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जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता दुष्यंत चौटाला ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यसभा चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस का समर्थन करने के लिए तैयार है। चौटाला ने हरियाणा में अगले विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन की सभी संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया। भाजपा ने हरियाणा में मार्च में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया, जिसके बाद जजपा के साथ पिछले साढ़े चार वर्ष से जारी उसका गठबंधन टूट गया था।
हाल में संपन्न हुए आम चुनावों में जजपा ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीट पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसे एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा के रोहतक लोकसभा सीट से विजयी होने के बाद संसद के उच्च सदन में यह सीट खाली हुई है। चौटाला ने भाजपा के साथ गठबंधन की संभावनाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा, ”मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भविष्य में भाजपा के साथ कभी गठबंधन नहीं होगा। चुनाव के बाद भी हम भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।”
दुष्यंत चौटाला ने दावा किया कि लोकसभा चुनावों में जजपा की हार के पीछे भाजपा के साथ गठबंधन ही प्रमुख कारण था। जजपा नेता ने दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद हरियाणा से खाली हो रही राज्यसभा सीट के बारे में कहा कि उनकी पार्टी उच्च सदन के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने के लिए तैयार है बशर्ते कि वे किसी प्रमुख व्यक्ति या किसी प्रतिष्ठित खिलाड़ी को उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारें। चौटाला ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है लेकिन विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहले कह चुके हैं कि पार्टी को अन्य दलों के साथ हाथ मिलाकर उम्मीदवार उतारना चाहिए क्योंकि उनके पास अपना उम्मीदवार उतारने के लिए आवश्यक संख्या नहीं है।
उन्होंने कहा, ”अगर कांग्रेस वाकई में भाजपा को मात देना चाहती है तो उसे जीत या हार की तरफ नहीं देखना चाहिए। अगर वह कोई ऐसा उम्मीदवार उतारती है, जो स्वीकार्य हो तो हम समर्थन के लिए तैयार हैं। उम्मीदवार कोई भी प्रमुख व्यक्तित्व या प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकता है। वह खेल क्षेत्र से हो सकता है और विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार हो सकता है।” चौटाला ने कहा कि अगर कांग्रेस राज्यसभा सीट के लिए होने वाले चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारना चाहती है तो यह इस बात का संकेत होगा कि यह कांग्रेस और भाजपा की मिलीभगत है।
आसान नहीं है कांग्रेस की जीत
कांग्रेस और भाजपा के बीच हरियाणा में मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है। हरियाणा से एक राज्यसभा सदस्य का चुना जाना है। हरियाणा विधानसभा की मौजूदा ताकत 87 है। इनमें से भाजपा के 41 और कांग्रेस पार्टी के 29 सदस्य हैं। दुष्यंत चौटाला की अगुवाई वाली जेजेपी के 10 विधायक हैं। इसके अलावा पांच निर्दलीय विधायक और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के भी एक-एक विधायक हैं।
अगर निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत और एचएलपी विधायक गोपाल कांडा का समर्थन भी मिला लिया जाए तो भाजपा के विधायकों की संख्या 43 हो जाती है। इस तरह हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के 44 विधायकों के मुकाबले भाजपा के 43 विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि अगर उसे विपक्ष के सभी विधायकों का समर्थन मिल गया तो वह राज्यसभा चुनाव में भाजपा को हरा सकती है। हालांकि, कांग्रेस के लिए यह आसान नहीं होने वाला है। जेजेपी के छह विधायक दुष्यंत से नाराज हैं। इनमें से दो- जोगीराम सिहाग और राम निवास सुरजाखेड़ा ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया है। जेजेपी चाहती है कि इन दोनों विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया जाए। हरियाणा में पहले भी कांग्रेस संख्याबल के बावजूद हार चुकी है। हरियाणा में जून 2022 के राज्यसभा चुनावों में, कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन विधानसभा में पर्याप्त संख्याबल होने के बावजूद हार गए थे।
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