बहुत ही धीमी आवाज में डीजे साउंड सुनाई दिए। वहीं कई स्टॉल पर कांवड़िये नृत्य में मंगन दिखे। यात्रा में सभी आयु वर्ग के लोग उत्साह से शामिल हुए।
रास्ते में कावड़ियों की सेवा में जुटे लोग
हर साल की भांति इस साल भी 45 किमी के इस यात्रा के मार्ग में जगह जगह यात्रियों की सेवा के लिए स्टॉल लगाए गए। जहां रविवार दिनभर से लेकर रात को भी सेवा और मदद का काम जारी रहा। बड़लिया बस स्टैंड पर कावड़ियों की सेवा में आतुर सर्व समाज लोग उत्साहित दिखे। इस दौरान फलाहार की व्यवस्था की गई। सेवा कार्य में संजय पटेल, रितिक कलाल, कल्पेश यादव, देवेंद्र पटेल, रोहित पटेल, दिलीप पटेल, दिनेश पटेल, बबलू भोई मौजूद रहे।
पांच युवा 10 घड़ों में पानी भरकर करीब 66 किलो वजनी कावड़ लेकर त्रिवेणी संगम बेणेश्वरधाम से मदारेश्वर महादेव जल चढ़ाने पहुंचे। सागडोद निवासी पांचों युवा मानवेश राठौड़, युगल सोलंकी, विशाल सोलंकी, योगेंद्र राठौड़, धर्मेंद्र सोलंकी 45 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर पहुंचे। रास्ते मे सभी बारी बारी से कावड़ उठा रहे थे।
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