[ad_1]
ऐप पर पढ़ें
Delhi Water Crisis: दिल्ली की जनता पानी को लेकर त्राहिमाम कर रही है। सरकार और हरियाणा और आप सरकार लगातर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। इसी बीच दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने पड़ोसी राज्य से मानवीय आधार पर पानी छोड़ने का अनुरोध किया है। उन्होंने सोमवार को राजधानी के लिए यमुना से पानी के हिस्से के संशोधित आवंटन की मांग की और कहा कि 1994 का जल बंटवारा समझौता, जो यमुना के पानी को विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों में विभाजित करता है, खत्म होने वाला है।
2025 का प्लान
जल समझौते में यह प्रावधान है कि अगर कोई पार्टनर चाहे तो 2025 के बाद इस पर फिर से विचार किया जा सकता है और अगले साल इस पर फिर से बातचीत होगी। वजीराबाद बैराज में घटते जलस्तर का निरीक्षण करते हुए मंत्री ने कहा कि यमुना और गंगा से आने वाले सरफेस वाटर सोर्स ही ही एकमात्र रिलाएबल (विश्वसनीय) स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि तीन दशक पहले जनसंख्या घनत्व को ध्यान में रखते हुए पानी का बंटवारा किया गया था, जो अब कई गुना बढ़ गई है।
आतिशी ने कहा, ‘1994 के समझौते की अवधि खत्म हो रही है। अगले साल जब दोबारा बातचीत होगी, तो दिल्ली अपनी जनसंख्या वृद्धि के आधार पर अपनी मांगें रखेगी। गर्मियों में पानी की बड़ी किल्लत को रोकने के लिए दिल्ली को एक बड़ा कोटा आवंटित किया जाना चाहिए।’ समझौते के अनुसार, राजधानी को 0.724 बिलियन क्यूबिक मीटर यमुना जल आवंटित किया गया है और इसका हिस्सा तीन अवधियों- जुलाई से अक्टूबर, नवंबर से फरवरी और मार्च से जून के दौरान बदलता रहता है।
1994 में हुआ था समझौता
जल समझौता ओखला तक यमुना के सरफेस फ्लो के आवंटन को लेकर था। समझौते को लागू करने के लिए 1994 में ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) का भी गठन किया गया था और यह बोर्ड जल शक्ति मंत्रालय के सबऑर्डिनेट ऑफिस (अधीनस्थ कार्यालय) के तौर पर काम करता है। 30 साल पूरे होने के बाद 2025 में समझौते पर फिर से विचार किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान सहित विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों के बीच वर्तमान में जल आवंटन 12 मई, 1994 को तटवर्ती राज्यों द्वारा हस्ताक्षरित एमओयू के आधार पर किया जाता है। मंत्री ने कहा कि दिल्ली में अनधिकृत और पुनर्वास कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है।
दिल्ली में बढ़ी मांग
दिल्ली जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिंचाई और पेयजल के वर्गीकरण को लेकर हरियाणा और दिल्ली के बीच विवाद है। अधिकारी ने कहा ‘वजीराबाद प्लांट को मुनक नहर के जरिए हैदरपुर से रॉ पानी भी मिलता है। हम विशेष व्यवस्था करके और पानी को रिसाइकिल करके बैराज क्षेत्र से केवल 20 एमजीडी पानी ही खींच पा रहे हैं। वजीराबाद और चंद्रावल दोनों ही प्लांट प्रभावित हैं। 1994 के समझौते के अनुसार, हरियाणा पर्याप्त पानी छोड़ रहा है। यमुना चैनल के जरिए आवंटन शून्य है। लेकिन दिल्ली में मांग बढ़ गई है और उसे अतिरिक्त पानी की जरूरत है।’
[ad_2]
Source link