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पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और उनकी पत्नी दिव्या सिंह व बेटे अनिरुद्ध सिंह के विवाद में सोमवार को भरतपुर की एसडीएम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से पूर्व राज परिवार के मामले पर दोनों पक्षों के वकीलों में बहस हुई। एक घंटे तक दोनो
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बता दें कि 6 मार्च 2024 को पूर्व कैबिनेट मंत्री और भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह ने उपखंड अधिकारी ट्रिब्यूनल में प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें उन्होंने वरिष्ठ नागरिक के रूप में पत्नी-बेटे से भरण-पोषण मांगा था।
विश्वेंद्र सिंह ने लगाए थे गंभीर आरोप
सिंह ने आरोप लगाया कि पत्नी और बेटे मारपीट करते हैं और भरपेट भोजन नहीं देते। लोगों से मिलने भी नहीं देते हैं। घर (मोती महल) छोड़ने पर मजबूर हो गया हूं। खानाबदोश जैसा जीवन जी रहा हूं। कभी सरकारी आवास में तो कभी होटल में रहना पड़ रहा है।
कोर्ट में दिए एप्लिकेशन में विश्वेंद्र सिंह ने पत्नी और बेटे पर उन्हें मारने की साजिश तक का आरोप लगाया है। इनका मंतव्य है कि मेरी जीवनलीला समाप्त हो जाए। जिसके बाद ये पूरी संपत्ति को हड़प सकें। मुझे उम्मीद थी कि शायद आगे इनका व्यवहार सुधर जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पत्नी-बेटे ने रहने के मेरे एक कमरे को भी बंद कर दिया और जबरन घर से बाहर कर दिया, इसलिए घर छोड़कर जाना पड़ा। घर से निकलते वक्त जो कुछ कपड़े थे वो लेकर आ गया। मुझे तब से ही ऐसा रहना पड़ रहा है।
सिंह ने लिखा है कि मैं हार्ट पेशेंट हूं। इलाज दौरान दो स्टेंट डले होने के कारण टेंशन सहन नहीं कर सकता। टेंशन मेरे जीवन के लिए घातक है। साल 2021 व 2022 में दो बार कोरोना हुआ, लेकिन बेटे-पत्नी ने कोई शारीरिक, मानसिक, आर्थिक सहायता नहीं की।
पिता से वसीयत में मिली संपत्तियों पर मेरा स्वामित्व है। पत्नी और बेटे ने मेरे पहनने के कपड़े कुएं में फेंक दिए। कागजात, रिकॉर्ड आदि फाड़ दिए और कमरों से सामान बाहर फेंक दिया। चाय पानी बंद करा दिया है। उन्होंने कोर्ट में कहा कि पत्नी-बेटे को सोशल मीडिया के जरिए मुझे बदनाम करने से भी रोका जाए।
विश्वेंद्र सिंह ने दावा किया उनके घर में करोड़ों की एंटीक चीजें, गहने और पूर्वजों के बेशकीमती फोटोग्राफ हैं। ये सब बेटे और पत्नी के कब्जे में हैं। इनमें से कुछ को या तो बेच दिया या खुर्दबुर्द कर दिया है। मेरे पास 9.12 करोड़ के सोने-चांदी की ज्वेलरी थी। मैंने भी पत्नी को 25 लाख की ज्वेलरी दी थी। ये सब पत्नी-बेटे के कब्जे में हैं। मैं इन सभी को को वापस लेने का हकदार हूं।
पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह का पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह से चार साल से विवाद चल रहा है। सिंह ने एसडीएम को दिए प्रार्थना पत्र में मोती महल पैलेस की कई प्रॉपर्टियों को वापस दिलवाने की मांग की है। इसमें मथुरा गेट थाना इलाके में स्थित मोती महल, कोठी दरबार, गोलबाग परिसर, सूरज महल शामिल हैं।
उन्होंने कोठी इजलास खास के संबंध में 27 अक्टूबर 2020 को दिए दान पत्र व उसके द्वारा किया गया हस्तांतरण को भी रद्द करने की डिमांड की है। पूर्व कैबिनेट मंत्री का कहना है कि दो बंदूकें भी पत्नी बेटे के कब्जे में हैं वे दिलाई जाएं।
