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रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद करीब डेढ़ दशक से चल रही है। सीएम मोहन यादव की सहमति के बाद अब वन विभाग ने भी अपनी प्रक्रिया यहां तेज कर दी है। रातापानी सेंचुरी में भोपाल, रायसेन और सीहोर जिले के गांव शामिल होंगे। सीहोर जिले के आधा दर
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इन ग्रामों में बडी आबादी निवास कर रही है जिन्हें विस्थापन का डर सता है। जिनका मानना है कि यदि टाइगर रिजर्व बना तो उनकी पुरखों की जमीनें छोड़कर उन्हें जाना पड़ेगा। तो वहीं दूसरी और वन विभाग के अफसर जनप्रतिनिधियों और आमजन के बीच पहुंचकर अभिमत लेने की तैयारी कर रहे हैं।
जिले के वन क्षेत्रों में टाइगर और तेंदुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में जिले के जंगलों में 20 टाइगर और 350 से अधिक तेंदुए हैं। इसमें करीब आठ गांव शामिल किए जा रहे हैं। यह वन परिक्षेत्र बुधनी, वीरपुर रेंज, वनपरिक्षेत्र रेहटी और सीहोर रेंज में के तहत आने वाले गांव है। यह गांव रातपानी सेंचुरी से लगे हुए हैं। राबियाबाद कठोतिया, सेवनिया परिहार, रावाखेडी, सारश, चिकलपानी, लोहापठार सहित और भी अन्य गांव कोर एरिया में जोडे जा सकते हैं।
कैसे छोड़ दे पुरखों की विरासत
प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में शामिल होने को लेकर ग्राम रतनपुर के आदिवासी युवा बृज धुर्वे कहते हैं, आदिवासी जंगल के रक्षक है, उनके खिलाफ इस देश में बडी साजिश चल रही है, जंगल से बेदखल कर जमीनें कॉर्पोरेट के हाथों में दी जा रही है। यह जमीनें हमारे पुरखों की हैं उन्हें कैसे छोड़ दें।
आदिवासी समाज वर्षों से यहां रहते आ रहा है। यह जमीन हीं उनके आजिविका का साधन हैं। हमें डर है कि विस्थापन के नाम पर हमारी जमीनें ले ली जाएंगी और फिर ग्रामीण दर दर भटकते को मजबूर होंगे।
डीएफओ एमएस डाबर कहते हैं, प्रस्तावित गांवों में जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों से टाइगर में शामिल किए जाने को लेकर अभिमत लिया जाएगा। विस्तृत चर्चा की जाएगी, उनकी सहमति के बाद भी आगे की प्रक्रिया होगी।
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