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संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि भारत इस बात का उदाहरण है कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) सामाजिक परिवर्तन और प्रगति की बुनियादी वाहक है और अगर इसका समावेशी तरीके से उपयोग किया जाए तो यह समान अवसर मुहैया कराने में मददगार है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा, ‘जिस तरह आर्थिक विकास के लिए भौतिक बुनियादी ढांचा आवश्यक है, उसी तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के बुनियादी चालक के रूप में उभरा है. यदि समावेशी तरीके से इसका उपयोग किया जाए, तो यह हमारे जीवन के हर पहलू में समान अवसर प्रदान करता है. भारत का प्रक्षेप पथ इसका उदाहरण है.’
डेनिस फ्रांसिस ने गुरुवार (26 अप्रैल) को यहां संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से आयोजित सिटीजन स्टैक: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसफॉर्मेटिव टेक्नोलॉजी फॉर सिटिजन्स विषय पर संयुक्त राष्ट्र में पहले सम्मेलन को संबोधित किया.
सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष नेताओं, राजनयिकों, थिंक टैंक और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया. डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि इस साल जनवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्हें यह देखने का सौभाग्य मिला कि भारत में डीपीआई के तेजी से विस्तार ने कैसे पहुंच को व्यापक बनाया है जिससे लाखों ऐसे लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता एवं समृद्धि मिली जो पहले या तो आर्थिक प्रणाली में किनारे पर थे या उससे बाहर थे.
डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि केवल सात साल में भारत के डीपीआई मॉडल ने अपने नागरिकों के लिए 80 प्रतिशत से अधिक वित्तीय समावेशन हासिल किया है और दुनिया भर में होने वाले सभी डिजिटल लेनदेन में उसकी 60 प्रतिशत भागीदारी है.
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