पत्नी-बेटे ने आरोपों को किया था खारिज
विश्वेंद्र सिंह की पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोपों को गलत बताया। दिव्या सिंह ने कहा कि मैं 3 साल से चुप हूं, अगर मैंने मुंह खोला तो फिर मामला सुप्रीम कोर्ट तक ही जाएगा। वहीं, सिंह के बेटे अनिरुद्ध ने कहा कि ये हम लोगों को बदनाम कर रहे हैं। चाहे कुछ भी हो जाए हम मोती महल को बिकने नहीं देंगे। इन्होंने तो घर के कारपेट तक बेच दिए।
इस बीच मोती महल बेचने के आरोपों पर विश्वेंद्र सिंह ने देर शाम फेसबुक पर अपना बयान जारी किया। उन्होंने लिखा- “मोती महल जो सम्पूर्ण भरतपुर जिले की ऐतिहासिक विरासत है, उसको बेचने के जो आरोप मेरी पत्नी और बेटे के द्वारा मेरे ऊपर लगाए जा रहे हैं। वो सरासर झूठे और निराधार हैं। इस ऐतिहासिक विरासत को बेचने की मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता। मोती महल, जो राजपरिवार एवं भरतपुर जिले की पहचान है। उस ऐतिहासिक विरासत की एक इंच जमीन भी मैं मेरी आखिरी सांस तक बेचने नहीं दूंगा।”
अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि हम लोगों को वे (विश्वेंद्र सिंह) बदनाम कर रहे हैं। हमें घर देखना है, काम धंधा देखना है, परिवार देखना है और सोशल लाइफ देखनी है। इनके (विश्वेंद्र) पास तो कोई काम है नहीं, किसी दिन मेरी मां प्रेस कान्फ्रेंस करेंगी तब बताएंगी कि इन्होंने (विश्वेंद्र सिंह) अपने पिता (सवाई बृजेंद्र सिंह) के साथा क्या सलूक किया था। उस दिन देखेंगे कि ये किस फोरम में जाएंगे। महाराज सूरजमल की मूर्ति लगाने से या लोगों के सेंटिमेंट से खेलने से कुछ नहीं होता। उनकी विरासत बेचना कहां तक उचित है।
सूरजमल जी से लेकर कितनी प्रॉपर्टी थी और आज कितनी प्रॉपर्टी है, आप इसका पता लगा लीजिए। दिल्ली, आगरा, मथुरा और पुष्कर तक में प्रॉपर्टी थी। साल 1995 के बाद से लगातार प्रॉपर्टी बेची गई हैं। आरोप लगा रहे हैं कि लोगों से मिलने नहीं दिया जा रहा। तो उनका सोशल मीडिया अकाउंट चेक करें, वे लगातार लोगों से मिल रहे हैं।
हम इनसे कुछ मांग नहीं रहे हैं। ये मैटर हमें परेशान करने का है। उन्होंने प्रार्थना पत्र में इजलास खास कोठी का जिक्र किया है। इजलास खास कोठी का पट्टा मां के नाम पर है। ये क्लियर है। कांग्रेस सरकार में यह पट्टा आया। इस पर कोई कोर्ट स्टे नहीं है।
दिव्या सिंह ने कहा कि मैं 3 साल से बिल्कुल चुप हूं। बीते 33 साल में मेरे साथ क्या हुआ, अगर इस पर मैं मुंह खोल दूं तो मामला शायद सुप्रीम कोर्ट ही पहुंच जाएगा। पहली बार मैं अपने बेटे अनिरुद्ध के साथ बैठी हूं। अपने 15-20 लोगों से ये कुछ भी बकवास छपवा देते हैं। मेरा बेटा अगर मां की सुरक्षा कर रहा है तो यह अच्छा बेटा है। मेरे साथ बुरा हो रहा है, तो बेटा साथ खड़ा है, मेरी रक्षा कर रहा है।
मैंने इनका बिगड़ा हुआ घर संभाला और आज ये मुझ पर इल्जाम लगा रहे हैं। अपने लोगों से छपवा रहे हैं, ट्विटर पर लिखना, चार लोगों से फेसबुक पर हमारे खिलाफ पैराग्राफ लिखवाना, ये सब कर रहे हैं। तीस साल से मेरे साथ अत्याचार होता रहा। जिसे पेपर में निकालना है निकाल दें। ये लड़ाई पुश्तैनी जायदाद बचाने की है।
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