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छिंदवाड़ा शहर के बीचों-बीच स्थित शासकीय प्राथमिक शाला मदन मोहन मालवीय में जर्जर दीवारों के बीच स्कूली बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। यहां कुल पांच कमरे हैं, जिसमें से एक कमरे में आंगनबाड़ी लगाई जा रही है, जबकि दो कमरों में बच्चे पढ़ रहे हैं। इन
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हमने जब स्कूल में जाकर देखा तो यहां कि दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। छत टपक रही है। दीवारों में सीलन आ रही है। बावजूद इसके यहां कक्षाएं लगाई जा रही है। लगभग 30 साल पहले बने स्कूल में मरम्मत के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति हो रही है। स्कूल सहायक शिक्षिका दुबे ने बताया कि पिछले 5 साल से लगातार डाइस प्रपत्र के माध्यम से स्कूल की मरम्मत करने की जानकारी दी जा रही है। बावजूद स्कूल की मरम्मत नहीं की गई है। दीवारों में सीलन आने के कारण बारिश में दो कमरों को बंद कर दिया गया हैं।
शिक्षिका का कहना है कि बच्चे बीमार ना पड़ जाए, इसके लिए उन्हें बारिश से बचने के लिए दो सुरक्षित कमरों में ही कक्षाएं लगाई जा रही है।
शहर के बीचो-बीच स्थित है स्कूल
शासकीय प्राथमिक शाला मदन मोहन मालवीय स्कूल शहर के बीचों-बीच स्थित है। प्राथमिक स्कूल में 32 बच्चे अध्ययनरत हैं, जहां दो शिक्षक उनकी कक्षाएं लगाते हैं। जर्जर हो चुका इस स्कूल को सुधारने के लिए कोई खास प्रयास नहीं हो पा रहे हैं। इसके कारण शिक्षक की जान यहां जोखिम में रहती है ।
खासकर बारिश के दिनों में कभी भी छत टपकने लगती है, तो जर्जर दीवारें ढहने का खतरा भी बढ़ गया हैं।
506 बिल्डिंग की होनी है मरम्मत
जिले में देखा जाए तो 3636 प्राइमरी मिडिल स्कूल हैं, जिसमें से 506 स्कूल भवन जर्जर हो गया। 79 ऐसे स्कूल हैं, जो बिना भवन के संचालित हो रहे हैं, जिले की डीपीसी जेके इडपाचे ने बताया कि उन्होंने एनुअल प्लान में इनकी मरम्मत का प्रस्ताव भेजा है।
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