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साल 1985 की घटना है। जाेधपुर के छोटे से गांव की रहने वाली 17 साल की सविता (बदला हुआ नाम)। 13 साल की थी जब उसकी शादी बाड़मेर के मनोज (बदला हुआ नाम) से हुई थी। गौना नहीं हुआ था इसलिए पीहर में ही थी।
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एक शाम घर में एक अनजान शख्स आया। उस वक्त घर में सविता, उसकी मां और चाची ही थी। उसके पिता और चाचा काम से दूसरे गांव गए हुए थे।
सविता की मां ने उस शख्स से परिचय पूछा तो बोला- मुझे नहीं पहचाना? आपका जमाई मनोज!
सविता की मां को थोड़ी शर्मिंदगी हुई कि वो अपने जमाई को नहीं पहचान पाई।
पहचानती भी कैसे? शादी के वक्त मां, चाची और सविता तीनों ने लंबा घूंघट निकाल रखा था।
खैर, मां और चाची ने खूब आवाभगत की और घर के सबसे अच्छे कमरे में बेटी और जमाई के रुकने का इंतजाम किया। सुबह हुई तो मनोज गायब था। तीनों को लगा कोई जरूरी काम आ गया होगा तो बिना बताए चले गए।
एक महीना बीत गया। सविता अपनी मां और चाची के साथ मंदिर से लौटी। घर में अचानक शख्स था। उन तीनों को देखते ही सविता के पिता बोले- देखो! कौन आया है, हमारे जमाई राजा मनोज जी।
ये सुनते ही तीनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। सोचने लगीं- अगर ये जमाई राजा हैं तो वो कौन था, जो एक महीने पहले आया था।
क्राइम फाइल्स में आज कहानी चोर जमाई राजा की। जिसने 1985 से लेकर साल 2003 तक 250 से ज्यादा महिलाओं को अपना शिकार बनाया।
‘चोर जमाई राजा’ रात को नव विवाहिता के पीहर रुकता और सुबह गहने चुराकर फरार हो जाता। प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स : मेटा एआई
‘चोर जमाई राजा’
आप में से ज्यादातर लोगों ने ये नाम सुना भी नहीं होगा, लेकिन 90 के दशक में इस नाम का जोधपुर-बाड़मेर के गांवों में जबरदस्त खौफ था।
इसकी वजह था- एक शख्स, जो नवविवाहिता के पीहर में उसका पति बनकर पहुंच जाता। रेप करता और सुबह होने से पहले सारे गहने और रुपए लेकर फरार हो जाता।
बहरूपिया इस तरह वारदात को अंजाम देता कि महीनों तक नवविवाहिता और उसके पीहरवालों को पता नहीं चलता कि उनके साथ हुआ क्या है? और जब पता चलता तो वो बदनामी के डर से आपबीती किसी को नहीं बताते।
कुछ लोग पुलिस के पास पहुंचे भी तो अधिकतर ने महज चोरी और लूट के मामले ही उसके खिलाफ दर्ज कराए। इक्का-दुक्का केस को छोड़कर किसी ने रेप का मुकदमा नहीं कराया। 25 सालों में उसके खिलाफ अलग-अलग थानों में करीब 19 मामले दर्ज हुए।
पुलिस ने उसे कई बार पकड़ा, लेकिन हर बार वो कुछ टाइम बाद ही जेल से छूट जाता और फिर निकल पड़ता किसी नई वारदात को अंजाम देने।
उस समय ज्यादातर महिलाएं लंबा घूंघट रखती थीं, आरोपी इसी बात का फायदा उठाता था। प्रतीकात्मक फोटो
बाल विवाह का उठाता था फायदा
उस समय अधिकतर लड़कियों के बाल विवाह होते थे। लड़की के 18 साल या उससे ज्यादा उम्र की होने के बाद ही बढ़िया मुहूर्त देख कर उसका गौना किया जाता था यानी उसे ससुराल भेजा जाता था।
इस दौरान सिर्फ विवाह के दौरान एक बार वो ससुराल जाती थी और रस्म अदायगी के तुरंत बाद ही उसे वापस पीहर भेज दिया जाता था। इसके बाद गौना होने से पहले तक वो अपने पीहर में ही रहती थी।
इस दौरान पूरे वक्त लंबा घूंघट रहता था। लंबे घूंघट के कारण पति को जानना तो दूर दुल्हन उसे ढंग से देख तक नहीं पाती थी।
इसके बाद दूल्हे का कभी-कभार जब अपने ससुराल जाना होता तो उसे दिन में अपनी दुल्हन के पास में जाने की अनुमति नहीं होती थी। रात को एक कमरे में रह सकते थे, लेकिन तब ज्यादातर गांवों में बिजली नहीं थी। ऐसे में दोनों एक दूसरे का चेहरा तक नहीं देख पाते थे।
