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सतना में हुए 93 लाख रुपए के गेहूं उपार्जन घोटाले की जांच की आंच अब फूड डिपार्टमेंट से होते हुए राजस्व अमले तक भी जा पहुंची है। दो अफसरों के निलंबन और 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर के बाद अब पटवारी को भी निलंबित कर दिया गया है, जबकि तहसीलदार तथा मझगवां एसडी
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सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा ने 93 लाख रुपए के गेहूं उपार्जन घोटाले के मामले में फसल की फर्जी गिरदावरी दर्ज करने और गलत तरीके से सत्यापन कर पंचनामा तैयार करने के मामले में एक्शन लिया है। कलेक्टर वर्मा ने फर्जी गिरदावरी की शिकायत सही पाए जाने पर मझगवां तहसील के कारीगोही हलका पटवारी रामभूषण त्रिपाठी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
निलंबन अवधि में पटवारी रामभूषण का मुख्यालय तहसील कार्यालय कोटर नियत किया गया है। इसी मामले में कलेक्टर ने तहसीलदार मझगवां जितेंद्र तिवारी और एसडीएम मझगवां जितेंद्र कुमार वर्मा को भी किसानों के खातों का गलत सत्यापन करने और पटवारी द्वारा दी गई त्रुटिपूर्ण – गलत जानकारी को भी सत्यापित करने का दोषी माना है। कलेक्टर वर्मा ने तहसीलदार जितेंद्र तिवारी और एसडीएम जीतेन्द्र वर्मा को नोटिस जारी कर दो दिन के अंदर जवाब तलब किया है।
ऐसे अंजाम दिया गया घोटाला
बता दें कि मझगवां तहसील अंतर्गत ग्राम कारीगोही में गेहूं उपार्जन केंद्र का संचालन कर रहे जयतमाल बाबा स्व सहायता समूह में 93 लाख रुपए अनुमानित मूल्य के 3860 कुंतल गेहूं का घोटाला सामने आया था। इस केंद्र से 13 ट्रकों में लोड कर गेहूं का परिवहन लखनवाह गोदाम के लिए दिखाया गया और फिर उन ट्रकों की टीसी रेलवे रैक के लिए डायवर्ट कर दी गई, जबकि सतना में रेलवे का कोई रैक आया ही नहीं था। ये टीसी तो फर्जी तरीके से जनरेट और डायवर्ट की गई थी, लेकिन इनमें नाम असल किसानों के थे जबकि इन असल किसानों द्वारा वास्तव में बेची गई फसल फर्जी किसानों के नाम चढ़ाकर असली टीसी से भेज दी गई और भुगतान भी करा लिया गया था।
दो अफसर हो चुके हैं सस्पेंड, 9 पर है एफआईआर
इस मामले की जांच हुई तो समूह अध्यक्ष, ऑपरेटर, ट्रांसपोर्ट मैनेजर के अलावा नान के ऑपरेटरों और सर्वेयरों समेत 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। राज्य शासन ने इसके लिए नान के डीएम और सतना के तत्कालीन डीएसओ को भी दोषी मानते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। इस दौरान यह तथ्य भी सामने आए कि कारीगोही उपार्जन केंद्र में कई किसानों ने उनके नाम जमीन न होते हुए भी फर्जी तरीकों का सहारा लेकर पंजीयन कराया, सिकमी पंजीयन कराया। उनकी बोवनी का रकबा न होने के बाद भी उनकी फसल गिरदावरी की गई।
तहसीलदार, एसडीएम ने भेजा था एडीएम को प्रतिवेदन
सवालो के घेरे में हलका पटवारी रामभूषण तिवारी आए तो तहसीलदार और एसडीएम ने एक जांच प्रतिवेदन बना कर एडीएम के समक्ष पटवारी की गिरदावरी रिपोर्ट को सही बता दिया। इसके लिए उन्होंने स्थल पंचनामा भी प्रेषित कर दिया।
सच तलाशने कलेक्टर ने भेजी एसएलआर की टीम
लेकिन जब इस पर भी सवाल उठे तो कलेक्टर अनुराग वर्मा ने 27 मई को एसएलआर को एक टीम के साथ तहसीलदार, एसडीएम की तरफ से भेजे गए पंचनामा – प्रतिवेदन की जांच के लिए कारीगोही भेज दिया। एसएलआर की टीम को जांच में पता चला कि रकबे से ज्यादा किसानों की फसल की गिरदावरी दर्ज की गई है। उन्होंने सिकमी में किसी को भी अपने खेत नही दिए फिर भी उनके खेतों का सिकमी पंजीयन है। कुछ किसानों ने तो समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन नहीं कराया था फिर भी उनके नाम पंजीयन है।
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