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नई दिल्ली2 मिनट पहले
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केजरीवाल को ED ने शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में ED के बाद अब CBI गिरफ्तार कर सकती है। CBI ने मंगलवार (25 जून) को तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल से शराब नीति से जुड़े करप्शन केस में पूछताछ की और उनका स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया था।
CBI को ट्रायल कोर्ट में केजरीवाल की पेशी की इजाजत भी मिल गई है। केजरीवाल को आज यानी 26 जून को कोर्ट में पेश किया जाएगा। पेशी से पहले CBI दिल्ली सीएम को गिरफ्तार कर सकती है।
मंगलवार (25 जून) की देर रात मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि CBI ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि, बाद में पता चला कि जांच एजेंसी ने उनसे सिर्फ पूछताछ की और तिहाड़ से वापस लौट गई।
CBI और ED ने दिल्ली शराब नीति मामले में कथित अनियमितताओं को लेकर अगस्त 2022 में केस दर्ज किए थे। ED ने 21 मार्च को शराब नीति मामले में केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार किया था। उन्हें 1 अप्रैल को तिहाड़ भेजा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी। केजरीवाल ने 1 जून तक चुनाव प्रचार के बाद 2 जून की शाम 5 बजे तिहाड़ में सरेंडर किया था। फिलहाल, केजरीवाल 3 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में हैं। 25 जून को तिहाड़ में केजरीवाल के 87 दिन पूरे हो गए हैं।
केजरीवाल 1 अप्रैल से तिहाड़ में हैं। उन्हें जेल में 25 जून को 87 दिन पूरे हो गए हैं।
AAP बोली- ये जुर्म, अत्याचार और ज्यादती की इंतेहा
आम आदमी पार्टी (AAP) का आरोप है कि 26 जून को सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई से पहले केंद्र सरकार CBI के साथ मिलकर उन्हें दूसरे मामले में गिरफ्तार करवाने की साजिश रच रही है।
AAP सांसद संजय सिंह ने मंगलवार (25 जून) की रात X पर वीडियो पोस्ट कर कहा, ‘जुर्म, अत्याचार और ज्यादती की इंतेहा हो गई है। कल (26 जून) को जब सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को जमानत मिलने की पूरी संभावना है, इससे पहले केंद्र की भाजपा सरकार ने CBI के अधिकारियों के साथ मिलकर बड़ी साजिश रची है।
ये साजिश है केजरीवाल के खिलाफ CBI का फर्जी मुकदमा तैयार करके उन्हें गिरफ्तार करने का। पूरा देश भाजपा की चाल, उनका जुर्म और अत्याचार देख रहा है। इस देश के अंदर किसी को कैसे न्याय मिलेगा, अगर इसी तरह झूठे मुकदमे लगाकर केजरीवाल को जेल में रखने, उनकी राजनीति खत्म करने और AAP को खत्म करने के उद्देश्य से ऐसी कार्रवाई की जाएगी।
AAP सांसद संजय सिंह ने CBI की तरफ से केजरीवाल की गिरफ्तार को भाजपा की चाल बताया है।
हाई कोर्ट ने लोअर कोर्ट से मिली जमानत का फैसला पलटा
20 जून को राउज एवेन्यू कोर्ट ने शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को जमानत दी थी। ED इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची। 25 जून को हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के केजरीवाल को जमानत देने से इनकार कर दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है। केजरीवाल ने 23 जून को जमानत को लेकर खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
हाई कोर्ट ने कहा- दलीलों पर ठीक से बहस नहीं हुई
केजरीवाल को जमानत पर हाई कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि राउज एवेन्यू कोर्ट में दलीलों पर सही ढंग से बहस नहीं हुई थी, इसलिए हम उसके फैसले को रद्द करते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि लोअर कोर्ट के फैसले को देखकर ऐसा लगता है कि केजरीवाल को जमानत देते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। अदालत को ED को बहस करने के लिए पर्याप्त अवसर देना चाहिए था।
उधर, आम आदमी पार्टी (AAP) का कहना है, ‘हम हाई कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। जमानत पर आदेश को इस तरह से नहीं रोका जा सकता, सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है।’ हाई कोर्ट के फैसले की खबर पढ़ें…
हाई कोर्ट की 5 बड़ी टिप्पणियां
- ट्रायल कोर्ट की टिप्पणी पर विचार नहीं किया जा सकता, पूरी तरह से अनुचित है। यह दर्शाता है कि ट्रायल कोर्ट ने सामग्री पर अपना दिमाग नहीं लगाया है।
