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पिछले कांग्रेस राज में शुरू की गई 100 यूनिट तक फ्री बिजली योजना को भजनलाल सरकार बंद नहीं करेगी। ऊर्जा मंत्री हीरालाल नगर ने विधानसभा में इसकी घोषणा की है, हालांकि इस योजना में नए लोगों को नहीं जोड़ा जाएगा। उधर, सरकार ने स्टेट हाईवे पर प्राइवेट वाहनों
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बसपा विधायक मनोज न्यांगली के सवाल पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा- 100 यूनिट फ्री बिजली देने की योजना पिछली सरकार ने चुनाव से पहले शुरू की की थी। हमने तो यह कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार की जो योजना चालू है, उसको बंद नहीं कर रहे हैं। यह अभी चालू है और इसको निरंतर चालू रखा जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा- राजस्थान में कुल 1 करोड़ 29 लाख 99 हजार 68 घरेलू उपभोक्ता हैं। इनमें फ्री बिजली योजना का लाभ 98 लाख 23 हजार 314 उपभोक्ताओं को लाभ दिया जा रहा है। इनको हर महीने 5 करोड़ 7 लाख का अनुदान दिया जा रहा है।
30 लाख 8 हजार 654 उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जिनके आधार डबल थे, जिनका रजिस्ट्रेशन होना संभव नहीं था या कुछ ऐसे थे जिन्होंने खुद रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया था। यह स्कीम पूर्ववर्ती सरकार ने चुनाव नजदीक आने से एमनेस्टी स्कीम के रूप में चालू की थी कि जो रजिस्ट्रेशन कराएगा उनको ही लाभ दिया जाएगा। अगर सरकार की मंशा सभी उपभोक्ताओं को लाभ देने की होती तो रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं थी।
स्टेट हाईवे नहीं होंगे टोल मुक्त, सरकार का विधानसभा में जवाब
सरकार ने स्टेट हाईवे को टोल मुक्त करने से इनकार कर दिया है। बीजेपी विधायक राधेश्याम बैरवा के सवाल के लिखित जवाब में पीडब्ल्यूडी मंत्री दीया कुमारी ने विधानसभा में यह साफ कर दिया है कि राज्य में स्टेट हाईवे पर चल रहे टोल पर प्राइवेट फोर व्हीलर वाहनों को टोल मुक्त करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। बैरवा ने स्टेट हाईवे पर छोटे प्राइवेट वाहनों को टोल मुक्त करने पर सवाल पूछा था इस पर सरकार ने साफ इनकार कर दिया है।
वसुंधरा सरकार ने स्टेट हाईवे को टोल मुक्त किया था, गहलोत ने बदल दिया था फैसला
स्टेट हाईवे पर प्राइवेट वाहनों को वसुंधरा राजे की सरकार ने 2018 में टोल मुक्त करने की घोषणा की थी। प्राइवेट वाहनों से टोल नहीं लिया जाता था। वसुंधरा राजे की सरकार बदलने के बाद गहलोत सरकार ने इस फैसले को पलट दिया था और 2019 से ही फिर से स्टेट हाईवे पर टोल वसूली शुरू हो गई। स्टेट हाईवे पर प्राइवेट वाहनों को टोल मुक्त करने की मांग पहले भी उठती रही है, लेकिन फिलहाल मौजूदा सरकार ने इसे लागू करने से साफ इनकार कर दिया है।
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