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नई दिल्ली: चीन और अमेरिका की अदावत किसी से छिपी नहीं है. गाहे-बगाहे दोनों एक-दूसरे पर शब्दों के बाण चलाते रहते हैं. अमेरिका अब चीन को चौतरफा घेरने में लगा है. चाहे ताइवान हो या तिब्बत, अमेरिका अब हर मुद्दे पर चीन को पटखनी देने की तैयारी में है. यही वजह है कि अमेरिका चीन को चारों ओर से घेर रहा है. तिब्बत पर अमेरिका तो हाइपर एक्टिव हो चुका है. अमेरिका का तिब्बत को लेकर ‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ बिल पास करना, धर्मशाला में दलाई लामा से अमेरिकी डेलिगेशन का मिलना, ताइवान को खुलेआम समर्थन देना, हथियार सप्लाई करना… किसी बड़े गेम की ओर इशारा कर रहे हैं. तिब्बत के प्रति अचानक उमड़ा यह प्रेम बता रहा है कि अमेरिका के मन में चीन के खिलाफ कुछ नई खिचड़ी पक रही है. अब सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका के तिब्बत प्रेम की वजह दलाई लामा से प्यार है या फिर चीन से तकरार?
हाल के दिनों में जिस तरह से साउथ चाइन सी इलाके में चीन अपनी धाक जमा रहा है, उससे अमेरिका वाकिफ है. चीन दुनिया भर में अब एक नई शक्ति के रूप में उभरता दिख रहा है. स्पेस हो या इकोनॉमिक फ्रंट, अमेरिका को चीन से ही चुनौती मिल रही है. समंदर में किस तरह से चीन का दबदबा बढ़ रहा है, यह अमेरिका देख रहा है. ऐसा माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर के नीचे विशाल तेल और गैस भंडार मौजूद हैं. इसलिए चीन यहां अपना दबदबा बनाकर रखना चाहता है. ऐसे में अमेरिका चुप रहे, यह कैसे संभव है. यही वजह है कि अमेरिका चीन के खिलाफ तिब्बत वाला फ्रंट खोलकर रखना चाहता है. तिब्बत ऐसा इलाका है, जहां से अमेरिका चीन पर नकेल कस सकता है. भारत की तरफ से भी अमेरिका को चीन के खिलाफ एक्शन लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी. भारत भी तो चीन को घेरने में ही लगा है.
चीन के खिलाफ तिब्बत तुरुप का इक्का?
अमेरिका को भी पता है कि अभी लोहा गरम है और उसे कब हथौड़ा मारना है. तिब्बत में अभी चीन विरोधी लहर सातवें आसमान पर है. दलाई लामा ने तिब्बत में चीन के खिलाफ आग सुलगा रखी है. अमेरिका उसमें अब घी डालने का काम कर रहा है. दरअसल, चीन तिब्बत पर अपना दावा करता रहा है. जबकि तिब्बत के लोग उसकी अधीनता स्वीकार करने के पक्ष में नहीं हैं. वह लंबे समय से स्वायतता की लड़ाई लड़ रहे हैं. चीन पूरे तिब्बत को अपना हिस्सा मानता है. हालांकि, तिब्बत के लोग सालों से आजादी का सपना देख रहे हैं. यही वजह है कि चीन के खिलाफ अमेरिका को तुरुप का इक्का मिल चुका है. अमेरिका के पास अभी तिब्बत के अलावा ताइवान भी है, जिसके सहारे चीन को कमजोर करने की कोशिश है. तिब्बत के प्रति प्रेम अमेरिका की रणनीति का हिस्सा है. यही वजह है कि बीते दिनों अमेरिका ने ‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ पास किया.
अमेरिका बढ़ा रहा चीन की चिंता
‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ तिब्बत पर चीन के अधिकारों को नकारता है. अमेरिका के दोनों सदनों से इस विधेयक को पास कर दिया गया है. इस पर केवल राष्ट्रपति बाइडन के सिग्नेचर का इंतजार है. वहीं, हाल ही में अमेरिका ने अपने सांसदों के एक डेलिगेशन को धर्मशाला में दलाई लामा से मिलने भेजा था. यह सबकुछ अमेरिका जान बूझकर कर रहा है. अमेरिका के इस कदम से चीन की बौखलाहट भी सामने आई थी. उसने अमेरिका को इसके परिणाम भुगतने की धमकी दी और दोहराया था कि तिब्बत उसका अंदरुनी मामला है. इन कदमों से अमेरिका यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वह तिब्बत के साथ है. अमेरिका के इन कदमों से चीन की मुश्किलें बढ़ेंगी. चीन लगातार तिब्बत और ताइवान पर कब्जे की फिराक में है. ऐसे में मसलों पर उनके साथ अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों का खड़ा होना चीन के लिए किसी बड़ी चिंता से कम नहीं.
तिब्बत पर चीन को अमेरिका क्यों घेर रहा?
यहां अब यह बात समझने में कोई मुश्किल नहीं कि तिब्बत पर अमेरिका के इन कदमों के पीछे सिर्फ और सिर्फ चीन ही है. अमेरिका चीन को उसके खुद के झगड़ों में उलझाकर रखना चाहता है. यही वजह है कि अमेरिका कभी तिब्बत तो कभी ताइवान तो कभी हॉन्गकॉन्ग पर अमेरिका को मिर्ची लगाता रहता है. आखिर अमेरिका की तिब्बत पर नजर क्यों हैं. तिब्बत को अमेरिका इतना अहम क्यों मानता है? तो इसकी वजह है कि तिब्बत चीन के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. यह भारत, नेपाल, म्यांमार और भूटान के साथ अपनी सीमा साझा करता है. तिब्बत से चीन को बेदखल करने का मतलब होगा कि इन इलाकों में चीन की दादागिरी को कम करना. यही वजह है कि अमेरिका कभी ताइवान तो कभी तिब्बत के मसले पर अपनी आवाज बुलंद कर रहा है. ताकि चीन अपने ही मसलों में घिरा रहे और उसके लिए बड़ी चुनौती न बन सके.
Tags: America vs china, China, US News
FIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 13:47 IST
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