- इस बात पर मजबूत तर्क दिया गया कि जज ने धारा 45 PMLA की दोहरी शर्त पर विचार-विमर्श नहीं किया।
- ट्रायल कोर्ट को ऐसा कोई निर्णय नहीं देना चाहिए जो हाई कोर्ट के फैसले से उलट हो।
- ट्रायल कोर्ट ने धारा 70 PMLA के तर्क पर भी विचार नहीं किया है।
- कोर्ट का यह भी मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा के लिए जमानत दी थी। एक बार जब उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट से खारिज कर दी गई है, तो यह नहीं कहा जा सकता है कि कानून का उल्लंघन करके उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया था।
24 जून: सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही फैसला देना सही
केजरीवाल ने 23 जून को हाई कोर्ट के स्टे के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका पर सोमवार (24 जून) को सुनवाई हुई। दिल्ली के सीएम की जमानत पर अंतरिम रोक लगाते हुए आदेश सुरक्षित रखने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने ‘असामान्य’ बताया है।
ED द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार केजरीवाल को राउज एवेन्यू की विशेष कोर्ट ने 20 जून को जमानत दी। ED ने अगले दिन इसे चुनौती दी और हाई कोर्ट ने जमानत पर अंतरिम रोक लगाकर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
20 जून: लोअर कोर्ट ने कहा था- ED के पास केजरीवाल के खिलाफ सीधे सबूत नहीं
राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 जून को शाम 8 बजे अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी। जज न्याय बिंदु की बेंच ने कहा था कि ED के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सीधे सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने केजरीवाल को 1 लाख के बेल बॉन्ड पर जमानत दे दी थी।
राउज एवेन्यू कोर्ट के बेल ऑर्डर की 5 बातें…
- ED के पास केजरीवाल के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। वह किसी भी तरह से सबूत हासिल करने के लिए वक्त ले रही है। यही बात अदालत को जांच एजेंसी के खिलाफ फैसला लेने के लिए मजबूर करती है कि वह पक्षपात के बिना काम नहीं कर रही है।
- जस्टिस न्याय बिंदु ने कहा- ED केजरीवाल के उठाए कुछ मुद्दों पर चुप है, जैसे कि उनका नाम CBI केस या ECIR की FIR में नहीं है। केजरीवाल के खिलाफ आरोप कुछ सह-आरोपियों के बयानों के बाद सामने आए हैं। कोर्ट ने अमेरिका के संस्थापकों में से एक बेंजामिन फ्रैंकलिन के कोट का जिक्र किया- ‘एक निर्दोष को सजा देने से बेहतर है कि 100 दोषी छूट जाएं।’
- यह भी एक बड़ा फैक्ट है कि केजरीवाल को आज तक अदालत ने तलब नहीं किया है, फिर भी वे अभी भी चल रही जांच के बहाने ED के कहने पर न्यायिक हिरासत में हैं। ED यह स्पष्ट करने में विफल रहा है कि पूरी धनराशि का पता लगाने के लिए उसे कितना समय चाहिए।
- यह भी ध्यान देने वाली बात है कि ED इस बारे में चुप है कि अपराध की आय का इस्तेमाल गोवा में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनावों में कैसे किया है, जबकि लगभग 2 साल बाद भी इस पूरे अमाउंट का बड़ा हिस्सा पता लगाना बाकी है।
- इसकी भी संभवाना है कि केजरीवाल के कुछ परिचित लोग किसी अपराध में शामिल हों या अपराध में शामिल किसी तीसरे व्यक्ति को जानते हों, लेकिन ED अपराध की आय के संबंध में उनके खिलाफ कोई जाहिर सबूत नहीं दे सकी है।
लोअर कोर्ट ने जमानत के लिए 2 शर्तें लगाईं
1. वे जांच में बाधा डालने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे।
2. जरूरत पड़ने पर अदालत में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।
ED का आरोप- हमें दलीलें रखने का पूरा समय नहीं मिला
लोअर कोर्ट के फैसले के विरोध में ED ने 21 जून को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि जमानत का फैसला सही नहीं है। एजेंसी ने आरोप लगाया कि हमें दलीलें रखने का पूरा समय नहीं मिला। ED की ओर से ASG एसवी राजू, केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी ने करीब 5 घंटे दलीलें रखी थीं।
बेंच ने 5 घंटे की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और सभी वकीलों से 24 जून तक लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था।
21 जून को हाई कोर्ट में हुई सुनवाई सिलसिलेवार पढ़ें ….
