भारतीय जनसंघ के संस्थापक ,महान शिक्षाविद, प्रखर राष्ट्रवादी, कुशल राजनीतिज्ञ, संगठनकर्त्ता,एक देश,एक निशान, एक विधान,एक प्रधान के प्रवर्तक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के पुण्य तिथि को बलिदान दिवस के रूप में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर मनाया गया।
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला महामंत्री सुरेन्द्र अग्रहरि ने उनके बलिदान दिवस के अवसर पर कहा कि भारतीय एकता व अखंडता के प्रतीक श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते थे,इसी कारण उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था और एक अलग पार्टी जनसंघ बनाया। देश में दो निशान,दो विधान और दो प्रधान नही चलेंगे ,इसका नारा देते हुए अपनी बात देश के लोगो के सामने रखा।लोगो ने उनकी बातो का समर्थन किया। उस समय कश्मीर राज्य में जाने के लिए परमिट की आवश्यकता पड़ती थी,वहा धारा 370 लागू था।इसी का विरोध मुखर्जी जी किया करते थे।इसलिए उन्होंने बिना परमिट के ही कश्मीर जाने का निर्णय लिया और 8 मई 1953 को कश्मीर में बिना परमिट ही गए ,वहा की सरकार ने लॉ एंड ऑर्डर का हवाला दिया तो उन्होंने कहा कि मुझे गिरफ्तार करो लेकिन शेख अब्दुल्ला की सरकार जम्मू तक गिरफ्तार नहीं की लेकिन श्रीनगर पहुंचने के बाद गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया और उसके बाद एक सेफ जगह दस बाई ग्यारह के कमरे में रख दिया ।22 जून को उनकी तबियत बिगड़ी और जिस दवा से उनको एलजी थी वही दवा उन्हें जबरदस्ती दी गई जिसके कारण 23 जून 1953 को संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई। उसके बाद उनकी मौत के कारणो की जांच नही किया गया।। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने उनकी मौत के कारणो का जवाब देशवासियों को नही दे पाए।आज कश्मीर से धारा 370 हटने की मांग और परमिट व्यवस्था उन्ही की देन है जो समाप्त हुआ। ऐसे महान देशभक्त ,राष्ट्रवादी पुरुष को याद किया जाना आज के समय में उपयुक्त और प्रासंगिक हैं।।