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अमिताभ बच्चन ने लिखा, “मैं GOJ के लिए हैरानी और आशंका में बैठा हुआ हूं… और एक डर भी है और, हां, सच में डर नहीं है, लेकिन एक डर है जो मन में चलता रहता है… ‘क्या अब भी कोई वहां होगा…’? और जैसे ही द्वार खुलते हैं, एनर्जेटिक वेलकम और मुस्कुराहटें और जयकारे और हवा में असंख्य मोबाइल, हावी हो जाते हैं…” (फोटो साभारः अमिताभ बच्चन ब्लॉग)
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