SG एसवी राजू (ED के वकील) की 4 दलीलें
- मुझे पूरी तरह से मामले पर बहस करने की इजाजत नहीं दी गई। मुझे लिखित जवाब दाखिल करने के लिए दो से तीन दिनों का उचित समय नहीं दिया गया। ये गलत है। मेरा रिकॉर्ड अच्छा रहा है, लेकिन निचली अदालत ने कहा कि आधे घंटे में सब खत्म कीजिए, क्योंकि वह फैसला सुनाना चाहती थी। मैं पूरी गंभीरता के साथ आरोप लगा रहा हूं।
- ट्रायल कोर्ट का आदेश पूरी तरह से विकृत है, क्योंकि यह PMLA की धारा 45 के प्रावधानों के विपरीत है। ट्रायल कोर्ट ने हमारी बातें ठीक से नहीं सुनीं। कोर्ट ने जवाब को यह कहते हुए नहीं देखा कि यह बहुत बड़ा है। इससे अधिक विकृत आदेश कोई नहीं हो सकता।
- ED ने गोवा विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी द्वारा अपराध की आय का इस्तेमाल करने के सबूत पेश किए हैं और 45 करोड़ रुपए का पता लगाया है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण निष्कर्षों को खारिज कर दिया, जिसमें 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने में केजरीवाल की कथित भूमिका भी शामिल थी।
- क्या संवैधानिक कुर्सी पर बैठे रहना जमानत का आधार है? इसका मतलब है कि हर मंत्री को जमानत मिलेगी। इससे ज्यादा विकृत बात कुछ नहीं हो सकती। आदेश पारित होने के बाद हमने ऊपरी अदालत का रुख करने के लिए निचली अदालत से 48 घंटे के लिए स्थगन का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया।
अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी (केजरीवाल के वकील) की 4 दलीलें…
- केजरीवाल के पास एक पैसा नहीं मिला। जांच एजेंसी को सबूत खोजने के लिए किसी आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता।
- ‘ऐलिस इन वंडरलैंड’ की तरह ED का भी विकृति का अपना अर्थ है। उनके लिए, इसका मतलब है कि त्रुटि विकृति है और जब तक ED के हर तर्क को शब्दशः दोहराया नहीं जाता, तब तक यह विकृति है।
- ED का रुख है कि या तो मैं रास्ता दिखाऊंगा या फिर हाईवे। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में ED द्वारा उठाए गए सभी पहलुओं पर विचार किया गया है।
- केजरीवाल के वकीलों ने कहा कि ED संविधान का अनुच्छेद 21 का पालन नहीं करती, वह किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्राथमिकता नहीं देती।
ED ने कहा- हवा में जांच नहीं की, AAP की दलील- केस फर्जी
- ED के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कहा, ‘ED ने हवा में जांच नहीं की है। केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। उन्हें बेल नहीं मिलनी चाहिए।
- केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने दलील दी थी कि केजरीवाल के खिलाफ पूरा केस सिर्फ कल्पना पर आधारित है।
- ASG एसवी राजू ने कोर्ट से रिक्वेस्ट की थी कि एक्साइज पॉलिसी के सेक्शन-45 भूल जाएं। बेल रिजेक्ट करने का मजबूत आधार है कि केजरीवाल ने अपने मोबाइल का पासवर्ड अब तक नहीं दिया है। हालांकि, कोर्ट ने ईडी की दलीलें खारिज करते हुए केजरीवाल को जमानत दे दी।
2 जून: केजरीवाल ने सरेंडर करते वक्त कहा- पता नहीं, कब बाहर आऊंगा
केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर के पहले AAP कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि मैं देश बचाने के लिए जेल जा रहा हूं। मुझे नहीं पता कब वापस आऊंगा। वहां मेरे साथ क्या-क्या होगा, मुझे नहीं पता। सुप्रीम कोर्ट ने मुझे चुनाव प्रचार के लिए 21 दिनों की जमानत दी थी।
मैं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं। आज, मैं फिर से तिहाड़ जेल जा रहा हूं। मैंने इन 21 दिनों में एक मिनट भी बर्बाद नहीं किया। मैं फिर से जेल जा रहा हूं, क्योंकि मैंने तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई है। पूरी खबर पढ़ें…
10 मई: 39 दिन बाद तिहाड़ जेल से बाहर आए थे अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल 10 मई को 39 दिन बाद तिहाड़ जेल से बाहर आए थे। ED ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। इससे पहले जांच एजेंसी उन्हें 9 समन भेज चुकी थी। हालांकि, केजरीवाल एक बार भी पूछताछ के लिए जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे। गिरफ्तारी के बाद शुरुआती 10 दिन केजरीवाल ED की हिरासत में थे। 1 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया था। 10 मई तक यानी 39 दिन उन्होंने तिहाड़ में बिताए। 10 मई की शाम में वे बाहर आए थे। पूरी खबर पढ़ें…
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