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कार्यशाला को सम्बोधित करते जेल अधीक्षक।
अजमेर के घूघरा स्थित राज्य की एक मात्र हाई सिक्योरिटी जेल में बंद हार्ड कोर अपराधियों को नए कानूनों की जानकारी देने के साथ अपराध की राह छोड़कर मुख्य धारा में आने के लिए चेताया।
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जेल अधीक्षक पारस जांगिड ने 200 से अधिक हार्डकोर अपराधियों ने कार्यशाला में भाग लिया। इस दौरान बताया कि 1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा इण्डियन एविडेंस एक्ट के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो रहे हैं।
जांगीड ने विभिन्न गैंग से जुड़े हार्डकोर कैदियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अब नए कानून लागू होते ही संगठित अपराध करने वालों की खैर नहीं हैं। नये कानून का लक्ष्य इंटर-स्टेट गैंग को समाप्त करना है। भारतीय न्याय संहिता में संगठित अपराध से जुड़ी नई धारा जोड़ी गई है।
नए कानून में संगठित अपराध द्वारा संचालित अवैध गतिविधियों को दंडित किया जाएगा, जिसमें भूमि पर कब्जा करना, अनुबंध हत्या, आर्थिक अपराध, साइबर अपराध, मानव तस्करी, ड्रग्स, हथियारों जैसे अपराध शामिल हैं। अब घोषित अपराधियों की अनुपस्थिति में भी न्यायालय में मुकदमा चलाया जा सकेगा।
नए कानून लागू होने से कैदियों को तारीख पर तारीख से मुक्ति मिलेगी तथा अधिकतम 3 साल में फैसला मिल जाएगा। इस कार्यशाला में जेलर सुखाराम, लाल चंद, मुख्य प्रहरी हेमराज आचार्य, मनिदेव आदि उपस्थित रहे।
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