‘चोर जमाई राजा’ इसी का फायदा उठाता। वो किसी भी विवाहिता के पास उसके पीहर में जाने से पहले उसके पति और ससुराल के बारे में सारी जानकारी जुटा लेता।
उसे सब कुछ पता होता था कि अभी असली दूल्हा कहां है और वो कितने टाइम तक अपने ससुराल नहीं जाने वाला है।
90 के दशक में कई इलाकों में बिजली नहीं थी। ऐसे में नव विवाहिताएं ‘चोर जमाई राजा’ का चेहरा नहीं देख पाती थीं। प्रतीकात्मक फोटो
साल 1988 में पहली बार पुलिस तक पहुंचा मामला
चोर जमाई राजा के किस्से तो पुलिस तक पहुंच रहे थे, लेकिन कोई भी शिकायत नहीं दे रहा था। साल 1988 में बाड़मेर जिले के चौहटन पुलिस थाने के एक गांव में पहली शिकायत दर्ज हुई।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार एक लड़की की कुछ टाइम पहले ही शादी हुई थी लेकिन गौना होना बाकी था। वो पीहर में ही रह रही थी।
एक दिन एक शख्स उसका दामाद बनकर घर आया था। जब वो आया तब घर में अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। पुरुष किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे।
घूंघट के चलते महिलाओं ने दामाद को पहले कभी ढंग से देखा नहीं था और जब उसने खुद को दामाद बताया तो वो सभी उसकी आवभगत में लग गई थी।
रात में घर वालों ने उस शख्स का सोने का इंतजाम घर की बेटी (जिसका पति बनकर वो आया था) के कमरे में कर दिया। नव विवाहिता ने भी उसे पति मान लिया था।
रात में ही उसने नवविवाहिता को अपनी बातों के जाल में फंसाकर उसके सारे गहने ले लिए। उसने लड़की से कहा कि तेरे ये गहने बढ़िया नहीं है। नई डिजाइन के बनवाऊंगा। अगली बार आऊंगा ताे लेता आऊंगा।
साल 1988 में बाड़मेर जिले के चौहटन पुलिस थाने के एक गांव में पहली शिकायत दर्ज हुई।
असली पति ससुराल पहुंचा तो हुआ खुलासा
कुछ दिन बाद असली दामाद घर पहुंचा। इस बार भी घर की औरतें घूंघट के कारण शक्ल नहीं देख पाईं।
दिन भर दामाद की आवभगत की गई और रात होते ही उसे पत्नी के कमरे में भेज दिया। कमरे में अंधेरा था।
बातों ही बातों में दुल्हन ने अपने गहनों के बारे में पूछा तो पति चौंक गया। उसे गहनों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी क्योंकि वो तो ‘चोर जमाई राजा’ लेकर गया था।
इसके बाद सुबह दामाद ने इस मामले की जानकारी ससुराल में दी तो हर कोई सन्न रह गया। सभी को बदनामी का डर सता ही रहा था। आखिरकार काफी सोच-विचार कर चौहटन पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया गया।
ये वो पहला मामला था जब ‘चोर जमाई राजा’ के खिलाफ पुलिस को रिपोर्ट मिली थी। अभी पुलिस उसकी तलाश ही कर रही थी कि कुछ महीने बाद ही इसी थाने में एक दूसरे गांव से एक ऐसा ही केस दर्ज कराया गया।
‘चोर जमाई राजा’ एकांत में बने उन घरों को निशाना बनाता, जिनके पुरुष किसी काम से बाहर गए होते थे। प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स : मेटा एआई
एकांत में बने घरों को बनाता निशाना
दोनों केस में कुछ बातें कॉमन थीं। ‘चोर जमाई राजा’ उन्हीं घरों में दामाद बन कर पहुंचा जो दूर-दराज की ढाणियों में एकांत में बने हुए थे और जिन घरों के पुरुष किसी काम की वजह से घर से बाहर गए हुए थे।
जब वो वहां पहुंचा तो घर में अधिकतर महिलाएं ही थीं। जिन्हें उसने खुद को उनका दामाद बताया था। घूंघट प्रथा के चलते दोनों ही घरों की महिलाओं ने कभी पहले ढंग से अपने दामाद को देखा नहीं था तो वो उसकी बातों में आसानी से आ गई थी।
पुलिस के पास दो शिकायतें थी, लेकिन अब भी ये केस उलझी हुई पहेली था, क्योंकि जिसे पकड़ना था, उसका चेहरा किसी ने नहीं देखा था।
कल पढ़िए : ‘चोर जमाई राजा’ के अंत की कहानी
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