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55.66 करोड़ के जीएसटी घोटाले में शहर के स्क्रैप कारोबारी बबलू जायसवाल उर्फ ज्ञानचंद जायसवाल को जीएसटी इंटेलिजेंस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया। िबष्टुपुर कांट्रैक्टर्स एरिया निवासी बबलू जायसवाल को जीएसटी इंटेलिजेंस की टीम ने जमशेदपुर कोर्ट के आर्थिक अ
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कारोबारी ने तबीयत खराब होने व शुगर लेवल बढ़ने की शिकायत की थी। फर्जी बिल के जरिए केंद्र सरकार के जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट, आईटीसी का लाभ उठाते हुए टैक्स का लाभ उठाते हुए सरकार से पैसे ले लिया। बबलू जायसवाल ने तीन कंपनियों जय भोले इंटरप्राइजेज, ज्ञानदीप स्क्रैप प्राइवेट लिमिटेड और इभ्रान स्क्रैप प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 55.66 करोड़ का जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का घोटाला िकया। बबलू जायसवाल ने जय भोले इंटरप्राइजेज में एक आदिवासी पंचानंद सरदार को डमी डायरेक्टर बनाकर फर्जीवाड़ा किया है। जबकि मेकर्स कॉस्टिंग कंपनी के डायरेक्टर बबलू जायसवाल खुद हैं। इस कंपनी के नाम पर 1.93 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया गया है। चार साल पहले बबलू जायसवाल पर 44 करोड़ के जीएसटी का फर्जीवाड़ा का केस लंबित है।
कोर्ट रूम लाइव : विशेष कोर्ट में पुलिस रिमांड में भेजने से पहले चली बहस | बबलू जायसवाल को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने से पहले जमशेदपुर कोर्ट में लंबी बहस हुई। दोपहर तीन बजे बबलू जायसवाल को कोर्ट लाया गया था। कोर्ट में जीएसटी विभाग के अधिवक्ता संजीव रंजन बरियार ने कारोबारी को रिमांड पर जेल भेजने की दलील रखी तो बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रकाश झा ने बहस की। लगभग साढ़े तीन घंटे तक लंबी बहस हुई। रात 7.45 बजे बबलू जायसवाल को पुलिस कस्टडी में जेल भेजने का फैसला विशेष कोर्ट ने दिया। जीएसटी घोटाले में बबलू जायसवाल की िगरफ्तारी पांचवीं है। बबलू जायसवाल का लोहे का कारोबार है। इसके पहले जुगसलाई के लोहा कारोबारी विक्की भालोटिया, कोलकाता सॉल्ट लेक के कारोबारी शिव कुमार देउड़ा और दो भाई अमित गुप्ता व सुमित गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इस मामले में मुख्य अभियुक्त रांची निवासी विवेक नरसरिया अब तक फरार है।
जीएसटी इंटेलिजेंस ने मामले का खुलासा तब किया जब कोलकाता के शिव कुमार देउड़ा पर फर्जी बिल के जरिए करोड़ों रुपए के घोटाला का आरोप लगा। जांच में यह बात सामने आई है कि सिंडिकेट ने जीएसटी फर्जीवाड़ा के लिए 100 से अधिक शेल कंपनियां बना रखी थीं। इन कारोबारियों ने महिलाओं व कामगारों के नाम पर फर्जी कंपनियां बनाकर घोटाला किया है। जीएसटी विभाग का दावा है कि कोलकाता व शहर के कारोबारियों के सिंडिकेट ने लगभग 5000 करोड़ का घोटाला किया है, जो शेल कंपनियां बनाकर किया गया है।
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