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नरेश वर्मा उर्फ काला कबाड़ी पहले सिर्फ व्यापार कर रहा था, लेकिन जब उसने जिम खोला तो उसे खुद भी पता नहीं चला कि वह कब अपराध की तरफ बढ़ गया। पुलिस रिमांड के दौरान काला ने खुद स्वीकार किया कि उसने कभी आदमी को आदमी नहीं समझा, लेकिन अब उसे अपने किए पर पछतावा भी हो रहा है। काला ने बताया कि उसका कबाड़ के काम के साथ और भी व्यवसाय था। जिम में जब उसे लोगों को धमकाने के लिए पहलवान मिले तो रास्ता बदल गया।
उसकी पुलिस के कुछ अधिकारियों से भी अच्छी दोस्ती है। इसका भी उसने गलत इस्तेमाल कर अपने रसूख बढ़ाया। ताकत का गलत प्रयोग के चलते ही अब वह जेल में है।
कारोबार बंद हो चुका है। काला की पत्नी अंजना की मानें तो उसने पहले भी दो बार पुलिस को काला कबाड़ी की प्रताड़ना से परेशान होकर पुलिस को शिकायत दी थी, पर दोनों ही बार शिकायत को दबा दिया गया। इस बार भी उसकी शिकायत को दबाने के लिए कमजोर धाराओं में केस दर्ज हुआ, लेकिन जब मामला एसपी गंगाराम पूनिया के सामने आया तो गहराई से जांच शुरू हुई।
आरोप व अपराध के हिसाब से धाराएं जोड़ी गईं। अब काला व उसका भाई सोनू न्यायिक हिरासत में है। अंजना को विश्वास है कि अब उसे न्याय जरूर मिलेगा। काला कबाड़ी, उसके भाई, पिता व पत्नी के नाम पर कितनी प्रॉपर्टी है, इसकी भी पुलिस जांच कर रही है। वहीं, काला कबाड़ी की पत्नी चाहती है कि प्रॉपर्टी की कस्टडी उसे मिले। इसे लेकर वह पुलिस अधिकारियों से भी मिली है, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह से प्रापर्टी की कस्टडी किसी को नहीं दी जा सकती।
यह कोर्ट का मामला है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस काला कबाड़ी की प्रॉपर्टी की जांच कर उसे सील करेगी। इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। हालांकि एसआईटी इंचार्ज डीएसपी राजेश ने इस तरह की प्रक्रिया से इनकार किया है। सूत्रों का कहना है कि अभी तक काला की डेयरी, कई गोदाम, ऑफिस, घर, जिम आदि को चिन्हित किया गया है। ये किसके नाम पर हैं, इसकी जांच चल रही है। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। सीआई 1 इंचार्ज व काला कबाड़ी के मामले की जांच के लिए एसपी गंगाराम पूनिया द्वारा गठित एसआईटी के सदस्य यादुवेंद्र सिंह ने बताया कि जांच में 54 वाहन बरामद किए गए हैं।
इसके अलावा करीब तीस आरसी ऐसी मिली हैं, जिनके वाहन नहीं मिले। काला ने रिमांड के दौरान पुलिस को बताया कि उसने इन वाहनों को ऐसे की कटवा दिया (स्क्रैप कर दिया), जबकि वाहन को स्क्रैप करने की एक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि इन वाहनों के मालिकों को पुलिस बुलाएगी। पूरी प्रक्रिया के तहत इन्हें स्क्रैप कराया जाएगा ताकि इन वाहनों का कहीं दुरुपयोग न हो सके। इन आरसी को भी एसआईटी अपनी जांच में शामिल कर रही है।
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