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शिक्षा विभाग में ग्रेड थर्ड टीचर्स की पदोन्नति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप है कि सर्वोच्च न्यायलय की रोक के बावजूद कुछ टीचर्स को पदोन्नति दे दी गई है। ताजा मामला भरतपुर संभाग के ग्रेड थर्ड टीचर्स का है।
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तृतीय श्रेणी शिक्षक पदोन्नति मामला तीन वर्षों से सर्वोच्च न्यायालय ने लम्बित है। जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों की समस्त पदोन्नति पर स्टे दिया हुआ है। इसके बाद भी शिक्षा विभाग ने कुछ शिक्षकों को पदोन्नति दी है। इनके पदस्थापन आदेश जारी कर 28 जून तक कार्यग्रहण के आदेश दिए हैं।
शिक्षा विभाग ने 24 मार्च 2022 को एक कमेटी स्तर के पारित निर्णय के आधार पर तृतीय श्रेणी शिक्षकों को पदोन्नति के लिए अपात्र कर दिया गया। कमेटी स्तर के पारित निर्णय के आधार पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर ने दिनांक 28 जुलाई 22 को जारी आदेश के आधार पर तृतीय श्रेणी शिक्षको को पदौन्नति में अपात्र मान लिया जबकि शिक्षा सेवा नियम 1971 व 2021 के अनुसार विगत 50 वर्षों से राजस्थान सरकार अतिरिक्त विषय से स्नातक तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदौन्नति व पदस्थापन करती रही है।
अजमेर व पाली संभाग में सत्र 2020-21 के गणित व विज्ञान विषयों के शिक्षकों को पदोन्नति से वंचित कर रखा है, जबकि राजस्थान के सभी नौ संभागों में अन्य सभी विषयों की 2020-21 की पदोन्नति की जा चुकी है। अजमेर व पाली संभाग के ये शिक्षक 28 जुलाई 2022 के आदेश से पूर्व पदोन्नति नियमानुसार 31 मार्च 2021 को ही पदोन्नति की योग्यता रखते हैं। निदेशक माध्यमिक शिक्षा के 28 जुलाई 22 के आदेश के आधार पर पाली व अजमेर संभाग के गणित व विज्ञान विषय के शिक्षकों की पदौन्नति से वंचित रखा गया है। जिसे अब विधिसम्मत नहीं बताया जा रहा है। अजमेर व पाली संभाग के शिक्षकों को भी अन्य संभाग के शिक्षकों की तरह पदौन्नति गत सरकार ने नहीं दी।
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