रामप्रवेश गुप्ता
बीजपुर(सोनभद्र)एनटीपीसी रिहंद परियोजना की राख निस्तारण नीति पिछले कुछ दिनों से प्रबंधन के लिए ही सिर दर्द बन गई है।चाहे ओवरलोड राख परिवहन का मामला हो अथवा गाड़ी का नंबर प्लेट बदल कर हेराफेरी का मामला हो या फिर पर्ची लेकर खाली गाड़ियां पार करने का मामला हो प्रबंधन हर बार अपनी नाकामी छिपाने में असफल रहा है।बीते रविवार की रात्रि जब कुछ गाड़ियां बिना राख लोड किये ही पर्ची लेकर जाने लगी तब पकड़ में आने के बाद प्रबंधन में अफरा तफरी मच गई थी।प्रबंधन द्वारा जांच के बाद पता चला कि राखड़ लेकर जाने वाली गाड़ियां भी सुनसान जगह पर जहां-तहां राख डंप कर वापस आकर फिर नंबर में लग जा रही हैं जिससे एनटीपीसी को करोड़ों का चुना लग रहा है ।
स्थानीय रहवासियों ने बताया राख ढुलाई में लगी एजेंसियों के खिलाफ एनटीपीसी प्रबंधन को कई बार अवगत कराया गया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। लोगों ने एजेंसियों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी)के निर्देशों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कहा कि उक्त एजेंसियां किसके संरक्षण में मनमानी कर रही हैं इसकी भी जांच की जाए।बताया गया कि करोड़ों के राख परिवहन में इन एजेंसियों द्वारा आबादी क्षेत्र में राख डंप किए जाने से क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ गया है क्षेत्र के जंगलों या फिर सुनसान क्षेत्र में सड़क किनारे कहीं भी राख डंप कर दिया जा रहा है जिससे पूरा क्षेत्र प्रदूषित हो गया है लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।एनजीटी के नियमों के पालन कराने की प्रमुख जवाबदेही एनटीपीसी और एनएचएआई की है परंतु खुली छूट दिए जाने के कारण एजेंसियां मनमानी कर मानव जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।फिलहाल मामले की जानकारी होने पर प्रबंधन में मचे हड़कंप के बाद मंगलवार को एनटीपीसी के निर्देश पर राख ढुलाई में लगी विभिन्न एजेंसियों द्वारा जगह-जगह डंप की गई राख उठवाकर वापस गंतव्य पर भेजा जा रहा है इस बाबत एनटीपीसी रिहंद के उप महाप्रबंधक पी लक्ष्मी ने बताया की शिकायत पर हमने मौका जांच किया था उसी के आधार पर जगह जगह डंप की गई राख को एजेंसियों द्वारा बिना भुगतान के अनलोडिंग साइट पर भेजा जा रहा है।